गुजरे समय का महत्वपूर्ण क्षण नहीं लौट कर आता दोबारा,
संयम और मनोबल से सफलता के द्वार पर दें दस्तक|
गुजरे हुए समय और बीते कल के मूल्य को बेंजामिन फ्रैंकलीन ने पहचानते हुए कहा था बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता है। यह वाक्य अत्यंत यथार्थ भी है, खोया हुआ धन अर्जित कर सकते हैं पर खोई हुई ख्याति,इज्जत को प्राप्त नहीं किया जा सकता है।समय को एक बार खो देने के बाद वापस प्राप्त करना बहुत मुश्किल ही नहीं असंभव है।इसीलिए यह कहावत कही गई है “काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में परलय होएगी बहुरि करेगा कब”प्रसिद्ध लेखक मेसन ने समय को महिमामंडित करते हुए कहा है सोने के कण की तरह समय का हर क्षण मूल्यवान है। प्लेटफार्म पर खड़ी रेलगाड़ी भी अपने यात्रियों का इंतजार नहीं करती और देर से पहुंचने वाले यात्री हाथ मलते रह जाते हैं,उनके पास अफसोस करने के अलावा कुछ नहीं रह जाता।समय और समुद्र की लहरें किसी की प्रतीक्षा नहीं करती, समय के महत्व को दर्शाते प्रकृति के कई उदाहरण भी हैं, बरसात के समय वर्षा देर से आने से कृषि सूख जाती है. इसलिए कहा गया है “का वर्षा जब कृषि सुखावे,” इसीलिए इतिहास में महान लोगों ने समय के साथ निज के अनुशासन और श्रम के महत्व को अपने जीवन में अपनाकर अपने आप को बड़ा बनाकर इतिहास में अपना नाम स्थापित किया हैl समाज में जितने भी प्रसिद्ध, नामचीन और महान बने हैं, या उदाहरण देने लायक बने हैं, उन सब ने समय को समय देकर अपने आप को समाज में अग्रणी स्थान पर स्थापित किया है,और हजारों,लाखों लोग उनका सम्मान कर उनका अनुसरण भी करने लगते हैं। समय का महत्व और निज पर शासन फिर अनुशासन एक दूसरे से जुड़े तथा पर्यायवाची ही है। जिसमें भी समय के महत्व को समझते हुए उसका अनुशासन के साथ उपयोग किया है,वे अपनी जिंदगी में आर्थिक सामाजिक एवं वैश्विक रूप से अपने आप को सफल बना चुके हैं। विद्वानों में यह भी कहा है कि जो कार्य जिंदगी में आप को सबसे कठिन एवं क्लिष्ट लगने लगता है| उसे समय और अनुशासन के साथ सबसे पहले किया जाना चाहिए, और तब तक करना चाहिए जब तक वह कार्य अपनी परिणति तक ना पहुंचे, और ऐसी प्रक्रिया से आप सफलता की सीढ़ी चढ़कर एक सफलतम व्यक्तित्व बन सकते हैं। और सफल व्यक्ति ही समाज को दृढ़ समृद्ध और महान बना सकता है। पश्चिमी देशों में इंग्लैंड का नाम इसीलिए भी ग्रेट ब्रिटेन और यूनाइटेड किंगडम कहा जाता है उन्होंने अनुशासन और समय का सर्वाधिक सदउपयोग कर पूरे विश्व में किसी समय राज किया था। हालांकि समय और अनुशासन का उन्होंने दमन नीति अपनाकर अनुचित उपयोग भी किया था। सकारात्मक रूप से भारत के वैज्ञानिको ने समय तथा अनुशासन का पालन करते हुए अपने अन्वेषण और शोध में कठोर श्रम करके जो भी नवीन उपलब्धियां हासिल की, वह वैश्विक रूप से स्वीकार हुई, और उन्हें अनेक राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुए। जो व्यक्ति अपना निश्चित कार्यक्रम बना कर मानसिक वृत्तियों को संयमित, मर्यादित कर कार्य करता है, उसे जीवन संग्राम में अवश्य बड़ी सफलता अर्जित होती है।समय के महत्व को समझने के लिए वैसे तो सभी वर्गों के लिए यह आवश्यक है, पर समय की महत्ता का सर्वाधिक महत्व विद्यार्थियों के लिए होता है। जो विद्यार्थी समय को महत्व को समझते हुए अनुशासित तरीके से मेहनत करता है उसे परीक्षाओं में दिल से सफलताएं प्राप्त होती हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं में समय के महत्व को ध्यान में रख पढ़ाई करके वह बड़ी-बड़ी परीक्षाएं उत्तीर्ण कर बड़े-बड़े पदों को प्राप्त करते हैं बोलतें हैं कि जीवन में समय का दुरुपयोग एक तरह से आत्महत्या के समान है। समय का दुरुपयोग जीवन की सफलता का प्रमुख कारण है। क्योंकि समय के व्यतीत हो जाने के बाद अफसोस करने से गुजरा हुआ समय वापस नहीं लौटता और व्यक्ति के पास पछताने के अलावा कुछ नहीं बच पाता।युवा वर्ग को खासकर शरीर को स्वस्थ रख समय पर निंद्रा, भोजन,व्यायाम करने की आदत डाल लेना चाहिए,वैसे तो युवा वर्ग को समयानुसार अलसुबह उठकर ताजी हवा लेने का नियम बनाकर ब्रह्म मुहूर्त में अध्ययन करने की नियमावली बना लेना चाहिए।देर से उठने वाले हर काम देरी से करने के लिए मजबूर हो जाते हैं ,समय पर कार्य करने से मनुष्य की व्यक्तिगत प्रगति तो होती ही है उसके निजी व्यक्तित्व में भी विकास तथा चार चांद लग जाते हैं। एक विद्वान “पेरिक्लेस” ने समय को सबसे बड़ा बुद्धिमान सलाहकार माना है।
संजीव स्तंभकार, चिंतक,लेखक, रायपुर छत्तीसगढ़, 9009 415 415,