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बलरामपुर/जिलाधिकारी अरविन्द सिंह का माफियाओं के खिलाफ चलाया जा रहा ‘ऑपरेशन माफिया कमर तोड़’’ लगातार जारी है। 1.83 एकड़ सरकारी जमीन जो कि माफिया द्वारा किसान विद्यालय बागवानी के नाम दर्ज करा लिया था उसे जिलाधिकारी के आदेश पर पुनः ग्राम सभा की नवीन परती जमीन में दर्ज करने की कार्यवाही की गई है। मामला तहसील उतरौला अन्तर्गत ग्राम व परगना सादुल्ला नगर का है जहां पर ग्राम सभा की नवीन परती भूमि गाटा संख्या 1433 को आरिफ अनवर हाशमी पुत्र अब्दुल गफ्फार हाशमी निवासी सादुल्लाह नगर उतरौला ने सन 1987 व 1990 में जब उतरौला तहसील पूर्ववर्ती जनपद गोण्डा की तहसील थी उस समय चबकन्दी न्यायालय में कूट रचित दस्तावेज के सहारे फर्जी शपथपत्र पर चकबन्दी न्यायालय में फर्जी साक्ष्य के आधार पर अपने कालेज किसान विद्यालय सादुल्लाह नगर के नाम दर्ज कराकर खतौनी इनदराज करा लिया थी। जबकि न्यायालय में शपथपत्र पर कूटरचित दस्तावेज देना और न्यायायल को गुमराह करके अपने पक्ष में लाभ लेना मा0 न्यायालयों (सिविल, राजस्व, चकबन्दी अथवा फौजदारी न्यायालय सभी) में समान प्रकार से अवमानना वाद *CrPC की धारा-345* एवं कन्टेम्प्ट ऑफ कोर्ट के अधिनियम 1971 के तहत ग्राह्य करते हुए मा0 उच्च न्यायालय मेें स्वयं की अवमानना का वाद प्रचलित करने के लिए आख्या प्रेषित कर सकता है एवं अपने न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही शुरू कर सकता है । ऐसे व्यक्ति के विरूद्ध न्यायालय में शपथपत्र पर गलत साक्ष्य देने पर *फोरजरी* (झूठे साक्ष्य एवं गवाही देने) का मुकदमा प्रचलित किया जा सकता है।
बीते तीन माह पहले जिलाधिकारी को गोपनीय शिकायत मिली कि आरिफ अनवर हाशमी द्वारा ग्राम सभा की 1.83 एकड़ नवीन परती भूमि को अपने स्कूल के नाम गलत तरीके से दर्ज करा लिया गया है। जिलाधिकारी ने मामले की गोपनीय जांच पूर्ववर्ती जनपद गोण्डा एवं वर्तमान जनपद बलरामपुर से कराई तथा साक्ष्य जुटाए गये तो मामला सही पाया गया। आरिफ अनवार हाशमी ने ग्राम सभा की परती भूमि 1.83 एकड़ को कूट रचित तरीके से मा0 चकबन्दी न्यायालय में शपथपत्र पर गलत साक्ष्य, फर्जी दस्तावेज के आधार पर अपने विद्यालय किसान विद्यालय सादुल्ला नगर के नाम दर्ज करा लिया है।
गोपनीय जांच एवं साक्ष्यों के आधार पर जिलाधिकारी ने भूमाफियाओं के विरूद्ध तत्काल कार्यवाही करने के आदेश अपर जिलाधिकारी को दिये जिसके क्रम में उपसंचालक चकबन्दी/अपर जिलाधिकारी वित्त राजस्व के मा0 न्यायालय में इस प्रकरण में परिवाद दाखिल हुआ। न्यायिक प्रक्रिया एवं साक्ष्यों में यह सिद्ध हुआ कि फर्जी तरीके से स्कूल बागवानी के नाम दर्ज कराई गई जमीन राजस्व अभिलेखों में कभी भी विद्यालय के नाम नहीं थी तथा फर्जी दस्तावेजों के सहारे बेशकीमती जमीन को हथिया लिया गया है। भूमाफिया द्वारा सन 1987 से यह फर्जीवाड़ा शुरू किया गया। उपसंचालक चकबन्दी/अपर जिलाधिकारी वित्त राजस्व ने पूर्व में निर्गत आदेश को साक्ष्यों के आधार पर निरस्त करते हुए पुनः 08 अप्रैल 2024 को ग्राम सभा की सरकारी नवीन परती जमीन के रूप में दर्ज करने का आदेश पारित कर दिया जिसके बाद यह जमीन पुनः सरकार/ग्राम सभा के खाते में नवीन परती के रूप में खतौनी में आज दर्ज हो गई है।