दानव नहीं मानव बनें-पक्षियों को बचायें,चायनीज मांझे से पतंग न उडायें
ललितपुर- मकर संक्रांति के पर्व पर हम आसमान में पतंग उडाने में माझें का प्रयोग न करें।क्योंकि मांझे में कांच लगा होने के कारण आसमान में उडने वाले पक्षियों की बेवजह ही मौत हो जाती है। पतंग में लगे चायनीज मांझे से बेजुबा पक्षियों को नुकसान पहुंचता है। मकर संक्रांति यानी मौज मस्ती और रंगीन पतंगों का त्योहार है।पर क्या आप जानते हैं इस त्योहार के पीछे अंधकार है।हम पक्षियों को बचाएं मौज से पतंग न उडाएं। वर्तमान परिवेश में मकर संक्रांति के पर्व पर पतंगों में बांधा जाने वाला चाइनीज माझां पक्षियों के लिए बहुत ही खतरनाक है।इस माझें में कांच लगा होने के कारण पक्षी मांझे में फंसकर अपनी जान न्योछावर कर देते हैं।हम याद रखें कि कांच लगा हुआ माझां की पतंग जब हम आसमान में उड़ाते हैं तो उससे सैकड़ों पक्षी उस माझें में फस कर के मर जाते हैं। मकर संक्रांति हमारे लिए भले ही मौज मस्ती का दिन हो लेकिन आकाश में उड़ने वाले निरीह बेजुबान पक्षियों के लिए यह किसी प्रलय से कम नहीं है।पेड़ों में उलझा माझा साल भर इनको काटता रहता है एक ओर तो हम इन्हें दाना पानी देकर पुण्य कमाते हैं और दूसरी ओर इनकी मौत का सामान इकट्ठा करते हैं।पतंग संभालने के फेर में या कटी पतंग को पकड़ने के चक्कर में बच्चे तो क्या बड़े भी अपना संतुलन खो बैठते हैं और छतों से गिरकर वाहनों से टकराकर घायल हो जाते हैं। जीवन भर के लिए अपाहिज होते हैं या फिर बच्चे तो भोले एवं नादान होते हैं लेकिन बड़े भी क्यों बच्चे बन जाते हैं।ट्रेन से कटने, छत से गिरने वाहनों से कुचलने की घटनाओं से क्या हम अनजान हैं।जब पतंग कटकर गिरती है तो अपने कानों में तो बस यही आवाज सुनाई देती है वो कटा,वो मरा की गूंज रहती है। जबकि उसी समय अपनी जान की परवाह किए बिना बीच सड़क पर नन्हे-मुन्ने बच्चे दौड़ पड़ते हैं।जो निश्चित ही दुर्घटनाओं को आमंत्रित करते हैं और उस कटी डोर से ना जाने किस मासूम पक्षी के मां-बाप को काट दिया हो,मार दिया हो। हम उस समय होने वाली दुर्घटना के जिम्मेदार हैं।पतंग उड़ाते समय किसी भी सावधानी के बावजूद जब हमारी स्वयं की उंगलियां कट जाती हैं तो जिन वाहन चालकों के नाक, कान,गले आदि से रगड़ना होगा।यह माझा निकलता है उसके अंगों को कटने से कौन रोक सकता है।लोगों को लहूलुहान करने वाली तस्वीरें अगले दिन के समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया में छाई रहती हैं। यह त्यौहार लोगों को लहूलुहान करने का है।चाइनीज माझें में विशेष पदार्थ मिलाया जाता है जिससे यह मजबूत हो जाता है और सामान्य मांझे को बहुत जल्दी काट देता है इसी कारण पतंगबाज इसका उपयोग ज्यादा करते हैं।बिजली के तारों पर माझें की खींचतान से तार आपस में टकरा जाते हैं।जिससे बिजली तो गुल हो जाती है।माझें में लोहे का बुरादा होने से यह करंट लगने के कारण भी बनती है।प्रतिवर्ष करंट लगने से सैकड़ों घटनाएं घटती हैं।हर छोटे-बड़े शहर में एक दूसरे की पतंग काटने एवं लूटने को लेकर बहुत उन्माद जोश रहता है।कई बार यह उन्माद झगड़े का कारण भी बन जाता है।यह झगड़ा बच्चों से शुरू होकर बड़ों,परिवारों में होते हुए समूहों के बीच बदल जाता है।त्योहार तो भाईचारा एवं प्रेम बढ़ाने के लिए होते हैं।पर वह तो दूर हम तो शत्रुता को ही बढ़ाने वाले काम करते हैं।इसके दोषी हम स्वयं ही हैं।पतंग उड़ाने के साथ-साथ लोग आस-पड़ोस में रहने वाले बीमारों,वृद्धों की परवाह ही नहीं किए बिना पूरे जोर-शोर से गीत- संगीत बजाते हैं जो कि उनके लिए आसान पीड़ादायक है। यह त्योहार मात्र आपकी खुशी के लिए है। पक्षियों के लिए इस दिन उन्हें खुश रहने का अधिकार नहीं है। पक्षियों को मानव जैसा जीवन व्यतीत करने का अधिकार है। मनोरंजन के लिए हम हजारों रुपए यूं ही बर्बाद कर देते हैं। इससे कई लोगों की मौत हर वर्ष हो जाती है।
उनके पीछे उनके आश्रित जनों को बेसहारा बनाने के पीछे भी हमारा यह काम है। हम सोचे कि हमारे मनोरंजन का यह तरीका कितना सही है।क्योंकि हमारे माझें में फसकर पक्षी मर रहे हैं तो क्या यह तरीका ठीक है। पतंग लूटते समय बच्चे सड़कों पर उतर आते हैं और एक्सीडेंट में मर जाते हैं। कुछ ट्रेन की पटरियों पर भी मर चुके हैं।एक्सीडेंट में घायलों की संख्या का तो कहना ही क्या है पतंग उड़ाते समय हमारे ही प्यारे बच्चे और बड़े छतों से फिसल कर गिर जाते हैं।क्या हम किसी को मरता हुआ देख सकते हैं इन पैसों से गरीब को भोजन,कपड़े दिए जाएं तो हमें ज्यादा पुण्य मिलेगा। हमारे थोड़े से मनोरंजन के कारण किसी के घर का दीपक बुझ जाता है।किसी का सहारा छिन जाता है।क्या यह मनोरंजन के लिए उचित है तो क्या हम चाहते हैं कि हमारा कोई अपना ही हमसे दूर हो जाए।हमारा संकल्प होना चाहिए कि हम चायनीज मांझे का प्रयोग पतंग चलाने में न करें।पक्षियों को बचायें,चायनीज मांझे से पतंग न चलायें।