भदोही। ईदुल अज़हा यानि क़ुर्बानी हज़रते इब्राहिम खलीलुल्लाह की सुन्नत है। जो हर साहबे निसाब पर वाजिब है। कुर्बानी अल्लाह की रज़ा के लिए करें। उक्त बातें इमामे ईदगाह हाफ़िज़ अशफाक़ रब्बानी ने क़ुर्बानी के एहकाम के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।उन्होंने कहा अल्लाह ने अपने प्यारे खलील हज़रते इब्राहिम खलिलुल्लाह को ख्वाब मे कहा ऐ मेरे खलील जो तुमको सबसे अज़ीज़ हो वो मेरी राह में क़ुर्बा करो।हज़रते इब्राहिम ने सुबह उठ कर अल्लाह की राह में 100 ऊंट क़ुर्बा किये। दूसरी शब यही माज़रा पेश हुआ तो हज़रते इब्राहिम ने अल्लाह की राह में 100 ऊंट क़ुर्बा किए फिर तीसरी शब यही माज़रा अल्लाह ने अपने खलील को ख्वाब में दिखाया कि ऐ मेरे खलील जो तुम को जान से भी अज़ीज़ हो वो मेरी राह में क़ुर्बा करो। हज़रते इब्राहिम ने सुबह उठ कर अपनी बीवी हज़रते हाजरा को सारा वाकेया सुनाया।और कहा मुझे सबसे अज़ीज़ मेरा बेटा इस्माईल है जिसे मैं अल्लाह की राह में क़ुर्बा करूँ।हज़रते हाजरा फरमाती है कि जो अल्लाह की रज़ा है तो मेरे क़दम साबित रहेंगे। हज़रते इब्राहिम अपने नूरे नज़र हज़रते इस्माईल को सारा वाकेया सुनाया तो हज़रते इस्माईल ने कहा प्यारे अब्बु जान जो अल्लाह की यही रज़ा है तो हम अल्लाह की राह में क़ुर्बान होने के लिए तैयार हैं। हज़रते इब्राहिम अपने नूरे नज़र को साथ में लेकर अल्लाह की राह में क़ुर्बानी देने के लिए चल पड़े। श्री रब्बानी ने कहा हज़रते खलील ने जब अपने बेटे इस्माईल को साथ क़ुर्बा गाह की तरफ चल दिए तो रास्ते में शैतान कहने लगा की ऐ इस्माईल जानते हो तुम्हारे बाप तुमको कहाँ ले जा रहे है।तुम को जबह करने के लिए जा रहे है। हज़रते इस्माईल बोले तुमको मालुम नहीं यह मेरे रब की रज़ा है जो मैं अपने रब की राह में क़ुर्बा होने के लिए जा रहा हूँ।शैतान ये बातें सुन कर हज़रते इब्राहिम के पास पहुंचा जहां पहुँच कर कहने लगा कि ऐ इब्राहिम कोई बाप अपने बेटे को भला मारता है क्या जो तू अपने बेटे को जबह करने चला तो हज़रते इब्राहिम समझ गए कि ये शैतान है जो मुझे बहकाने आया है। हज़रते इब्राहिम ने शैतान को वहीँ कंकरियों से मार भगाया जो आज हुज्जा-ए-कराम हज के दौरान शैतान को कंकरियों से मारते है। ये हज़रते इब्राहिम की सुन्नत है जिसे अल्लाह ने रहती दुनिया तक अपने खलील की निशानियों में से बना दिया। श्री रब्बानी ने कहा उसके बाद हज़रते इब्राहिम अपने बेटे हज़रते इस्माईल को ज़बहगाह ले गए और हज़रते इस्माईल को ज़मीं पे लेटाया तो हज़रते इस्माईल बोले अब्बु जान मेरे मुंह पर कपड़ा डाल दीजिये ताकि आपको ज़बह करते वक़्त हम पर रहम न आ जाए और दूसरी बात कि इस बात को अम्मी जान को खबर न कीजियेगा और मेरा सलाम अम्मी जान को कहियेगा। हज़रते इब्राहिम ने इस्माईल के हलकुम पे छुरी जो चलाई तो आलमे बाला में लर्ज़ा पड़ गया किशवरे आला में लर्ज़ा पड़ गया। सब फरिश्तों ने देखा ये माजरा तो पुकार उठे ऐ मेरे परवरदिगार ये कैसा माजरा है।अल्लाह ने फरिश्तों को हुक्म दिया की जन्नत से दुंबा ले कर जाओ और मेरे खलील से कह दो की हक़ तआला तुम को करता है सलाम और तेरी क़ुर्बानी को करता है क़ुबूल। फ़रिश्ते जन्नत से दुंबा को लेकर आये और हज़रते इब्राहिम के बेटे इस्माईल की जगह दुंबे को लेटा दिया और छुरी दुंबे के गर्दन पर चल गई।इसी तरह आज पूरी क़ायनात ईदे क़ुर्बा यानि ईदुज्जुहा का पर्व हज़रते इब्राहिम की याद में मनाई जाती है।