
सासनी । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वावधान में उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार एवं जनपद न्यायाधीश सतेन्द्र कुमार के आदेशानुसार ‘‘विधान से समाधान कार्यक्रम’’ के अन्तर्गत महिलाओं के हितार्थ हेतु विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन अपर जनपद न्यायाधीश, सचिव, प्रशान्त कुमार की अध्यक्षता में ब्लाक सासनी के सभागार कक्ष में आयोजित किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हाथरस के अपर जनपद न्यायाधीश, सचिव, प्रशान्त कुमार ने जारूकता शिविर में उपस्थित महिलाओं को उनके हित संरक्षण कानूनों के सम्बन्ध में जानकारी देते हुये बताया कि महिलाओं को समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार अलग वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है। भरण-पोषण अधिनियम, विवाह अधिनियम एंव महिलाओं की सम्पत्ति में अधिकार के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी देते हुये बताया कि महिलाऐं अपने पति से अपने गुजारा भत्ता हेतु भरण-पोषण अधिनियम धारा 125 के अन्तर्गत पाने की अधिकारी हैं। अगर कोई महिला अगर घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं तो इसके लिए वह शिकायत दर्ज करवा सकती है। इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि किसी भी महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, किसी खास मामले में एक प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही ये सम्भव है। अपर सिविल जज(क.प्र.) शिव कुमार यादव, तहसीलदार, वन स्टॉप सेन्टर की प्रभारी मनीषा भारद्वाज, सहायक विकास अधिकारी, पराविधिक स्वयं सेवक चित्र सिंह, सत्यनारायण ने भी विभिन्न जानकारियां दी। विधिक साक्षरता शिविर का संचालन करते हुए मोनिका दीक्षित ने पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 के सम्बन्ध में जानकारी इस अवसर पर काफी संख्या में महिलायें उपस्थित रही।