बलरामपुर
रोजे को अरबी में सौम या सियाम कहते हैं। सौम के मायने रुक जाने के है। जब कोई मुसलमान रोजा रखता है तो वो दिन भर खाने पीने की चीजों से परहेज करता है। लेकिन रोजा महज खाने पीने से परहेज करने का नाम नहीं। बल्कि रोजेदार के जिस्म के तमाम आजा अंग का रोजा होता है। रमजान के रोजों की बहुत सी फजीलत हदीस पाक में आई है। कुछ चंद हदीस मुबारक पेस है।
कुछ चंद हदीस रमज़ान मुबारक के मुतालिक पेश है। । ताकि और भी लोग रमज़ान की रोजे की अहमियत और फजीलत को समझ सके।
सही बुखारी की हदीस है। सैयदना सुहेल रजिअल्लाहू तआला अनहु, मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से रिवायत करते हैं। की आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया। जन्नत में एक दरवाजा है जिसे रेयान कहते हैं। इस दरवाजे से कयामत के दिन सिर्फ रोजेदार ही दाखिल होंगे। उनके सिवा कोई भी इस दरवाजे से दाखिल ना होगा। कहा जाएगा रोजेदार कहा है? बस वो उठ खड़े होंगे, उनके सिवा कोई भी इस दरवाजे से दाखिल ना होगा। फिर जिस वक्त वो दाखिल हो जाएंगे तो दरवाजा बंद कर लिया जाएगा। इस दरवाजे से कोई दूसरा दाखिल न होगा।