
भदोही। शायर फैयाज भदोहवी व उनकी अहलिया उमरा शरीफ से गुरुवार को लौटे तो उनके गोरियाना स्थित आवास पर दोश्त व अहबाब ने पहुंच कर उनका फूल माला पहना कर इस्तकबाल किया। इस मौके पर पहुंचे हज सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जिला हज ट्रेनर हाजी आज़ाद खान ने उन्हें दिली मोबारकबाद पेश की। उमरा शरीफ से लौटे मद्दाहे खैरुल अनाम स0 शायर फैयाज भदोहवी ने बताया कि मदीने से तो लौट कर हम जरूर आये लेकिन क़ाबतुल्लाह और मदिनतुर्रसुल कि एक-एक गलियां दिलो दिमाग मे रची बसी हुई है। कहा मदीने की अब हवा का क्या कहना जैसे बागे जन्नत से चलती है। कहा मैदाने अरफात में पहुंचे तो अल्लाह की तजल्ली देखने को मिला। इसी तरह मुदजल्फा, मना, में जाकर अरकान की अदायगी की। कहा मक़ामे इब्राहिम, संगे अस्वद का बोसा लेना रूह को ताजगी बख़्श रही थी। बताया जब आका की बारगाह में गया तो आंखों से बेसाख्ता अश्क जारी होने लगे और जुबान से बेसाख्ता निकल पड़े आका मैं शर्मसार हूं अपने खता के सामने कहकर रोने लगा। कहा रौज-ए-रसूल के सामने खड़े होकर सलातो सलाम पढ़ना और नाते नबी पढ़ना सोच-सोच कर आंखे नम हो जा रही है। कहा उमरा जब पूरा हुआ तो वापसी का मन ही नही कर रहा था। उन्होंने बताया कि हमारे साथ हाजी हाफिज मेराज साहब भी थे और शम्सी टूर एंड ट्रेवेल्स के मालिक हाफिज अनस ने उमरा के सभी अरकान को पूरा कराया।