जखनिया गाजीपुर। पांच बार विधायक रह चुके एक बार वाराणसी के लोकसभा चुनाव में वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के विरुद्ध चुनाव लड़ा था जिसमें काफी कम वोटो से हार हुई थी। मुख्तार अंसारी बी ए की पढ़ाई के दौरान ही बस किराए को लेकर आए दिन झगड़ा हो जाती थी। साधू सिंह और मुख़्तार कि दोस्ताना अटूट थी। साधु सिंह के हत्या के बाद मुख्तार अंसारी जरायम कि दुनिया में कदम रखते गए। और गरीबों के लड़ाई के साथ ही जोगा गांव में दलितों के हत्या के बाद लड़ाई लड़ी।यही नहीं मऊ, गाजीपुर, घोसी में गरीबों के मदद के लिए सदैव मुख़्तार आगे आते थे। बहन बेटियों शादी में जाति या भेदभाव को दरकिनार कर मदद करते रहे।
कम जिला सचिव विजय बहादुर सिंह से वार्ता है जिन्होंने कहा कि मुख्तार परिवार का राजनीतिक शुरुआत मार्क्सवाद कम्युनिस्ट पार्टी से शुरू हुई जब तक कम्युनिस्ट पार्टी में थे तब तक सिद्धांत और गरीबों के मसीहा चित्र लोग पूछते थे जैसे उन्होंने मार्क्सवा से भटका और कई अन्य राजनीतिक दलों का दामन थाना शुरू किया और परिवारवाद को भी सियासत में भेजने लगे तब से माफिया में नाम प्रचलित हुआ। 65 केसे से लेकर हत्या सहित कई संगीन मुकदमे दर्ज हुए। और जरायम की दुनिया का नंगा खेल शुरू हुआ जिसमें मुख्तार अंसारी कई नाम पूरे पूर्वांचल में डंका बजाने लगा। यह जरा इन की दुनिया हर चीजों पर हावी होता गया। ठेकेदारी से लेकर सियासत में खूब सिक्का मुख्तार का चला। उन्होंने कहा कि एक तरफ कृष्णानंद राय हत्या को लेकर खुशी का माहौल है तो वही मुख्तार अंसारी के करने का गम लोगों के पास है।
सामाजिक कार्यकर्ता अश्वनी सिंह ने कहा कि मुख्तार अंसारी के पास लोगों की सद्भावना रही है। कहीं ना कहीं लोगों का मदद करना और गरीबों के दिल में जगह बनाना कई सियासत के धुरंदरो को पच नहीं रहा था। लेकिन मुख्तार अंसारी का जी ढंग से जेल में बीमारी और धीमी प्वाइजन देने की बातें कहीं जा रही है यह बेहदनींदनी है। उससे भी बड़ा नींद नहीं यह है कि मुख्तार अंसारी की इतनी बड़ी तबीयत खराब होने पर भी मामूली चिकित्सा व्यवस्था मुहैया गई।
मुख्तार अंसारी के पैतृक आवास पर समर्थन की जमकर भीड़ लगी रही है समर्थक मुख्तार अंसारी के मौत के बाद तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं। इस घटना के बाद जखनिया के हर क्षेत्र में चर्चा ए आम है।