बृजेश मिश्र, पहल टुडे मेडिकल कालेज की सौगात दिलाने वाले श्री मनीष राय को...
देश विदेश
223 लोगों को जांच उपरांत मिली निःशुल्क दवाएं, विशेषज्ञ बोले- साइलेंट किलर बन रहा...
95वॉं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद स्थापना/प्रौद्योगिकी दिवस का आयोजन 16, 17 एवं 18 जुलाई...
नौनिहालों को लोकतंत्र और चुनाव का मतलब समझाने के उद्देश्य से कंपोजिट स्कूल जोगापुर...
जनपद के गोडे में स्थित गंगा प्रसाद पब्लिक स्कूल में सोमवार को अद्विता फाउंडेशन की...
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश पर “दिल्ली के लोगों के साथ खड़े होने के लिए” कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को धन्यवाद दिया है। आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी लगातार अध्यादेश को लेकर कांग्रेस से समर्थन की मांग कर रही थी। विपक्षी दलों की बैठक से पहले कांग्रेस ने अध्यादेश को लेकर बड़ा बयान दिया था और कहा था कि वह ऐसे किसी भी चीज का विरोध करेगी जो लोकतंत्र और संवैधानिक ढांचा को नुकसान पहुंचाएगा। कांग्रेस के इस बयान के बाद आम आदमी पार्टी ने विपक्षी एकता मंच की बैठक में शामिल होने को लेकर रजामंदी दे दी। खड़गे ने क्या कहा कांग्रेस के लिए परिस्थितियां फिलहाल आसान नहीं है। आम आदमी पार्टी पंजाब और दिल्ली में सत्ता में है। पंजाब में कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है तो वहीं दिल्ली में भी कांग्रेस लगातार आम आदमी पार्टी के खिलाफ रहती है। बताया जा रहा है कि दोनों ही राज्यों के कांग्रेस नेता इसके खिलाफ थे। हालाकि, इसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से सवाल पूछा गया। खड़गे ने कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति (केजरीवाल) के बारे में नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर देश के लोकतंत्र और संविधान को झटका लगता है तो हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम एकजुट होकर लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए काम करें। कोई भी व्यक्ति देश से बड़ा नहीं है। केजरीवाल ने कहा धन्यवाद समर्थन देने के लिए केजरीवाल के खड़गे का धन्यवाद किया।...
पिछले कुछ दिनों से लोगों के जान-माल की तबाही की झकझोर देने वाली तस्वीरें आ रही हैं। शासन-प्रशासन सिस्टम कुदरत की मार के आगे बेबस व लाचार होकर के पूरी तरह से नतमस्तक नज़र आ रहा है। लोगों को जल प्रलय के बीच से सुरक्षित निकाल करके तत्काल राहत देना बेहद दुष्कर कार्य साबित होता जा रहा है। कुदरत की मार से प्रभावित हुए लोगों के लिए बिजली, पानी, भोजन, चिकित्सा व सर ढंकने के लिए एक सुरक्षित स्थान उपलब्ध करवाना सिस्टम के लिए चुनौती बनता जा रहा है। जिसके चलते ही उत्तर भारत के बहुत सारे इलाकों के लोग बाढ़ जैसे हालातों में रहने के लिए मजबूर हो गये हैं। कभी भीषण गर्मी के प्रकोप को झेल रहा उत्तर भारत मानसून का बहुत ही बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था, लोगों को उम्मीद थी कि मानसून उनको राहत देगा, लेकिन मानसून के सीजन में जब बारिश को लोगों को प्रचंड गर्मी से राहत देनी थी, उस वक्त लोगों के लिए बारिश एक बहुत बड़ी आफ़त बन गयी। जल प्रलय से जगह-जगह नदी-नालों में हो रहे भारी उफान ने जलभराव, जबरदस्त भू कटाव व मलबे ने बड़ी आफ़त देने का कार्य कर दिया। पिछले कई दिनों से देश के विभिन्न हिस्सों में बादलों की प्रचंड गर्जना के साथ पहाड़ से लेकर मैदान तक हर तरफ कुदरत की मार के चलते भयंकर तबाही का मंजर बन गया है, जिसने लोगों को बेघर करते हुए 19 लोगों के अनमोल जीवन को लीलने का दुखद कार्य कर दिया है। देश की राजधानी दिल्ली से लेकर के जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों में इस बार जुलाई माह में अपेक्षाकृत ज्यादा हो रही बारिश ने लोगों का जीना-बेहाल करके रखा दिया है। हालांकि केन्द्र व राज्य सरकार प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं, लेकिन भारी तबाही के चलते वह प्रयास फिलहाल तो ‘ऊंट के मूंह में जीरा’ साबित हो रहे हैं। बारिश के चलते हुई भारी तबाही नित-नयी दर्दनाक पिक्चर लेकर सामने आ रही है, बारिश की मार से अब तो लोगों को भारी जान-माल की क्षति उठानी पड़ रही है। लोग सरकार व एक दूसरे के सहयोग से इस आपदा को मात देने में लगे हुए हैं। भारी बारिश के चलते व डैम से अधिक पानी छोड़े जाने के चलते राजधानी दिल्ली पर वर्ष 1978 की तरह बाढ़ आने का खतरा मंडराने लगा है, यमुना नदी लगातार खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में नदियां व बरसाती नाले अपने जबरदस्त उफान पर हैं, जो भी कुछ उनकी राह में बाधक बन रहा है वह तिनके की तरह उसको बहाकर ले जाने पर आमादा हैं, पहाड़ों पर भू-कटाव, भू-धंसाव, दरकते पहाड़, भूस्खलन, पत्थरों के बड़े-बड़े बोल्डर व मलबा लोगों के जान माल के दुश्मन बन गये हैं। वहीं मैदानी इलाकों की बात करें तो दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान आदि राज्यों में आबादी के इलाकों में भी पानी भर गया है जिसमें कहीं सड़क धंस गई है,
कृषि हमेशा से हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है क्योंकि इसने सकल घरेलू उत्पाद...
देखा जाए तो वे कमीशन-चोर, चिंदी-चोर हैं और बिचौलिया कहने वालों से बकायदा खफ़ा हो जाते...
गाज़ीपुर कहते हैं कि साफ-सफाई में भगवान का वास होता है। चाहे वह मन...