झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र भेजा, जिसमें हिंसा प्रभावित मणिपुर में महिलाओं के “अकथ्य अत्याचार” पर अपना दर्द व्यक्त किया और उनसे पूर्वोत्तर राज्य में सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया। पूर्वोत्तर राज्य में महिलाओं को नग्न करने का वीडियो सामने आने के कुछ दिनों बाद उन्होंने पत्र में कहा कि देश मणिपुर में आदिवासियों के साथ “बर्बर तरीके” से व्यवहार करने की इजाजत नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि मणिपुर से दिल दहला देने वाले वीडियो सामने आ रहे हैं, राज्य में लोकतांत्रिक शासन का अभूतपूर्व पतन देखने को मिल रहा है। सोरेन ने क्या लिखा अपने पत्र में सोरेन ने लिखा कि क्रूरता के सामने चुप्पी एक भयानक अपराध है और इसलिए मैं आज मणिपुर राज्य में जारी हिंसा पर भारी मन और गहरी पीड़ा के साथ आपको लिखने के लिए मजबूर हूं। उन्होंने कहा कि मैं मणिपुर में बढ़ती स्थिति के बारे में बहुत व्यथित और चिंतित हूं। सोरेन ने पत्र में कहा, मणिपुर ”दो महीने से जल रहा है, दिल दहला देने वाले वीडियो सामने आ रहे हैं” और पूर्वोत्तर राज्य में ”लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में अभूतपूर्व गिरावट” है। उन्होंने राष्ट्रपति से मणिपुर के लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने और वहां शांति बहाल करने का आग्रह किया। मणिपुर में जारी है हिंसा सोरेन ने कहा कि मणिपुर और भारत के सामने आने वाले संकट की इस सबसे काली घड़ी में, हम आपको आशा और प्रेरणा के अंतिम स्रोत के रूप में देखते हैं जो इस कठिन समय में मणिपुर के लोगों और भारत के सभी नागरिकों को रोशनी दिखा सकते हैं। आपको बता दें कि मणिपुर में 3 मई से इम्फाल घाटी में केंद्रित बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और पहाड़ियों पर कब्जा करने वाले आदिवासी कुकी के बीच जातीय झड़पें हो रही हैं। मई की शुरुआत में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोगों की जान चली गई है, और कई लोग घायल हुए हैं, जब मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) की स्थिति की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था।
देश विदेश
महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जरूरत इस बात की है कि दोषियों को जल्द से जल्द और कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाये लेकिन सत्ताधारी पार्टियां और विपक्ष महिलाओं से जुड़े मुद्दे को लेकर अपनी-अपनी राजनीति कर रहे हैं। विपक्षी दल जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की घटना को लेकर भाजपा पर निशाना साध रहे हैं तो वहीं भाजपा, कांग्रेस नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साध रही है। मणिपुर में जो हुआ वह बिल्कुल गलत था लेकिन अब पश्चिम बंगाल के माल्दा, बिहार के बेगूसराय और राजस्थान के करौली तथा अन्य इलाकों से जिस प्रकार की खबरें आ रही हैं वह दर्शा रही हैं कि नारी के प्रति असम्मान बढ़ता जा रहा है और सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं। बहरहाल, मणिपुर की घटना को लेकर जो लोग पुतले फूंक रहे हैं, कैंडल मार्च निकाल रहे हैं और सोशल मीडिया पर तरह तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं उनसे सवाल यह है कि वह राजस्थान, पश्चिम बंगाल और बिहार की घटनाओं पर चुप क्यों हैं? नारी का सम्मान समान ही होता है चाहे वह इस राज्य की हो या उस राज्य की। लेकिन किसी खास पार्टी द्वारा शासित राज्य में महिला विरोधी अपराध के खिलाफ कैंडल मार्च निकाले जायें, पुरस्कार वापस करने का ऐलान किया जाये और किसी दूसरी पार्टी द्वारा शासित राज्य में महिला के खिलाफ अपराध की घटना पर आंखें बंद कर ली जायें और मुँह सिल लिया जाये, यह तो ठीक नहीं है। इससे राजनीतिज्ञों और समाज का दोगलापन ही सामने आता है। बंगाल की बात करें तो आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल में कुछ दिन पहले दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर यातना दी गई और पुलिस ‘‘मूकदर्शक’’ बनी रही। भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख और पश्चिम बंगाल भाजपा के सह प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि घटना को 19 जुलाई को मालदा जिले में उस भीड़ ने अंजाम दिया जो ‘‘उनके (महिला के) खून की प्यासी’’ थी। उन्होंने कथित अपराध की धुंधली तस्वीरों के साथ एक वीडियो भी साझा किया। मालवीय ने मणिपुर की घटना पर मुखर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘यह एक ऐसी त्रासदी थी जिससे ममता बनर्जी का दिल ‘टूट’ जाना चाहिए था और वह केवल आक्रोश जताने के बजाय कार्रवाई कर सकती थीं, क्योंकि वह बंगाल की गृह मंत्री भी हैं।’’ अमित मालवीय ने ममता बनर्जी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उन्होंने (ममता ने) मामले में कुछ नहीं करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, ‘‘न तो उन्होंने बर्बरता की निंदा की और न ही दर्द एवं पीड़ा व्यक्त की क्योंकि इससे एक मुख्यमंत्री के रूप में उनकी खुद की विफलता उजागर होती।’’ इस मामले में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी हमला बोलते हुए कहा है कि ममता दीदी के मन से ममता बिल्कुल खत्म हो गयी है। दूसरी ओर, बिहार से सामने आई घटना बेगूसराय जिले की है जहां एक नाबालिग लड़की और पुरुष के कथित तौर पर आपत्तिजनक स्थिति में पकड़े जाने के बाद तीन व्यक्तियों द्वारा उन्हें निर्वस्त्र करके उनकी पिटाई करने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि इस मामले में पहली गिरफ्तारी मुख्य आरोपी किशनदेव चौरसिया की हुई है। साथ ही मामले में 4 आरोपियों के खिलाफ FIR कराई गयी है। आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत FIR कराई गयी है। हम आपको बता दें कि शुक्रवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया जिसमें तीन व्यक्ति नाबालिग लड़की और पुरुष की पिटाई करते और उनको निर्वस्त्र करते दिख रहे हैं। वीडियो में दिखाई दे रहे पुरुष की पहचान एक संगीत शिक्षक के तौर पर की गई है जिसकी आयु 40 से 50 के बीच है। बेगूसराय के पुलिस अधीक्षक योगेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘पीड़िता के बयान के आधार पर हमने संगीत शिक्षक को गिरफ्तार किया गया है। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67बी और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।’’ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नाबालिग और आरोपी की पिटाई करने वाले तीन आरोपियों की तलाश की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच में खुलासा हुआ कि घटना गत बृहस्पतिवार की है। योगेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘पुलिस वीडियो की जांच कर रही है और घटनास्थल से मिले दो व्यक्तियों के कपड़ों और अन्य सामान को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।’’ उन्होंने बताया कि मामले की जांच करने के लिए एक वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी की देखरेख में जांच टीम गठित की गई है। योगेंद्र कुमार ने बताया, ‘‘पीड़िता की चिकित्सा जांच भी कराई जा रही है। उसका बयान भी मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराया जाएगा।’’ वहीं तीसरी ओर, महिला विरोधी अपराधों के मामले में राजस्थान के देश में पहले नंबर पर पहुँचने से अशोक गहलोत सरकार घिर गयी है। भाजपा का आरोप है कि राजस्थान में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और पूरे प्रदेश में जंगलराज है। भाजपा का आरोप है कि सरकार और पुलिस प्रशासन घटनाओं को दबाने में लगे हैं। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर का तो यहां तक कहना है कि मुख्यमंत्री जनता के बीच विश्वास खो चुके हैं। वहीं एनसीआरबी आंकड़ों को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री का कहना है कि भाजपा आंकड़ों को घुमा कर पेश कर रही है। उन्होंने कहा है कि हमने राजस्थान में यह व्यवस्था की है कि कोई भी आसानी से शिकायत या एफआईआर करा सकता है जबकि अन्य प्रदेशों में इसका अभाव है।
केंद्र ने 2020 और 2021 के बीच किसानों के आंदोलन की अवधि के दौरान ब्लॉक करने के लिए कहे गए 3,750 यूआरएल में से 167 को हटाने में विफल रहने के बाद शुक्रवार को ट्विटर को महत्वपूर्ण परिणाम भुगतने की चेतावनी के साथ नोटिस देना स्वीकार कर लिया। हालांकि, उसने विरोध के दौरान अधिकृत छापे मारने या ट्विटर के कार्यालय को बंद करने की धमकी देने से इनकार किया। सरकार ने कहा कि उन यूआरएल को ब्लॉक करने का निर्देश सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के बाद दिया गया था। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में संसद को बताया कि सरकार ने 27 जून, 2022 को ट्विटर को नोटिस जारी किया, जिससे उन्हें पूरी तरह से अनुपालन करने का अवसर मिला, ऐसा न करने पर उन्हें आईटी अधिनियम, 2000 में उल्लिखित महत्वपूर्ण परिणामों का सामना करना पड़ता। इस नोटिस के बाद, ट्विटर ने आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 69 ए के तहत जारी किए गए सभी अवरोधक निर्देशों का अनुपालन किया। केंद्रीय मंत्री ने किसी भी सोशल मीडिया अकाउंट से उपयोगकर्ताओं के डेटा के अनुरोध से भी इनकार किया। ट्विटर के पूर्व सीईओ और सह-संस्थापक जैक डोर्सी ने भारत सरकार पर सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से पोस्ट और खातों को हटाने का निर्देश देने का आरोप लगाते हुए एक विवाद खड़ा कर दिया था। इसके साथ ही कहा था कि हम भारत में ट्विटर को बंद कर देंगे, आपके कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी करेंगे।
AAP से गठबंधन के खिलाफ Punjab Congress, प्रताप सिंह बाजवा बोले- मल्लिकार्जुन खड़गे से करूंगा मुलाकात
2024 चुनाव को लेकर विपक्षी एकता की कवायद पूरी तरीके से जारी है। विपक्षी एकता के मंच को इंडिया नाम दिया गया है। भले ही राष्ट्रीय स्तर पर नेता एक साथ फोटो खींचा रहे हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर उनके बीच वार-पलटवार का दौर जारी है। पंजाब में भी यही देखने को मिला है। पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक दूसरे के खिलाफ है। इन सबके बीच पंजाब कांग्रेस आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के पूरी तरीके से खिलाफ है। पंजाब कांग्रेस के नेताओं का साफ तौर पर कहना है कि हम यहां लगातार अकेले दम पर चुनाव लड़ते रहे हैं। हम यहां की मुख्य पार्टी रहे हैं। हमें आम आदमी पार्टी से मुकाबला करना है ।ऐसे में हम उनसे गठबंधन कैसे कर सकते हैं। गठबंधन का विरोध पंजाब विधानसभा में कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन का खुलकर विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि मैं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात करूंगा और इस विषय पर पूरी बात रखूंगा। उन्होंने अपने बयान में कहा कि कांग्रेस लंबे समय से पंजाब की दो प्रमुख पार्टियों में से एक रही है। लोग बदलाव चाहते थे, वे इन लोगों (आप) को सत्ता में लाए और लोगों को परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब आर्थिक, कानून व्यवस्था और अन्य तरह से पीड़ित रहा है। मुझे यकीन है कि 2024 के संसदीय चुनावों में कांग्रेस बड़े अंतर से वापस आएगी। खड़गे से होगी मुलाकात बाजवा ने कहा कि एक गठबंधन का नेतृत्व भाजपा कर रही है और दूसरे का नेतृत्व कांग्रेस कर रही है, इसलिए जब वे अपना वोट डालेंगे तो वह या तो भाजपा के लिए होगा या कांग्रेस के लिए।उन्होंने कहा कि AAP का कहीं भी पता नहीं। हमें AAP के साथ गठबंधन क्यों करना चाहिए? इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस इकाई इसके (आप के साथ गठबंधन बनाने) पूरी तरह से खिलाफ है… मैं सोमवार को मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलूंगा और उनसे उनके (आप के साथ) गठबंधन नहीं करने का अनुरोध करूंगा। हम पहले भी उनके साथ गठबंधन में नहीं थे और भविष्य में भी नहीं रहेंगे।
नई दिल्ली चीन की मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों ने सीमा शुल्क व जीएसटी के रूप में 9,000 करोड़ की कर चोरी की है। सरकार इसमें से 1,629 करोड़ की वसूली कर चुकी है। वर्ष 2017-18 से अब तक आंकड़ों के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने यह जानकारी दी। चीनी मोबाइल कंपनियों की तरफ से भारत में निवेश, रोजगार और कर से जुड़े सवाल का लिखित जवाब देते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि ओप्पो ने सबसे ज्यादा 5,086 करोड़ की कर चोरी की है। इसमें 4,403 करोड़ सीमा शुल्क व 683 करोड़ जीएसटी के शामिल हैं। वीवो ने 2,923.25 करोड़, शाओमी ने 851.14 करोड़ रुपये की कर चोरी की। 1.5 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया चंद्रशेखर ने बताया कि ओप्पो की 4,389 के सीमा शुल्क की चोरी में से 1,214.83 करोड़ की वसूली की गई है। वहीं, वीवो से 168.25 करोड़ और शाओमी से 92.8 करोड़ वसूले गए। चीनी कंपनियों का 2021-22 में कुल टर्नओवर करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये रहा। इन कंपनियों ने 75,000 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व 80,000 हजार को अप्रत्यक्ष रोजगार मुहैया कराया है। 22 देशों ने रुपये में व्यापार करने के लिए भारत में खोले विशेष बैंक खाते सरकार ने शुक्रवार को संसद बताया कि 22 देशों के बैंकों ने स्थानीय मुद्रा में व्यापार करने के लिए भारतीय बैंकों में विशेष खाते खोले हैं। लोकसभा में एक लिखित जवाब में केंद्रीय राज्य मंत्री (विदेश मामले) राजकुमार रंजन सिंह ने यहां खाता खोलने वाले देशों की जानकारी दी। वर्ष 2022-23 में पहली बार एक लाख करोड़ से ज्यादा का रक्षा उत्पादन भारत में वर्ष 202-23 में पहली बार एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के रक्षा उपकरणों का उत्पादन किया गया। रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा कि सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन व निर्माण को प्रोत्साहित किया है। इसके लिए एमएसएमई व स्टार्टअप को मौका दिया जा रहा है। देश में रक्षा उपकरण निर्माण व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कारोबारी सुगमता को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सिलेंस , प्रौद्योगिकी विकास कोष जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं। देश में 22 फीसदी घटा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 22 फीसदी की गिरावट हुई। वाणिज्य व उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने बताया कि वैश्विक मंदी की आहट व रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनियाभर में निवेश में कमी आई है। सिंगापुर, अमेरिका व ब्रिटेन जैसे देशों की जीडीपी वृद्धि में गिरावट भी एक वजह हैैं। 2022-23 में 70.79 अरब डॉलर एफडीआई के तौर पर आए, जबकि इससे पहले 2021-2022 में 84.84 अरब डॉलर का निवेश आया। हालांकि, 2022-23 के आंकड़े अभी अनंतिम हैं, जिनमें बदलाव हो सकता है। उन्होंने कहा, दुनियाभर के ज्यादातर देश महामारी के बाद घरेलू उद्योगों के लिए संरक्षणवादी उपाय कर रहे हैं।
नई दिल्ली गोवा में जी 20 ऊर्जा मंत्रियों की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की ओर से हरित विकास और एनर्जी ट्रांजिशन के क्षेत्र में भारत की ओर से किए जाने वाले बड़े प्रयासों की चर्चा की। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत सबसे अधिक आबादी वाला राष्ट्र है और दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, फिर भी हम अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं पर दृढ़ता से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमने 9 साल पहले अपने गैर-जीवाश्म, स्थापित विद्युत क्षमता लक्ष्य को हासिल कर लिया। हमने अब एक उच्च लक्ष्य निर्धारित किया है, हम 2030 तक 50% गैर-जीवाश्म स्थापित क्षमता प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं। भारत सौर और पवन ऊर्जा के मामले में वैश्विक लीडर्स में से एक है।” पीएम ने कहा, “हमने इस साल 20% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल का रोलआउट शुरू किया है, हमारा लक्ष्य 2025 तक पूरे देश को कवर करना है। हमें प्रौद्योगिकी अंतराल को पाटने, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने और आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाने के तरीकों को खोजने की जरूरत है।”
गुवाहाटी असम में अब दो अक्तूबर से एक लीटर से कम की पानी पीने की बोतलों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा साथ ही सिंगल-यूज प्लास्टिक पर पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू किया जाएगा। यह पर्यावरण के हित में एक बड़ा फैसला है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में शुक्रवार को गुवाहाटी के जनता भवन में आयोजित राज्य कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। सीएम बोले– सख्ती से प्रतिबंधों का पालन करेंगे मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2021 के अनुसार एक लीटर से कम की पीईटी से बनी पेयजल बोतलों पर प्रतिबंध और एकल-उपयोग प्लास्टिक प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने को मंजूरी दे दी है। अक्तूबर 2024 से राज्य में 2 लीटर से कम की बोतलें भी बैन हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि प्रतिबंध इस साल दो अक्टूबर से प्रभावी होगा, जिसमें तीन महीने की ट्रांजिशन अवधि प्रदान की जाएगी। पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट या पीईटी एक प्रकार का पॉलिएस्टर है जिसका व्यापक रूप से प्लास्टिक की बोतलों, ग्लासों और अन्य उत्पादों के उत्पादन में उपयोग किया जाता है। यह अपनी मजबूती, लचीलेपन और रासायनिक प्रतिरोध के लिए जाना जाता है। बाढ़ से जुड़ी परियोजना को दी गई मंजूरी कैबिनेट बैठक में, एडीबी-सहायता प्राप्त ‘जलवायु लचीला ब्रह्मपुत्र एकीकृत बाढ़ और नदी तट कटाव जोखिम प्रबंधन परियोजना’ के पहले चरण के लिए समेकित प्रशासनिक मंजूरी दी गई है। इसे 2,097.88 करोड़ रुपये की लागत से असम की बाढ़ और नदी कटाव प्रबंधन एजेंसी के माध्यम से इस परियोजना को पूरा किया जाएगा। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि इस परियोजना के तहत तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, मोरीगांव, कामरूप और गोलपारा जिलों में संवेदनशील इलाकों में ब्रह्मपुत्र नदी के मुख्य प्रवाह में एकीकृत बाढ़ और नदी तट कटाव जोखिम प्रबंधन गतिविधियां शुरू की जाएंगी। कुल 72.7 किमी कटावरोधी कार्य और 3.27 किमी तटबंध कार्य पर विचार किया गया है। बिजली शुल्क की छूट को मंजूरी दी नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए, कैबिनेट ने 1 अप्रैल, 2023 से तीन साल की अवधि के लिए उपभोक्ता द्वारा कैप्टिव खपत पर ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न बिजली पर बिजली शुल्क की छूट को मंजूरी दे दी। असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड को 265.29 करोड़ रुपये की लक्षित सब्सिडी को मंजूरी दी गई, जो 1 अप्रैल से खुदरा टैरिफ में संशोधन के कारण आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को टैरिफ राहत प्रदान करेगी। एलईडी बल्बों के मुफ्त वितरण को भी मंजूरी दी कैबिनेट ने ऊर्जा खपत को कम करने में मदद के लिए 130 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर लगभग 50 लाख निचले स्तर के घरों
नई दिल्ली वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2023 है। सरकार ने लगभग साफ कर दिया है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने का दायरा बढ़ाया नहीं जाएगा, ऐसे में अगर आप की आमदनी रिटर्न फाइल करने के दायरे में आती है 31 जुलाई 2023 तक अपना रिटर्न हर हाल में भर लें नहीं तो परेशानी उठानी पड़ सकती है और जुर्माना भरना पड़ सकता है। हालांकि आप विलंब से रिटर्न दाखिल करने का विकल्प 31 दिसंबर, 2023 तक उपलब्ध रहेगा पर उसके लिए आपको जुर्माना भरना पड़ेगा। पांच लाख रुपये से अधिक की कुल आय वाले व्यक्तियों को देर से ITR फाइल करने पर 5000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। आईटीआर के सीजन में अक्सर नौकरीपेशा लोग इस बात को लेकर कन्फ्यूज रहते हैं कि उन्हें किस आईटीआर फॉर्म का इस्तेमाल करना है। इसी उधेड़बुन में लोग समय रहते आईटीआर भरने से चूक जाते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि यदि आप नौकरीपेशा व्यक्ति हैं तो आपको किस आईटीआर का इस्तेमाल करना चाहिए। आईटीआर-1 फॉर्म क्या है, इसे कौन लोग दाखिल कर सकते हैं? यह सबसे लोकप्रिय, सरल और सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला आईटीआर फॉर्म है, इसलिए इस बात पर संशय सबसे ज्यादा रहती है कि कौन लोग इस फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं और कौन नहीं? आईटीआर-1 का उपयोग वैसे व्यक्ति कर सकते हैं जो भारत के निवासी है और जिनकी आय का साधन केवल वेतन व अन्य स्रोतों से होने वाली आमदनी है। ऐसे लोग जिनके पास केवल एक ही घर है जिनकी कुल आय सालाना पचास लाख से अधिक नहीं है। वे भी आईटीआर-1 का इस्तेमाल कर सकते हैं। आईटीआर-1 फॉर्म का इस्तेमाल कौन लोग नहीं कर सकते है? ऐसे एक व्यक्ति और एचयूएफ जिनकी आमदनी नौकरी से होने वाली आय नहीं है वे आईटीआर -1 का उपयोग नहीं कर सकते हैं। यदि एनआरआई हैं तो आप आईटीआर-1 का उपयोग नहीं कर सकते हैं। इसी तरह, यदि आपके पास एक से अधिक संपत्ति है, चाहे व स्वयं के कब्जे में हो या किराये पर तो आप आईटीआर -1 का उपयोग नहीं कर सकते हैं। वे सभी व्यक्ति जो किसी कंपनी में निदेशक पद हैं या किसी भी गैर-सूचीबद्ध कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं वे भी आईटीआर -1 का उपयोग नहीं कर सकते हैं। यदि आप भारत के बाहर मौजूद किसी खाते में प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता हैं तो भी आप आईटीआर1 का इस्तेमाल नहीं करते हैं। ऐसे लोग जिनके पास देश के बाहर कोई संपत्ति है या किसी संपत्ति से आमदनी है वे भी आईटीआर-1 फॉर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। किसी किसी व्यक्ति की खेती से सालाना 5000 रुपये से अधिक की आमदनी है तो भी वह व्यक्ति आईटीआर 1 का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। यदि आपने वर्ष के दौरान कोई लॉटरी जीती है, तो तो भी आईटीआर फॉर्म का उपयोग नहीं कर सकते हैं। इसके अलावे वे सभी जो रेसहॉर्स के मालिक हैं और उनका रखरखाव करते हैं, वे भी आईटीआर -1 दाखिल करने के लिए पात्र नहीं हैं। यदि आपने वर्ष के दौरान कोई लॉटरी जीती है, तो आप इस आईटीआर फॉर्म का उपयोग नहीं कर सकते हैं। इसी तरह, वे सभी जो रेसहॉर्स के मालिक हैं और उनका रखरखाव करते हैं, वे आईटीआर -1 दाखिल करने के लिए पात्र नहीं हैं। यदि आपके पास “अन्य स्रोतों से आय” शीर्षक के तहत आय है और ऐसी आय के खिलाफ किसी भी कटौती का दावा करना चाहते हैं, तो आप इस सरल आईटीआर -1 का उपयोग करने की सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते हैं, हालांकि ऐसे व्यक्ति जो पारिवारिक पेंशन के रूप में अधिक 15000 रुपये की पेंशन का दावा करने के हकदार हैं वे आईटीआर 1 का उपयोग कर सकते हैं। आईटीआर-2 फॉर्म का इस्तेमाल कौन कर सकता है? आईटीआर-2 का उपयोग वे सभी लोग कर सकते हैं जो आईटीआर-1 का उपयोग करने के पात्र नहीं हैं और जिनकी कोई व्यावसायिक या पेशेवर आय नहीं है। संक्षेप में कहा गया है कि आईटीआर-2 का उपयोग ऐसे किसी व्यक्ति या एचयूएफ द्वारा नहीं किया जा सकता है, जिसके पास कोई व्यावसायिक या पेशेवर आय है। एचयूएफ आईटीआर-2 भी फाइल कर सकता है अगर उसकी कोई कारोबारी आय नहीं है। यहां आय में नुकसान भी शामिल है और यदि आपको अपने व्यवसाय में कोई नुकसान हुआ है, तो भी आप आईटीआर -2 का उपयोग नहीं कर सकते हैं। आपके लिए आईटीआर-3 या आईटीआर-4 का उपयोग करना ज्यादा आसान होगा। इस फॉर्म का उपयोग उन व्यक्तियों की ओर से भी किया जा सकता है जो एक फर्म में भागीदार हैं लेकिन अपने नाम पर कोई व्यवसाय या पेशा नहीं कर रहे हैं। फॉर्म आईटीआर-3 फॉर्म का इस्तेमाल कौन कर सकता है?...
नई दिल्ली नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने भारत के पहले निजी हिल स्टेशन लवासा को डार्विन प्लेटफॉर्म इंफ्रास्ट्रक्चर को बेचने की मंजूरी दे दी है। एनसीएलटी के आदेश में प्रस्तुत समाधान योजना को डार्विन के कर्जदाताओं की ओर से हरी झंडी मिलने बाद एनसीएलटी ने लवासा को बेचने की मजूरी दी है। राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने निजी हिल स्टेशन लवासा के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू होने के लगभग पांच साल बाद 1,814 करोड़ रुपये की समाधान योजना को मंजूरी दी है। इसमें आठ वर्षों में 1,814 करोड़ रुपये के भुगतान की परिकल्पना की गई है। इस समाधान योजना में कर्जदाताओं को 929 करोड़ रुपये और घर खरीदारों को पूरी तरह से निर्मित घरों को मुहैया कराने पर 438 करोड़ रुपये खर्च करना शामिल है। 837 होमबायर्स ऐसे हैं जिनके दावे स्वीकार कर लिए गए हैं। उनके स्वीकार किए गए दावों में कुल 409 करोड़ रुपये हैं। कंपनी ने कर्जदाताओं और परिचालन कर्जदाताओं सहित कुल 6,642 करोड़ रुपये का दावा स्वीकार किया है। डार्विन प्लेटफॉर्म इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (डीपीआईएल) लवासा कॉरपोरेशन लिमिटेड के लिए विजेता बोलीदाता बनी है। यह कंपनी मुख्य रूप से पुणे में निजी हिल स्टेशन के व्यवसाय में है। न्यायाधिकरण ने शुक्रवार को पारित 25 पेज के आदेश में 1,814 करोड़ रुपये के निवेश की समाधान योजना को मंजूरी दी। आदेश में कहा गया, ‘इस राशि में 1,466.50 करोड़ रुपये की समाधान योजना राशि शामिल है, जिससे कॉरपोरेट कर्जदार को किश्तों में दिए गए धन के लिए भुगतान किया जाएगा।’ समाधान योजना को एक निगरानी समिति की देखरेख में लागू किया जाएगा। इस समिति में दिवाला पेशेवर, वित्तीय ऋणदाता और डार्विन प्लेटफॉर्म का एक-एक प्रतिनिधि शामिल होगा। एनसीएलटी ने कहा, “समाधान योजना संहिता के साथ ही विनियमनों के तहत सभी जरूरी वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करती है। हम इसे मंजूरी देते हैं।” दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत दिवाला समाधान प्रक्रिया अगस्त 2018 में शुरू की गई थी।
गाज़ीपुर: बिरनो थाना परिसर में वृक्षारोपण जन आन्दोलन 2023 के तहत पौधरोपण किया...