सोनभद्र। दिवाकर मेघ द्विवेदी कवि के नगर स्थित आवास पर एक अप्रैल को दोपहर सरस काव्य संध्या का आयोजन उनके जन्मदिन के अवसर पर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार अजयशेखर एवं संचालन प्रदुम्न त्रिपाठी एड ने किया। वाग्देवी की प्रतिमा पर माल्यार्पण दीपदान पश्चात कवि ईश्वर विरागी ने मां का स्तवन करते हुए मां शारदे मां शारदे, मिटे ज्वाल जग जीवन से,, सुनाकर विधिवत शुभारंभ किया। हिंदी साहित्यिक पत्रिका असुविधा परिवार, शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट, राष्ट्रीय संचेतना समिति सोनभद्र संस्था के प्रमुख रामनाथ शिवेंद्र, जगदीश पंथी, प्रदुम्न त्रिपाठी एड द्वारा दिवाकर मेघ का सारस्वत अभिनंदन करते हुए लेखनी पुस्तिका, प्रशस्ति पत्र, अंग वस्त्र एवं धार्मिक व साहित्यिक पुस्तकें देकर माल्यार्पण कर अभिनंदन किया गया। अमर नाथ अजेय ने वहीं पनघट वहीं पोखर वहीं अपने ठिकानों पर चल पड़े धीवर उठाए जाल कंधों पर पढ़कर वाहवाही बटोरी। प्रद्युम्न तिवारी एड ने पार्थ के गांडीव की टंकार है कविता, समरसता सद्भाव प्यार है कविता सुनाकर ओज का संचरण किये। सुधाकर स्वदेशप्रेम ने बर्षा आइल बर्षा आइल बर्षा आइल बा,,, सुनाकर ग्रामीण परिवेश का चित्रण किया। दयानंद दयालू ने चैता समसामयिक रचना,नीक लागै कवियन के मिलनवां,,सुनायें। दिवाकर मेघ ने ,,,भारती की कभीं नहीं होती परतंत्र ता, वीर शहीदो को नमन किया।उनके गीत कंचन मृग सबको लगते मनभावन करतल ध्वनियों से सराहा गया। धर्मेश चौहान ने सुलझा दो मुश्किल पहेलियां,,, सुनाकर गतिज ऊर्जा दिये। गोपाल कुशवाहा ने,, कोई मिलती नहीं है निशानी मेरी,,,गजल सुनाकर महफ़िल लूट लिया। राधेश्याम पाल ने, ख्वाबों को कुचलके आया हूं,,, सुनाकर जन-मन की पीर को उकेरा। राकेश शरण मिस्र ने, अप्रैल फूल का स्वागत कुछ इस तरह कीजिए सुनायें और सराहे गए।इस अवसर पर अशोक तिवारी शायर, हास्य व्यंग के कवि जयराम सोनी ने काव्य पाठ तथा विविधता युक्त रचना सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आयोजन देर शाम तक चलता रहा। इस अवसर पर रिषभ, शिवमोचन, सोनू, ठाकुर कुशवाहा, जय शंकर तिवारी, आत्मप्रकाश तिवारी आदि रहे।