गाजीपुर। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित कृषि विज्ञान केंद्र अंकुशपुर ग़ाज़ीपुर में एस. सी. एस. पी. परियोजना अंतर्गत श्री अन्न उत्पादन तकनिकी पर पांच दिवसीय (01 – 05 जुलाई) प्रशिक्षण का समापन हुआ। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. आर. सी. वर्मा ने कहा कि मोटे अनाज (श्री अन्न) वर्तमान समय की आवश्यकता है। और यह भी याद दिलाया कि प्राचीन काल में मोटे अनाज ही मुख्य आहार होते थे। डॉ. वर्मा ने मोटे अनाजों के महत्व पर किसानों को जागरूक करते हुए किसानों को बताया की व्यापक स्तर पर श्री अन्न की खेती करने की जरूरत है। साथ ही साथ मोटे अनाज की खेती और बीज उत्पादन तकनीक पर भी जोर दिया। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जे.पी. सिंह ने बताया की श्री अन्न पौष्टिकता से भरपूर समृद्ध, सूखा सहिष्णु फसल है जो ज्यादातर भारत के शुष्क एवं अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाया जाता है। यह एक छोटे बीज वाली घास के प्रकार का होता है जो वनस्पति प्रजाति से संबंधित हैं। यह लाखों संसाधन रहित गरीब किसानों के लिए खाद्य एवं पशु-चारे का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं तथा भारत की पारिस्थितिक और आर्थिक सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस श्री अन्न (मिलेट्स) को “मोटा अनाज” या “गरीबों के अनाज” के रूप में भी जाना जाता है। डॉ. सिंह ने यह भी बताया की श्री अन्न पौष्टिकता से भरपूर गेहूं और चावल से बेहतर है क्योंकि यह प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं। यह ग्लूटेन-मुक्त भी होते हैं और इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स निम्न होता है, जो इन्हें सीलिएक डिज़ीज़ या मधुमेह रोगियों के लिए अनुकूल बनाता है। साथ ही साथ डॉ. सिंह ने श्री अन्न की उत्पादन तकनिकी पर भी विस्तार से जानकारी दी। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ.नरेंद्र प्रताप ने श्री अन्न के उत्पादन परिदृश्य, लाभ एवं प्रस्तावित गतिविधियां के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए किसानो को जागरूक किया। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. शशांक सिंह ने श्री अन्न बीज उत्पादन तकनिकी बीज वर्गीकरण अवं उसकी पैकेजिंग भंडार के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी। कृषि अभियंत्रण के वैज्ञानिक डॉ. शशांक शेखर ने श्री अन्न प्रंसस्करण, यंत्रो अवं बीज की पैकिंग, श्री अन्न की यंत्रो से बुवाई और मिल्लेट्स के विभिन्न प्रकार पर विस्तार से जानकारी दी। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अविनाश कुमार राय ने श्री अन्न सांवा, कोदो, रागी, ज्वार, बाजरा की खेती एवं उर्वरक प्रबंधन विषय पर विस्तार से जानकारी देते हुए इससे बनाने वाले उत्पादों के बारे मे भी बताया। प्रशिक्षण में कुल 25 प्रशिक्षुओं ने प्रतिभाग किया।