November 25, 2024
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सतर्क रहें: तेजी से फैल रहा लंपी, सीएम ने हिसार से मंगाई वैक्सीन

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी जीके सिंह ने बताया कि अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार में विकसित वैक्सीन लंपी प्रोवैक आईएनडी की 15000 डोज यहां मंगाई जा रही है। इसमें से 5 हजार डोज वैक्सीन जिले के लिए रहेगी। शेष देवरिया और कुशीनगर के अलावा जरूरत के अनुरूप मंडल के अन्य जिलों को भेजा जाएगा।

उमस भरी गर्मी में गायों में तेजी से फैलने वाली लंपी बीमारी ने जिले में भी पांव पसारना शुरू कर दिया है। ऐसे में पशुपालकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। गोरक्षनाथ मंदिर स्थित गोशाला समेत कई अन्य पशुपालकों की गायों में भी लंपी के लक्षण दिखे हैं। सीएम के आदेश पर पशुपालन विभाग ने सैंपल आईबीआरआई बरेली भेजा था, जिसमें बीमारी की पुष्टि हुई। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार से वैक्सीन मंगवाकर संक्रमित गायों को गोशाला में अलग बांधकर इलाज कराया गया। यह वैक्सीन पशुपालकों को आवश्कता के हिसाब से दिलाई जा रही है।

राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नवीन कुमार और डॉ. संजय बरुआ ने यहां आकर गायों का परीक्षण किया है। वैक्सीन लगने के बाद अब सभी गाय स्वस्थ हैं। उधर, संक्रमण रोकने के लिए पशुपालन विभाग ने 15000 डोज लंपी प्रोवैक आईएनडी वैक्सीन की मांग की है।

गोवंश में फैलने वाले चर्म रोग लंपी से पिछले साल राजस्थान और उत्तराखंड में बड़ी संख्या में पशुओं की मौत हुई थी। बाद में पश्चिम बंगाल में कुछ हिस्सों में भी बीमारी के लक्षण मिले थे। सर्दी में इसका असर खत्म हो गया था, लेकिन बरसात में यह बीमारी फिर फैलने लगी है। पिछले दिनों गोरखनाथ गोशाला की कुछ गायें बीमार पड़ीं तो उनकी जांच कराई गई। पता चला कि 49 गायों में लंपी के लक्षण हैं।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. जीके सिंह ने बताया कि लंपी बीमारी की रोकथाम पर शोध कर वैक्सीन का फार्मूला खोजने वाले अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार के डॉ. नवीन कुमार व डॉ संजय बरुआ भी गोरखपुर आए थे और उन लोगों ने कई गायों का परीक्षण किया।

गायों को पहले गोट पाॅक्स वैक्सीन लगी थी, लेकिन वह प्रभावी नहीं होने के चलते गायें संक्रमित हो गई थीं। संक्रमित गायों को पहले से ही अलग रखा था, उनके समेत अन्य सभी गायों को अब लंपी प्रोवैक आईएनडी वैक्सीन लगाई गई है, सभी गायें स्वस्थ हैं। वैक्सीन लगने के बाद गोरखनाथ गोशाला में कोई नया मामला नहीं आया है।

वैक्सीन से 7 दिन के अंदर विकसित होती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि लंपी बीमारी मच्छर-मक्खी के चलते तेजी से फैलती है। इस संक्रामक बीमारी की रोकथाम के लिए बनी वैक्सीन लंपी प्रोवैक आईएनडी पूर्णत: स्वदेशी है और अब तक इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। स्वस्थ पशु को वैक्सीन लगने पर सात से 10 दिन के अंदर उसके भीतर रोग प्रतिरोधक क्षमता बनने लगती है। 14 दिन में पशु पूरी तरह से सुरक्षित हो जाता है। एक साल तक इसका प्रभाव बना रहता है।

मंगाई जा रही वैक्सीन की 15000 डोज

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी जीके सिंह ने बताया कि अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार में विकसित वैक्सीन लंपी प्रोवैक आईएनडी की 15000 डोज यहां मंगाई जा रही है। इसमें से 5 हजार डोज वैक्सीन जिले के लिए रहेगी। शेष देवरिया और कुशीनगर के अलावा जरूरत के अनुरूप मंडल के अन्य जिलों को भेजा जाएगा।

लंपी रोग के लक्षण

  • लंपी वायरस से संक्रमित पशु को हल्का बुखार रहता है।
  • मुंह से लार अधिक निकलती है और आंख-नाक से पानी बहता है।
  • पूरे शरीर पर छोटी-छोटी गांठें उभर आती हैं।
  • बीमारी गंभीर होने पर गांठों से खून बहने लगता है।
  • संक्रमित पशु के दूध उत्पादन में गिरावट आ जाती है।
  • पशु में गर्भपात का खतरा रहता है और कभी-कभी पशु की मौत भी हो जाती है।

ये रखें सावधानी

  • संक्रमण के लक्षण दिखते ही अन्य पशुओं को अलग कर दें।
  • पशुशाला की नियमित सफाई करें और चूने या किसी अन्य कीटनाशक का छिड़काव करें।
  • संक्रमित पशु की विशेष देखरेख करें, उसके चारा-पानी का विशेष ख्याल रखें।
  • पशुओं को लंपी से बचाने वाली वैक्सीन लगवाएं।
  • यह एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए पशुओं को खुला न छोड़ें और लावारिश घूम रहे पशुओं पर भी निगरानी रखें।

गोरखनाथ मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी ने कहा कि गोरखनाथ गोशाला की 49 गायों में लंपी रोग हो गया था। डाक्टरों ने बताया तो संक्रमित गायों को अलग रखकर उनका इलाज किया गया। वैक्सीन लगने के बाद सभी गायें पूरी तरह से स्वस्थ हैं।

अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नवीन कुमार ने कहा कि बरसात के दिनों में मच्छर-मक्खी काटने से यह बीमारी तेजी से फैलती है। इसलिए बरसात में पशुशाला की सफाई का विशेष ध्यान रखें। बीमार पशु को मच्छरदानी से कवर करें। पशुपालन विभाग से संपर्क कर पशुओं का टीकाकरण कराएं और उनके चारा-पानी का भी खास ध्यान रखें।

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