May 4, 2024
Numbness with white spots is the hallmark of leprosy.

Numbness with white spots is the hallmark of leprosy.

सफ़ेद दाग के साथ सुन्नपन है कुष्ठ रोग की पहचान

-महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण स्पर्श कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान की हुई शुरुआत

-उपचार से ठीक हो चुके दो कुष्ठ रोगियों को किया गया सम्मानित

बहराइच l जनपद में राष्ट्रीय “कुष्ठ दिवस ” के अवसर पर सीएमओ सभागार में महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण कर स्पर्श कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई। यह अभियान 13 फरवरी तक चलाया जाएगा । इस अवसर पर जिलाधिकारी मोनिका रानी का संदेश पढ़ कर कुष्ठ रोग की जागरूकता के लिए शपथ दिलाई गया।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजेश कुमार ने बताया कि कुष्ठ रोग न तो आनुवांशिक है और न ही पिछले जन्मों के पापों का फल है बल्कि यह माइक्रोबैक्टीरियम लैप्रे बैक्टीरिया के कारण होने वाला संक्रामक रोग है । इलाज न कराने वाले संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खाँसने से इसका प्रसार होता है । इलाज शुरू होने पर मरीज से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमण का खतरा नहीं होता है। संक्रमण के बाद कुष्ठ रोग के लक्षण दिखने में पांच से सात साल तक लग सकता है । अन्य लक्षणों के साथ ही सफ़ेद दाग के साथ सुन्नपन इस रोग की सबसे बड़ी पहचान है। समय से पहचान होने और पूरा इलाज करने से यह बीमारी ठीक हो जाती है । उन्होंने बताया लक्षण वाले रोगियों को चिन्हित कर सम्पूर्ण इलाज मुहैया कराने के उद्देश्य से यह अभियान 13 फरवरी तक चलाया जाएगा । इस अवसर पर कुष्ठ चिकित्सा से फिजियोथिरेपिस्ट डॉ. वर्षा, एनएमएस के. बी. त्रिपाठी, एनएमए ओ. पी.मिश्रा व मेडिकल कॉलेज बहराइच के ओम प्रकाश को उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। इसके अलावा उपचार से ठीक हो चुके, सामान्य जीवन जीवन जी रहे दो कुष्ठ रोगियो को भी सम्मानित किया गया एवं उनको एमसीआर जूते व सेल्फ केयर किट प्रदान की गई ।

दो प्रकार का होता है कुष्ठ रोग –
जिला कुष्ठ रोग विशेषज्ञ विनय श्रीवास्तव ने बताया कि कुष्ठ रोग दो प्रकार का होता है। जब शरीर पर सुन्न हुए दाग- धब्बों की संख्या पांच या उससे कम हो और एक नस प्रभावित हुई हो तो इसे पासी बेसिलाई ( पीबी) कहा जाता है । ऐसे मरीज छह माह के इलाज से ठीक हो जाते हैं । जब दाग- धब्बों की संख्या पांच से अधिक हो और दो या अधिक नसें प्रभावित हों तो मरीज को मल्टी बेसिलाई ( एमबी) कहा जाता है । ऐसे मरीज का इलाज एक साल तक चलता है । वर्तमान में 216 रोगियों का उपचार चल रहा है ।
इस अवसर पर एसीएमओ डॉ संतोष राना, एसीएमओ डॉ पी के बांदिल, डॉ. पी के वर्मा, डॉ गौतम, डॉ संजय सोलंकी , डीएलसी ,डीपीएम , डीसीपीएम सहित समस्त चिकित्सा स्टाफ और मरीज के परिजन उपस्थित रहे।

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