November 25, 2024
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योग के सहारे दूर होगी भूलने की आदत, एम्स के न्यूरोलॉजी और डिपार्टमेंट ऑफ एनाटॉमी ने मिलकर शुरू किया शोध
नई दिल्ली
विशेषज्ञों की मानें तो योग आसन की मदद से दिमाग में ऑक्सीजन के संचार में सुधार होता है। साथ ही ब्रेन के कई हिस्सों में तनाव व अन्य कारणों से आई सिकुड़न की स्थिति में भी सुधार देखा गया है।

याददाश्त गायब होना अब बीते दिनों की बात होगी। योग के सहारे एम्स भूलने की आदत को भुला देगा। इसके लिए संस्थान के न्यूरोलॉजी विभाग व डिपार्टमेंट ऑफ एनाटॉमी ने मिलकर शोध शुरू किया है। इसमें 45 साल से ज्यादा उम्र के करीब 60 मरीजों को उनकी शारीरिक क्षमता के अनुसार योग करवाया जाएगा।

 

मरीजों को सूक्ष्म व्यायाम, प्रणायाम, सूर्य नमस्कार, नाड़ी शोध, भ्रामरी समेत दूसरे कई आसन करवाए जाएंगे। इसके आधार पर मरीज की याद रखने की क्षमता की निगरानी होगी। एम्स प्रशासन का कहना है कि शुरुआत में सात दिन का कोर्स होगा। इस बीच याददाश्त बेहतर हो जानी चाहिए। इसके आधार पर कोर्स में शामिल लोगों की जांच होगी। मिले नतीजों के आधार पर आगे की रणनीति तैयार होगी। मंगलवार से इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई।

विशेषज्ञों की मानें तो योग आसन की मदद से दिमाग में ऑक्सीजन के संचार में सुधार होता है। साथ ही ब्रेन के कई हिस्सों में तनाव व अन्य कारणों से आई सिकुड़न की स्थिति में भी सुधार देखा गया है। एम्स ने इससे पहले भी शरीर के कई विकारों में सुधार के लिए ध्यान और प्राणायाम का सहारा लिया, जिसका परिणाम काफी बेहतर आया है।
प्राणायाम व ध्यान की मदद से एम्स ने ठीक किए हैं मरीजों के शरीर में विकार
इस बारे में एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने कहा कि समय के साथ डिमेंशिया की समस्या बढ़ती है। ऐसा देखा गया है कि 100 मध्यम स्तर के डिमेंशिया के मरीजों में से 25 में यह आगे चलकर गंभीर हो जाता है, जिसे फिर से ठीक कर पाना संभव नहीं है। इसे देखते हुए ऐसे मध्यम स्तर के डिमेंशिया के मरीजों पर योग को लेकर शोध किया जाएगा। यदि ऐसे मरीजों के स्तर में कोई बदलाव नहीं आता तो योग सहायक साबित होगा।

शरीर रचना विज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा ने कहा कि पहले भी शरीर के कई विकारों को ठीक करने के लिए ध्यान और प्राणायाम का सहारा लिया गया। इनकी मदद से विकारों को ठीक होने की गति काफी तेज पाई गई।

शोध के बेहतर परिणाम आए तो लाखों को फायदा
डॉ. रीमा का कहना है कि हमें उम्मीद है कि योग के आसन के प्रयोग से लोगों में भूलने की आदत को भी दूर किया जा सकेगा। यदि शोध के परिणाम बेहतर आते हैं तो देश के लाखों लोगों को इससे फायदा होगा। इस शोध में शामिल होने के लिए कोई भी 45 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति एम्स से संपर्क कर सकता है। विशेषज्ञों की देखरेख में एम्स के योगा केंद्र में उन्हें योग के आसन करवाएं जाएंगे। साथ ही उनपर होने वाले असर का भी निरीक्षण किया जाएगा।

यह दिखते हैं लक्षण
छोटी-छोटी बात भूल जाना और याद न आना, भूलने के कारण बड़ी गलती करना
व्यवहार और व्यक्तित्व में बदलाव आना, दोहरा व्यक्तित्व
सामाजिक जीवन में तेजी से बदलाव सोना कम कर देना या ज्यादा सोना

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