September 19, 2024
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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र भेजा, जिसमें हिंसा प्रभावित मणिपुर में महिलाओं के “अकथ्य अत्याचार” पर अपना दर्द व्यक्त किया और उनसे पूर्वोत्तर राज्य में सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया। पूर्वोत्तर राज्य में महिलाओं को नग्न करने का वीडियो सामने आने के कुछ दिनों बाद उन्होंने पत्र में कहा कि देश मणिपुर में आदिवासियों के साथ “बर्बर तरीके” से व्यवहार करने की इजाजत नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि मणिपुर से दिल दहला देने वाले वीडियो सामने आ रहे हैं, राज्य में लोकतांत्रिक शासन का अभूतपूर्व पतन देखने को मिल रहा है। सोरेन ने क्या लिखा अपने पत्र में सोरेन ने लिखा कि क्रूरता के सामने चुप्पी एक भयानक अपराध है और इसलिए मैं आज मणिपुर राज्य में जारी हिंसा पर भारी मन और गहरी पीड़ा के साथ आपको लिखने के लिए मजबूर हूं। उन्होंने कहा कि मैं मणिपुर में बढ़ती स्थिति के बारे में बहुत व्यथित और चिंतित हूं। सोरेन ने पत्र में कहा, मणिपुर ”दो महीने से जल रहा है, दिल दहला देने वाले वीडियो सामने आ रहे हैं” और पूर्वोत्तर राज्य में ”लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में अभूतपूर्व गिरावट” है। उन्होंने राष्ट्रपति से मणिपुर के लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और वहां शांति बहाल करने का आग्रह किया। मणिपुर में जारी है हिंसा सोरेन ने कहा कि मणिपुर और भारत के सामने आने वाले संकट की इस सबसे काली घड़ी में, हम आपको आशा और प्रेरणा के अंतिम स्रोत के रूप में देखते हैं जो इस कठिन समय में मणिपुर के लोगों और भारत के सभी नागरिकों को रोशनी दिखा सकते हैं। आपको बता दें कि मणिपुर में 3 मई से इम्फाल घाटी में केंद्रित बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और पहाड़ियों पर कब्जा करने वाले आदिवासी कुकी के बीच जातीय झड़पें हो रही हैं। मई की शुरुआत में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोगों की जान चली गई है, और कई लोग घायल हुए हैं, जब मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) की स्थिति की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था।
महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जरूरत इस बात की है कि दोषियों को जल्द से जल्द और कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाये लेकिन सत्ताधारी पार्टियां और विपक्ष महिलाओं से जुड़े मुद्दे को लेकर अपनी-अपनी राजनीति कर रहे हैं। विपक्षी दल जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की घटना को लेकर भाजपा पर निशाना साध रहे हैं तो वहीं भाजपा, कांग्रेस नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साध रही है। मणिपुर में जो हुआ वह बिल्कुल गलत था लेकिन अब पश्चिम बंगाल के माल्दा, बिहार के बेगूसराय और राजस्थान के करौली तथा अन्य इलाकों से जिस प्रकार की खबरें आ रही हैं वह दर्शा रही हैं कि नारी के प्रति असम्मान बढ़ता जा रहा है और सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं। बहरहाल, मणिपुर की घटना को लेकर जो लोग पुतले फूंक रहे हैं, कैंडल मार्च निकाल रहे हैं और सोशल मीडिया पर तरह तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं उनसे सवाल यह है कि वह राजस्थान, पश्चिम बंगाल और बिहार की घटनाओं पर चुप क्यों हैं? नारी का सम्मान समान ही होता है चाहे वह इस राज्य की हो या उस राज्य की। लेकिन किसी खास पार्टी द्वारा शासित राज्य में महिला विरोधी अपराध के खिलाफ कैंडल मार्च निकाले जायें, पुरस्कार वापस करने का ऐलान किया जाये और किसी दूसरी पार्टी द्वारा शासित राज्य में महिला के खिलाफ अपराध की घटना पर आंखें बंद कर ली जायें और मुँह सिल लिया जाये, यह तो ठीक नहीं है। इससे राजनीतिज्ञों और समाज का दोगलापन ही सामने आता है। बंगाल की बात करें तो आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल में कुछ दिन पहले दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर यातना दी गई और पुलिस ‘‘मूकदर्शक’’ बनी रही। भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख और पश्चिम बंगाल भाजपा के सह प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि घटना को 19 जुलाई को मालदा जिले में उस भीड़ ने अंजाम दिया जो ‘‘उनके (महिला के) खून की प्यासी’’ थी। उन्होंने कथित अपराध की धुंधली तस्वीरों के साथ एक वीडियो भी साझा किया। मालवीय ने मणिपुर की घटना पर मुखर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘यह एक ऐसी त्रासदी थी जिससे ममता बनर्जी का दिल ‘टूट’ जाना चाहिए था और वह केवल आक्रोश जताने के बजाय कार्रवाई कर सकती थीं, क्योंकि वह बंगाल की गृह मंत्री भी हैं।’’ अमित मालवीय ने ममता बनर्जी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उन्होंने (ममता ने) मामले में कुछ नहीं करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, ‘‘न तो उन्होंने बर्बरता की निंदा की और न ही दर्द एवं पीड़ा व्यक्त की क्योंकि इससे एक मुख्यमंत्री के रूप में उनकी खुद की विफलता उजागर होती।’’ इस मामले में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी हमला बोलते हुए कहा है कि ममता दीदी के मन से ममता बिल्कुल खत्म हो गयी है। दूसरी ओर, बिहार से सामने आई घटना बेगूसराय जिले की है जहां एक नाबालिग लड़की और पुरुष के कथित तौर पर आपत्तिजनक स्थिति में पकड़े जाने के बाद तीन व्यक्तियों द्वारा उन्हें निर्वस्त्र करके उनकी पिटाई करने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि इस मामले में पहली गिरफ्तारी मुख्य आरोपी किशनदेव चौरसिया की हुई है। साथ ही मामले में 4 आरोपियों के खिलाफ FIR कराई गयी है। आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत FIR कराई गयी है। हम आपको बता दें कि शुक्रवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया जिसमें तीन व्यक्ति नाबालिग लड़की और पुरुष की पिटाई करते और उनको निर्वस्त्र करते दिख रहे हैं। वीडियो में दिखाई दे रहे पुरुष की पहचान एक संगीत शिक्षक के तौर पर की गई है जिसकी आयु 40 से 50 के बीच है। बेगूसराय के पुलिस अधीक्षक योगेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘पीड़िता के बयान के आधार पर हमने संगीत शिक्षक को गिरफ्तार किया गया है। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67बी और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।’’ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नाबालिग और आरोपी की पिटाई करने वाले तीन आरोपियों की तलाश की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच में खुलासा हुआ कि घटना गत बृहस्पतिवार की है। योगेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘पुलिस वीडियो की जांच कर रही है और घटनास्थल से मिले दो व्यक्तियों के कपड़ों और अन्य सामान को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।’’ उन्होंने बताया कि मामले की जांच करने के लिए एक वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी की देखरेख में जांच टीम गठित की गई है। योगेंद्र कुमार ने बताया, ‘‘पीड़िता की चिकित्सा जांच भी कराई जा रही है। उसका बयान भी मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराया जाएगा।’’ वहीं तीसरी ओर, महिला विरोधी अपराधों के मामले में राजस्थान के देश में पहले नंबर पर पहुँचने से अशोक गहलोत सरकार घिर गयी है। भाजपा का आरोप है कि राजस्थान में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और पूरे प्रदेश में जंगलराज है। भाजपा का आरोप है कि सरकार और पुलिस प्रशासन घटनाओं को दबाने में लगे हैं। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर का तो यहां तक कहना है कि मुख्यमंत्री जनता के बीच विश्वास खो चुके हैं। वहीं एनसीआरबी आंकड़ों को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री का कहना है कि भाजपा आंकड़ों को घुमा कर पेश कर रही है। उन्होंने कहा है कि हमने राजस्थान में यह व्यवस्था की है कि कोई भी आसानी से शिकायत या एफआईआर करा सकता है जबकि अन्य प्रदेशों में इसका अभाव है।
केंद्र ने 2020 और 2021 के बीच किसानों के आंदोलन की अवधि के दौरान ब्लॉक करने के लिए कहे गए 3,750 यूआरएल में से 167 को हटाने में विफल रहने के बाद शुक्रवार को ट्विटर को महत्वपूर्ण परिणाम भुगतने की चेतावनी के साथ नोटिस देना स्वीकार कर लिया। हालांकि, उसने विरोध के दौरान अधिकृत छापे मारने या ट्विटर के कार्यालय को बंद करने की धमकी देने से इनकार किया। सरकार ने कहा कि उन यूआरएल को ब्लॉक करने का निर्देश सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के बाद दिया गया था। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में संसद को बताया कि सरकार ने 27 जून, 2022 को ट्विटर को नोटिस जारी किया, जिससे उन्हें पूरी तरह से अनुपालन करने का अवसर मिला, ऐसा न करने पर उन्हें आईटी अधिनियम, 2000 में उल्लिखित महत्वपूर्ण परिणामों का सामना करना पड़ता। इस नोटिस के बाद, ट्विटर ने आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69 ए के तहत जारी किए गए सभी अवरोधक निर्देशों का अनुपालन किया। केंद्रीय मंत्री ने किसी भी सोशल मीडिया अकाउंट से उपयोगकर्ताओं के डेटा के अनुरोध से भी इनकार किया। ट्विटर के पूर्व सीईओ और सह-संस्थापक जैक डोर्सी ने भारत सरकार पर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से पोस्ट और खातों को हटाने का निर्देश देने का आरोप लगाते हुए एक विवाद खड़ा कर दिया था। इसके साथ ही कहा था कि हम भारत में ट्विटर को बंद कर देंगे, आपके कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी करेंगे।