जरवल/बहराइच। हैरत की बात है न की बगैर शोर शराबा के नगर पंचायत जरवल की...
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पयागपुर/बहराइच l उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्राथमिक एवं संविलियन विद्यालयों में मिड डे...
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की सूचना के बाद पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में यमुना नदी का जल स्तर 205.33 मीटर के खतरे के निशान के आसपास मंडरा रहा है। दिल्ली के कई इलाके पिछले एक हफ्ते से भी अधिक समय से भीषण जलभराव और बाढ़ के कारण अभी भी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। दिल्ली में यमुना का जलस्तर शुक्रवार को पुराने रेलवे ब्रिज पर खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गया। लेकिन फिर, शनिवार की सुबह यह फिर से सीमा से नीचे गिर गया। बताया जा रहा है कि हथनीकुंड बैराज से भारी मात्रा पानी छोड़े जाने के बाद दिल्ली एनसीआर में अलर्ट जारी किया गया है। सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों के मुताबिक, यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज पर सुबह 9 बजे प्रवाह दर 1.47 लाख क्यूसेक थी, जो 13 जुलाई के बाद सबसे अधिक है। इसके बाद दिल्ली सरकार ने निचले इलाकों के निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए। अधिकारियों ने कहा कि उत्तरी पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश से नदी में जल स्तर फिर से बढ़ सकता है, जिससे दिल्ली के बाढ़ प्रभावित निचले इलाकों में पुनर्वास प्रयासों में और देरी होगी। 13 जुलाई को 208.66 मीटर पर, यमुना ने सितंबर 1978 में बनाए गए 207.49 मीटर के अपने पिछले रिकॉर्ड को एक महत्वपूर्ण अंतर से पीछे छोड़ दिया। इसने तटबंधों को तोड़ दिया और शहर में पिछले चार दशकों की तुलना में अधिक गहराई तक घुस गया। यमुना का जलस्तर बढ़ने से दिल्ली में पानी की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है। पिछले हफ्ते, बढ़ते जल स्तर के कारण वजीराबाद में एक पंपिंग स्टेशन में बाढ़ आ गई, जो वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला जल उपचार संयंत्रों को कच्चे पानी की आपूर्ति करता है, जो दिल्ली की जल आपूर्ति का लगभग 25 प्रतिशत है।
नयी दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने भारतीय भाषाओं को एक वैकल्पिक शिक्षण माध्यम के रूप में उपयोग करने के सिलसिले में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा विद्यालयों को पत्र लिखे जाने की शनिवार को सराहना करते हुए इसे एक महत्वपूर्ण सुधार बताया। नड्डा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृमें शिक्षा प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया गया है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि यह साबित हो चुका है कि शुरूआती वर्षों में मातृ में बच्चे तेजी से सीखते-समझते हैं। सीबीएसई ने बहुभाषी शिक्षा को हकीकत में तब्दील करने के लिए निर्देश (शिक्षण) के एक वैकल्पिक माध्यम के रूप में भारतीय भाषाओं का उपयोग करने पर विद्यालयों को विचार करने को कहा है। बोर्ड ने उल्लेख किया है कि शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीआरटी) द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत कई भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने के उपाय किये गये हैं, जिसके बाद सीबीएसई ने अपने स्कूलों को उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने को कहा है।
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मथुरा। खण्ड विकास कार्यालय,नौहझील पर आज दोपहर ब्लॉक प्रमुख श्रीमती सुमन चौधरी की देखरेख...
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मथुरा। श्री तिलकद्वार अग्रवाल धर्मशाला समिति के नव निर्वाचित पदाधिकारियों और कार्यकारिणी सदस्यों ने...