October 24, 2024

देश विदेश

उरई। जिलाधिकारी चाँदनी सिंह ने महिला कल्याण विभाग, मिशन वात्सल्य के तहत गठित जिला बाल...
उरई। जिलाधिकारी चाँदनी सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में सांख्यिकी आंकड़ों के संग्रहण...
पिछले नौ वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सत्तारुढ़ भाजपा नीत एनडीए गठबंधन को चुनौती देने के लिए कांग्रेस सहित देश के 26 विपक्षी दलों के नेताओं ने एक नए राजनीतिक गठबंधन बनाने की घोषणा की है। बेंगलुरु में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में शामिल हुए दलों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के स्थान पर इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के नाम पर एक नया गठबंधन बनाया है। विपक्ष के इंडिया गठबंधन के संयोजक की घोषणा अभी तक नहीं हो पाई है। विपक्ष का कहना है कि उनका इंडिया गठबंधन पहले के यूपीए की तुलना में अधिक मजबूत है। इसमें ऐसे राजनीतिक दल भी शामिल हैं जो अभी तक आपस में एक दूसरे के विरोधी रहे हैं। कांग्रेस के धुर विरोधी रहे अरविंद केजरीवाल इंडिया गठबंधन में शामिल हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के कट्टर विरोधी वामपंथी दल व कांग्रेस भी इंडिया गठबंधन में एक साथ शामिल हुए हैं। केरल में आमने-सामने चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस व वामपंथी दल एकजुट नजर आ रहे हैं। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, मराठा क्षत्रप शरद पवार, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, अरविंद केजरीवाल, फारूक अब्दुल्ला, हेमंत सोरेन, एमके स्टालिन, सीताराम येचुरी, डी राजा, अखिलेश यादव, महबूबा मुफ्ती सहित बहुत से वरिष्ठ नेता शामिल हैं। इंडिया गठबंधन के पास अभी लोकसभा की कुल 142 सीटें हैं। मगर गठबंधन में शामिल 11 दलों का तो लोकसभा में एक भी सांसद नहीं हैं। इस गठबंधन में शामिल पार्टियों की अभी देश के 11 प्रांतों में सरकार चल रही है। जिनमें कांग्रेस की चार प्रदेशों कर्नाटका, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश में वहीं जनता दल (यूनाइटेड) व राष्ट्रीय जनता दल की बिहार में, तृणमूल कांग्रेस की पश्चिम बंगाल में, झारखंड मुक्ति मोर्चा की झाारखण्ड में, आम आदमी पार्टी की दिल्ली व पंजाब में, द्रविड़ मुनेत्र कषगम की तमिलनाडु मे, वामपंथी दलों की केरल में सरकार है। इंडिया गठबंधन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम, आम आदमी पार्टी (आप), जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार), शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल (कमेरावादी), जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कझगम (एमडीएमके), विदुथालाई चिरुथैगल कच्ची (वीसीके), कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके), मनिथानेय मक्कल काची (एमएमके), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस (मणि), केरल कांग्रेस (जोसेफ) शामिल हैं। इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस को छोड़ कर अन्य राजनीतिक दलों का अपने-अपने प्रदेशों में ही प्रभाव है। यदि इंडिया गठबंधन में शामिल सभी दल अपने पुराने मतभेद भुलाकर एकजुटता से चुनाव लड़ते हैं और आपसी समझदारी से सीटों का बंटवारा कर भाजपा के समक्ष एक ही उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारते हैं तो निश्चित रूप से भाजपा को कड़ी चुनौती दे पाएंगे। हालांकि इंडिया गठबंधन में 26 राजनीतिक दल तो शामिल हो गए हैं। लेकिन उनमें अभी भी चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर संशय बरकरार है। आम आदमी पार्टी चाहती है कि दिल्ली व पंजाब को कांग्रेस उनके लिए छोड़ दे। बदले में अन्य प्रदेशों में आप कांग्रेस के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारेगी। यही स्थिति पश्चिम बंगाल में है जहां ममता बनर्जी चाहती है कि कांग्रेस व वामपंथी दल उनके खिलाफ चलाए जा रहे अपने राजनीतिक अभियानों को रोककर उनका सहयोग करें ताकि भाजपा को हराया जा सके। पटना में आयोजित हुयी 16 राजनीतिक दलों की मीटिंग से भाजपा में भी हलचल मच गई थी। इसी कारण बेंगलुरु मीटिंग के दिन ही भाजपा ने नई दिल्ली में एनडीए गठबंधन की बैठक का आयोजन किया और उसमें छोटे बड़े मिलाकर 38 दलों के नेताओं को शामिल किया था। इतना ही नहीं उस बैठक में पूरे समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे थे। केंद्र में दूसरी बार सत्तारुढ़ होने के बाद भाजपा ने शायद पहली बार एनडीए गठबंधन की बैठक बुलाई थी। वह भी उस स्थिति में जब उनको लगने लगा कि विपक्षी दलों का गठबंधन राजनीतिक रूप से उनके गठबंधन से बड़ा होने जा रहा है। भाजपा ने एनडीए की बैठक में ऐसे दलों को भी शामिल किया जो हाल ही में एनडीए से जुड़े थे। एनडीए की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी दलों के नेताओं की बातें सुनीं और उन पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की बात भी कही। विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है और उसका पूरे देश में प्रभाव भी है। ऐसे में कांग्रेस के नेता चाहेंगे कि इस गठबंधन की कमान कांग्रेस के हाथों में रहे। जिससे सभी दलों में समन्वय बनाकर आगे बढ़ा जा सके। वैसे भी इंडिया गठबंधन में शामिल अधिकांश राजनीतिक दल पहले से ही यूपीए में शामिल थे। जिसका नेतृत्व कांग्रेस पार्टी कर रही थी। हालाँकि अरविन्द केजरीवाल, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार जैसे नेता नहीं चाहेंगे कि कांग्रेस को नए बने गठबंधन की कमान मिले।
स्किन की देखभाल करने के लिए हम सभी न जाने कितनी चीजों का उपयोग करते हैं। मानसून का सीजन शुरू होने के साथ ही हमारी त्वचा में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। ऐसे में कम कंफ्यूज हो जाते हैं और स्किन केयर रूटीन में बदलाव कर देते हैं। लेकिन मौसम चाहे जैसा भी हो स्किन केयर रूटीन को स्किप करने की भूल नहीं करनी चाहिए। स्किन केयर रुटीन को स्किप करने से भले ही उस समय त्वचा में कोई बदलाव न नजर आए। लेकिन कुछ समय बाद से ही आपको इसके परिणाम देखने को मिल सकते हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कुछ ऐसी गलतियां बताने वाले हैं, जो स्किन केयर करते समय करते हैं। बाद में पछताने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचता है। इस आर्टिकल में हम आपको मानसून में भी अपनी स्किन को हेल्दी और नैचुरली ग्लोइंग बनाने के कुछ टिप्स के बारे में बताने जा रहे हैं। मॉइस्चराइजर रोजाना सी.टी.एम रूटीन करना जरूरी होता है। वहीं मानसून में स्किन की नमी बढ़ जाती है। इससे स्किन तो हाइड्रेट नजर आती है, लेकिन मौसम में बदलाव होने की वजह से ऐसा लगता है। इसलिए मौसम चाहे जो हो, आपको स्किन केयर रूटीन में कभी भी मॉइश्चराइजर को स्किप करने की गलती नहीं करनी चाहिए। सनस्क्रीन बदलते मौसम में और मानसून में कभी ज्यादा धूप होती है तो कभी कम। ऐसे में कई बार हम सनस्क्रीन को अप्लाई करना स्किप कर देते हैं। आप घर में रहें या बाहर, लेकिन रोजाना चेहरे पर सनस्क्रीन जरूर अप्लाई करना चाहिए। इससे आपकी स्किन पर एक प्रोटेक्शन शील्ड बन जाती है। जो बाहरी प्रभाव से आपकी त्वचा को डैमेज होने से बचाती है। लिप केयर बदलते मौसम में होंठ जरूरत से ज्यादा फटने लगते हैं। या फिर कुछ ज्यादा ही हाइड्रेट हो जाते हैं। ऐसा इसलिए भी होता है कि डेली लिप केयर रूटीन पर ध्यान नहीं दिया जाता है। ऐसे में किसी भी मौसम में लिप केयर रूटीन को स्किप नहीं करना चाहिए। इसलिए सप्ताह में कम से कम 2-3 बार लिप स्क्रब का इस्तेमाल करने के साथ ही रोजाना लिप बाम लगाना चाहिए। शीट मास्क और सीरम स्किन में नमी बनाए रखने के लिए मौसम बदलने का इंतजार नहीं करना चाहिए। वहीं शीट मास्क और सीरम का इस्तेमाल आपके फेस को लंबे समय तदक एजिंग साइंस की समस्या से बचाता है। इसलिए आपको इन दोनों चीजों का इस्तेमाल करते रहना चाहिए। आप सप्ताह में 3 बार शीट मास्क लगा सकती हैं। तो वहीं रोजाना सीरम का इस्तेमाल फेस पर कर सकती हैं।
आपने अक्सर ऐसा देखा होगा कि 30 साल की उम्र के बाद से महिलाओं का वेट बढ़ने लगता है। बता दें कि वजन बढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। एक कारण जैसे हार्मोन्स में बदलाव का होना है। दरअसल, महिलाओं में प्यूबर्टी होने से लेकर बुजुर्ग होने तक शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। उम्र के बढ़ने के साथ ही हार्मोनल लेवल भी बदलता रहता है। ऐसे में क्या महिलाओं में 30 की उम्र के बाद हार्मोनल बदलाव के कारण ही मोटापा होता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब देने जा रहे हैं। साथ ही यह भी जानेंगे कि 30 की उम्र के बाद किस कारण से महिलाओं का वजन बढ़ने लगता है। हार्मोनल परिवर्तन बता दें कि यह बात सही है कि महिलाओं के वजन में 30 की उम्र के बाद से तेजी से बदलाव आने लगते हैं। इसका एक मुख्य कारण हार्मोनल परिवर्तन भी होता है। क्योंकि 30 साल की उम्र के बाद से महिलाओं के शरीर में एक्ट्रोजेन के लेवल में गिरावट आने लगती है। एस्ट्रोजेन पीरियड साइकिल को बैलेंस करने का काम करता है। वहीं एस्ट्रोजेन के लेवल में गिरावट होने के कारण महिलाओं में चिंता और तनाव जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। जिसके कारण मोटापा बढ़ने लगता है। मेटाबॉलिज्म कम होना इसके साथ ही 30 साल की उम्र के बाद से महिलाओं के शरीर में मेटाब़ॉलिज्म भी कम होने लगता है। जिसके कारण उनका वेट बढ़ने लगता है। वहीं न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं के खानपान का स्टाइल भी पूरी तरह से बदला है। महिलाएं घर का बना खाना खाने की जगह जंक फूड आदि खाना ज्यादा पसंद करती हैं। जिसके कारण मोटापा बढ़ना सामान्य बात है। वहीं मेटाबॉलिज्म कम होने और फूड हैबिट्स भी खराब होने पर वजन तेजी से बढ़ने लगता है। स्ट्रेस लेवल बढ़ना  बता दें कि 30 साल की उम्र तक आते-आते महिलाओं में स्ट्रेस का लेवल काफी ज्यादा बढ़ जाता है। स्ट्रेस बढ़ने का कारण उनका करियर और पर्सनल लाइफ भी हो सकती है। इसके साथ ही यदि कोई महिला की लाइफ स्टेबल न हो और वह अपनी लाइफ को सही से कंट्रोल नहीं कर पा रही हो। रिश्ते अच्छे न होने पर या ऑफिस का एनवायरमेंट सही न होने पर भी स्ट्रेस बढ़ने लगता है। कई रिपोर्ट्स में भी यह साबित हो चुका है कि स्ट्रेट बढ़ने पर मोटापा बढ़ता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि महिलाएं स्ट्रेस को कम करने के लिए स्मोकिंग करती हैं। वहीं गलत खानपान से भी वजन बढ़ता है। फिजिकली एक्टिविटी वहीं 30 साल की उम्र के बाद महिलाएं फिजिकल एक्टिविटी पर ज्यादा ध्यान नहीं देती है। वहीं वर्गिंक वूमेन एक जगह पर लंबे समय तक बैठकर अपना काम करती रहती हैं। अगर बात हाउस वाइफ की हो तो वह घर के कामों में इतना व्यस्त हो जाती हैं कि एक्सरसाइज के लिए उन्हें समय ही नहीं मिलता है। जिसके कारण 30 साल की उम्र के बाद उनका वेट बढ़ने लगता है।