May 7, 2024

????????????????????????????????????

यू सी सी : निगाहें कहीं हैं,निशाना कहीं
                                                                               तनवीर जाफ़री 
                                         इन दिनों देश में यू सी सी अर्थात यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बहस जारी है। यह बहस ऐसे समय में छिड़ी है जबकि लगभग 9 महीने बाद देश में आम लोकसभा चुनाव की घोषणा की जानी है। यू सी सी भारतीय जनता पार्टी के उन्हीं तीन प्रमुख चुनावी वादों में से एक है जिन्हें भाजपा ने एक दूरगामी रणनीति के तहत अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में 1996 में पहली बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनते समय ठंडे बस्ते में डाल दिया था। और न्यूनतम सांझा कार्यक्रम के आधार पर एक ग़ैर कांग्रेसी राजग सरकार का गठन किया था। परन्तु 2019 के लोकसभा चुनावों में जैसे ही भारतीय जनता पार्टी अपने पूर्ण बहुमत पर पहुंची और 303 सीटों पर जीत हासिल की तथा भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 353 सीटें जीतीं वैसे ही भाजपा अपने उन मूल मुद्दों को पूरा करने में जुट गयी। इनमें पहला अयोध्या मंदिर निर्माण मुद्दा तो अदालती फ़ैसले के आधार पर निर्णायक नतीजे पर पहुँच गया जबकि 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से धारा 370 हटाकर भाजपा ने अपना दूसरा मूल मुद्दा भी हल कर लिया। और अब जबकि विभिन्न राज्यों व केंद्र के चुनाव निकट भविष्य में होने वाले हैं भाजपा ने अपने तीसरे यानी समान नागरिक संहिता के मुद्दे को हवा देनी शुरू कर दी है। वैसे भी समान नागरिक संहिता केंद्र की मौजूदा सत्ताधारी भाजपा के लिए जनसंघ के समय से ही प्राथमिकता वाला एजेंडा रहा है। और भाजपा सत्ता में आने पर UCC को लागू करने का वादा करने वाली पहली पार्टी थी और यह मुद्दा उसके 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र का प्रमुख हिस्सा भी था। 
                                        अब यहां पहला प्रश्न यह है कि जिस समान नागरिक संहिता  यानी कॉमन सिविल कोड की बात भाजपा दशकों से करती आ रही है उसमें और जिस समान नागरिक संहिता यानी यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड(यू सी सी ) की चर्चा इनदिनों छिड़ी है इनमें अंतर क्या है? मोटे तौर पर समान नागरिक संहिता यानी कॉमन सिविल कोड का आशय पूरे देश के सभी नागरिकों के लिये एक जैसा क़ानून लागू करना है । यानी समान नागरिक संहिता का अर्थ होता है भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान क़ानून होना।  चाहे वह किसी भी धर्म,वर्ग,समुदाय या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता लागू होने से सभी धर्मों का एक क़ानून होगा। शादी, तलाक़, गोद लेने और ज़मीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही क़ानून लागू होगा। जबकि समान नागरिक संहिता अर्थात यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड का अर्थ देश में रहने वाले किसी भी वर्ग व समुदाय विशेष के लोगों के लिये उनके वर्ग समुदाय के अनुसार एक जैसे क़ानून लागू करना। कहा जा रहा है कि यूसीसी का तात्पर्य देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान क़ानून होना है जो धर्म पर आधारित नहीं है। परन्तु इसकी वास्तविक व विस्तृत परिभाषा क्या होगी यह तभी पता चल सकेगा जब इसका पूरा ड्राफ़्ट सामने आयेगा। गोया बावजूद इसके कि इसका ड्राफ़्ट अभी तक तैयार होने की कोई सूचना नहीं है फिर भी उम्मीद है कि इसमें वर्ग के अनुसार एक वर्ग एक समुदाय या एक सम्प्रदाय के लिये अलग अलग क़ानून होने की संभावना है। इसलिये यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड विषय को लेकर छिड़ी इस बहस में शोर और विवाद तो बहुत हैं परन्तु सी सी सी या यू सी सी  के अंतर को लेकर अभी भी अनेक भ्रांतियां भी बनी हुई हैं।  
                                                     राष्ट्रीय विधि आयोग ने  देश की संस्थाओं व आम नागरिकों से गत 14 जून को इस विषय पर सुझाव मांगे थे। पिछले दिनों आयोग की ओर से मांगे गए सुझाव की समय-सीमा बढ़ा दी गई है। अब 28 जुलाई तक समान नागरिक संहिता को लेकर भारतीय नागरिक अपने सुझाव आयोग की वेबसाइट पर दे सकेंगे। विधि आयोग की विज्ञप्ति के अनुसार समान नागरिक संहिता विषय पर जनता की ज़बरदस्त प्रतिक्रिया प्राप्त होने के बाद इस तिथि को बढ़ा दिया गया है। इसके लिए समय बढ़ाने को लेकर भी विभिन्न क्षेत्रों से अनुरोध मिल रहे थे। ऐसे में आयोग ने संबंधित हितधारकों से विचार और सुझाव प्राप्त करने के लिए समय सीमा को दो सप्ताह और बढ़ाने का निर्णय लिया है। परन्तु  विधि आयोग द्वारा ऑनलाइन मांगे जा रहे इन सुझावों में एक पेंच यह भी है कि देश की आधी से अधिक आबादी को शायद अभी तक यह भी पता नहीं होगा कि यू सी सी है क्या और देश में इस समय यू सी सी नामक किसी विषय को लेकर कोई बहस छिड़ी हुई है। और जिन्हें मालूम भी है वे अपनी रोज़ी रोटी कमाने में इतना व्यस्त हैं कि उन्हें इस बहस में पड़ने या सुझाव देने की फ़ुर्सत ही नहीं। हाँ एक विशेष पूर्वाग्रही वर्ग ऐसा ज़रूर है जो वाट्स ऐप और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर दिन रात सक्रिय है और वह बाक़ायदा वीडिओ बनाकर लोगों को यह बता रहा है कि किस तरह विधि आयोग की वेबसाइट पर जाकर यह लिखा जाये कि वे यू सी सी का समर्थन करते हैं।
                                  प्रचारित तो यह किया जा रहा है कि यू सी सी मुस्लिम विरोध में लाया जा रहा है। मुस्लिम समुदाय के लोगों में इसे लेकर बेचैनी भी  दिखाई दे रही है। परन्तु यह प्रचार भी निराधार है। नगालैंड, मेघालय, पंजाब व तमिलनाडु के लोगों ने और झारखण्ड व मध्य प्रदेश के दर्जनों आदिवासी संगठनों ने विधि आयोग के सामने यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड के विचार को वापस लेने की मांग की है।  इन आदिवासी संगठनों का मानना है कि यूसीसी के कारण आदिवासियों की पहचान ख़तरे में पड़ जाएगी। हमारे देश में ही हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में भी कई आदिवासी समाजों में व दक्षिण भारत तथा उत्तर पूर्व की कई जनजातियों में बहुपतित्व प्रथा अभी भी जारी है। हिमाचल के किन्नौर के लोगों का मानना है कि यह प्रथा महाभारत के समय से चली आ रही है। इसके एक ही परिवार के सभी भाइयों द्वारा एक ही महिला से विवाह किया जाता है। इसके पीछे कारण यह बताया जाता है कि वनवास के दौरान जब पांडवों का अज्ञातवास था, तब पांडव द्रौपदी के साथ यहां छिपे हुए थे। इसके पीछे की वजह परस्पर पारिवारिक प्रेम और संपत्ति के बंटवारे से सुरक्षा भी है। इसी तरह मेघालय राज्य में शिलॉन्ग के निकट ‘एशिया के सबसे स्वच्छ गांव’ के नाम से मशहूर मावलिननांग व उसके आस पास के गांव में प्रचलित प्रथा के अनुसार यहाँ परिवार की मुखिया महिला होती है। और संपत्ति भी परिवार की सबसे छोटी बेटी के नाम की जाती है। 
                       इस तरह के अनेकानेक रूढ़ियाँ व परम्परायें अनेकता में एकता रखने वाले इस भारत महान देश में विभिन्न धर्मों,समुदायों व जातियों में अनेक क्षेत्रों में देखी जा सकती हैं। ऐसे में यू सी सी की चर्चा महज़ एक समुदाय विशेष को विद्वेलित करने का प्रयास है या इसके पीछे सरकार की मंशा कुछ और है इस बात का सही अंदाज़ा तभी लग सकेगा जब इसका ड्राफ़्ट सार्वजनिक होगा। इसके पहले किसी भी समुदाय का आशंकित या विद्वेलित होना हरगिज़ मुनासिब नहीं। संभव है कि इसी मुद्दे के बहाने राजनीति के धुरंधर खिलाड़ियों की निगाहें कहीं हों और निशाना कहीं और? और वे केवल यह बहस छेड़ कर ही समुदाय विशेष के लोगों में उत्तेजना फैलाने मात्र से ही अपना वोट बैंक फ़तेह करना चाह रहे हों?   संपर्क:- 9896219228 
                                                                                     तनवीर जाफ़री

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *