जखनियां सड़कों का हालात बद से बद्तर है, शासन व प्रशासन के उदासीन रवैया से जनता में है आक्रोश।

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गाजीपुर, जखनिया।सुविधा-
हॉस्पिटल, आयुर्वेद हॉस्पिटल, पशु हॉस्पिटल, रेलवे स्टेशन, कोतवाली, ग्राम न्यायालय, कस्तूरबा गांधी स्कूल, विश्व प्रसिद्ध हथियाराम मठ, विश्व प्रसिद्ध भुड़कुडा मठ, मौनी बाबा स्थान है। तहसील, ब्लॉक, कुछ कमी नहीं इसके बावजूद भी लाचार है जखनिया
*संरक्षक*: यहां पर सांसद हैं, विधायक हैं, चुनाव में बड़े-बड़े मंत्री भी जखनिया में आए और वादा किया कि अब नहीं रहेगी आपकी लाचार जखनिया।
फिर भी है लाचार जखनिया।
जखनिया में संगठन के माध्यम से जिसका नाम मातृ भूमि है उनके द्वारा कई बार आवाज उठाई गई लेकिन बस जखनिया को मिला आश्वासन एक और सामाजिक संगठन सरोदलीय संघर्ष समिति के द्वारा उनके अध्यक्ष ने भी पत्रको के माध्यम से टेलीफोन के माध्यम से कई बार इस मुद्दे को उठाया पर हुआ क्या कोई समाजसेवी आया दो गाड़ी गिट्टी गिरा कर समतल करके चला गया फिर कुछ दिन बाद जहां की तहा चली आई जखनिया।
*क्यों लाचार है जखनिया*: इसको जानना बहुत जरूरी है गाजीपुर और आजमगढ़ को जोड़ने वाली मुख्य सड़क जखनिया बाजार से जाती है।
और लगभग ज्यादा से ज्यादा जनता के काम में आने वाली संस्थाएं इसी मार्ग पर है।
आश्चर्य तो तब होता है जब थोड़ी सी बारिश जखनिया में अपनी मौजूदगी जताई तो पशु चिकित्सालय के गेट पर दीवाल जोड़कर मिट्टी गिराई गई की रोड का पानी पशु अस्पताल में न आ जाए ठीक उसी तरह आयुर्वेदिक अस्पताल के गेट पर दीवाल जोड़कर रोड का पानी रोक दिया गया।
इस समय बारिश अपनी मौजूदगी दिखा रही है लेकिन पानी अस्पतालों के बाउंड्री में सड़ रहे हैं।
मरीज को अस्पताल में जाना दुश्वार हो गया है। फिर भी मेरी जखनिया सबसे प्यारी है।
पुलिस स्टेशन को अगर देखा जाए तो जहां पर पुलिस व पुलिस के अधिकारी बैठते हैं उनके पैर के नीचे तो मछलियां छोड़ दें तो वह बेचारी अपने जीवन को व्यतीत कर सकती है इतना पानी लगा रहता है फिर भी सबसे प्यारी मेरी जखनिया। पानी में खड़ा होकर फरियादी अपनी बात थाना के अधिकारियों तक पहुंचते हैं फिर भी मेरी प्यारी है जखनिया लाचार है जखनिया, तो क्या हुआ।
इसके लिए मातृभूमि संगठन ने धरना भी दिया पर मिला क्या कोरा आश्वासन जनता सड़क को खोजें तो गड्ढा मिला कुछ लोग तो यहां तक सोच लिए की सड़क सरकारी है जब इंसान चल नहीं सकता तो क्यों ना इसमें धान की फसल लगा दी जाए और धान की फसल भी सड़क पर लगाई गई फिर भी मेरी प्यारी जखनिया लाचार है तो क्या हुआ।
*नेता* नेताओं की भी कमी नहीं है जखनिया में भारतीय जनता पार्टी दिग्गज दिग्गज नेता जखनिया में,
समाजवादी पार्टी के दिग्गज दिग्गज नेता जखनिया में
बहुजन समाज पार्टी के नेता दिग्गज दिग्गज जखनिया में, सी पी एम के नेता दिग्गज दिग्गज जखनिया में, तमाम पार्टियों के नेता जखनिया में, एसडीएम साहब है जखनियां मे फिर भी मेरी प्यारी जखनिया लाचार जखनिया अपने दुर्भाग्य पर रोती रहती है शाशन हो या प्रशासन मंत्री हो या विधायक प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री सबके आंखों में मोतियाबिंद जैसी बीमारी हो गई है किसी को नहीं दिखता हमारी प्यारी जखनिया लाचार जखनिया की हालत, चुनाव अगर आ जाए तो एक ताना लाचार जखनिया को सुनने को जरूर मिलता है। उस बार उस पार्टी को जिताए है इस बार मेरी पार्टी को जिता दो जखनिया सुधर जाएगी लेकिन लाचार जखनिया हमारी प्यारी जखनिया इसको भी करके देख ली लेकिन प्यारी जखनिया लाचार जखनिया का सुनने वाला आज तक कोई नहीं है।
इससे अच्छा तो 25 वर्ष पहले ही थी हमारी प्यारी जखनिया, देखिए शासन प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों का कब तक जाता है ध्यान जखनिया की जनता पर सड़कों के इंतजार में जखनिया की जनता।

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