कन्नौज के 40 बच्चों को आश्रम पद्धति विद्यालय में मिला दाखिला लखनऊ । कन्नौज के 40 छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकों के लिए सोमवार का दिन बेहद खास रहा। इन बच्चों काे दाखिला समाज कल्याण विभाग द्वारा मोहान रोड पर संचालित आश्रम पद्धति विद्यालयों में मिल गया। जल्द ही इन्हें लैपटाप व टैब भी उपलब्ध कराए जाएंगे। बच्चों के साथ आए अभिभावकों को भी विद्यालय का भ्रमण कराया गया। कन्नौज समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण का विधानसभा क्षेत्र भी है। मंत्री ने अपने विधानसभा क्षेत्र से आए बच्चों के साथ संवाद कर शिक्षा की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बच्चों का हौसला बढ़ाया। कहा कि ‘बाबा साहब के अवसर की समानता’ को आश्रम पद्धति विद्यालयों द्वारा दी जा रही शिक्षा से धरातल पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है। छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि कन्नौज के 40 छात्र-छात्राओं को कक्षा छह और नौ में प्रवेश दे दिया गया है। कुछ अन्य छात्र-छात्राओं का प्रवेश जल्द हो जाएगा। आश्रम पद्धति विद्यालयों में बेहतर व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो इसके लिए हाल ही में विज्ञान वर्ग के 45 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए अतिथि अध्यापक की व्यवस्था भी की गई है। इस मौके पर पुराने विद्यार्थियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि विद्यालयों में कला, विज्ञान एवं कंप्यूटर की शिक्षा अच्छे अध्यापकों द्वारा दी जा रही हैं। यहां लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब, खेलकूद, रहने, खाने-पीने इत्यादि की बेहतर व्यवस्था है।
नशा मुक्ति केंद्र में युवक को पीट–पीटकर मारा गाजियाबाद । नशा मुक्ति केंद्र में युवक की पीटकर हत्या करने के नौ साल पुराने मामले में अदालत ने चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। मामला निवाड़ी थानाक्षेत्र का है। अदालत ने प्रत्येक दोषी पर 10-10 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश चंद्र शर्मा व अपर जिला शासकीय अधिवक्ता नरेश चौधरी ने बताया कि निवाड़ी के रहने वाले दीपांशु के पिता प्रमोद कुमार गुलावठी स्थित नशा मुक्ति केंद्र में थे। वह नशा मुक्ति केंद्र में देखभाल करते थे। 10 अप्रैल 2014 को उन्हें निवाड़ी रोड मोदीनगर स्थित नशा मुक्ति केंद्र में शिफ्ट किया गया। आरोप है कि गुलवाठी में नशा मुक्ति केंद्र चलाने वाले देवेंद्र प्रताप, संजू, शिवकुमार त्यागी व मनोज कुमार उर्फ फौजी ने उन्हें लाठी-डंडों से पीटने के बाद निवाड़ी रोड स्थित केंद्र छोड़ा था। 10 अप्रैल की रात साढ़े 12 बजे निवाड़ी रोड स्थित नशा मुक्ति केंद्र से फोन आया कि प्रमोद कुमार की तबियत खराब है। दीपांशु अपने दादा के साथ मौके पर पहुंचे और पिता को अस्पताल लेकर गए। रास्ते में प्रमोद कुमार ने उपरोक्त द्वारा लाठी-डंडों से पीटने की जानकारी दी। अस्पताल में उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। पिता प्रमोद कुमार की हत्या के आरोप में दीपांशु ने देवेंद्र प्रताप, संजू, शिवकुमार त्यागी व मनोज कुमार उर्फ फौजी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई। पुलिस ने चारों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मामले की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायालय में चल रही थी। गवाहों के बयान व पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने चारों को उम्रकैद की सजा सुनाई। मामले में सजा सुनाने में मेडिकल रिपोर्ट व गवाह मुकेश के बयान अहम रहे। मुकेश नशा मुक्ति केंद्र में प्रमोद कुमार के साथ रहता था।
स्लो मेटाबॉलिज्म होने पर शरीर देता है यह संकेत लोग इन दिनों वेट लॉस करने में जुटे हैं, उन्हें अक्सर यही सलाह दी जाती है कि वे अपने मेटाबॉलिज्म को बूस्ट अप करें। जब मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है तो ऐसे में शरीर भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करता है, जिससे बॉडी में फैट कम स्टोर होता है। दरअसल, शरीर खाने को फैट नहीं एनर्जी में बदलता है। वहीं दूसरी ओर, जिन लोगों को मेटाबॉलिज्म स्लो होता है, उनके लिए वजन कम करना एक बेहद ही टफ टास्क बन जाता है। अमूमन मेटाबॉलिज्म स्लो होने पर सिर्फ वजन पर ही फर्क नहीं पड़ता है, बल्कि आपका शरीर अन्य भी कई तरह के संकेत दिखाता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही संकेतों के बारे में बता रहे हैं, जो स्लो मेटाबॉलिज्म होने पर नजर आ सकते हैं- यह स्लो मेटाबॉलिज्म का एक मुख्य संकेत है। जिन लोगों का मेटाबॉलिज्म होता है, अक्सर उनका वजन तेजी से बढ़ता है या फिर उन्हें वजन कम करने में बंहुत अधिक कठिनाई होती है। यहां तक कि खान-पान का ध्यान रखने और एक्सरसाइज करने के बाद भी वजन बनाए रखना उनके लिए काफी कठिन हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति का मेटाबॉलिज्म स्लो होता है, उन्हें अक्सर थकान की शिकायत होती है। दरअसल, जब आपका मेटाबॉलिज्म अच्छा होता है तो ऐसे में आपका शरीर आहार को एनर्जी में बदलता है और आप एक्टिव फील करते हैं। लेकिन मेटाबॉलिज्म स्लो होने पर आहार से एनर्जी नहीं मिल पाती है, जिससे थकान और लो एनर्जी की समस्या हो सकती है।
करोड़ों रुपये खर्च के बाद भी नहीं मिल रही बिजली, अंधेरे में रह रहे लोग, गर्मी में पसीने से हो रहे तरबतर कानपुर। केस्को को बिजली व्यवस्था को सुधारने, जर्जर लाइनों और ट्रांसफार्मरों को बदलने के लिए 52 करोड़ रुपये मिले हैं। आधे से अधिक धनराशि खर्च हो गई पर बिजली की समस्या जस की तस है। लोग फाल्ट की वजह से कटौती की वजह से गर्मी में बिलबिला रहे हैं। बारिश में बिजली व्यवस्था ठीक होने का दावा भी झूठा साबित हुआ। महानगर में हर कोई बिजली की लचर व्यवस्था से परेशान है। बिजली कब, किस समय और कितने घंटों के लिए चली जाए इसका कोई भरोसा नहीं है। जबकि गर्मी में बिजली की व्यवस्था सुधारने के नाम पर केस्को के अधिकारी 52 करोड़ रुपये में से करीब आधी राशि खर्च कर चुके हैं। इस राशि से जर्जर तार, पुराने खंभे व मियाद पुरी कर चुके ट्रांसफार्मर बदले जा रहे हैं। कटौती देखकर अब लोग कहने लगे हैं कि कागज पर ही धनराशि खर्च हुई है। इस वजह से आए दिन फाल्ट हो रहा है और ट्रिपिंग की समस्या आ रही है। हकीकत में कई जगहों पर जर्जर तार, ट्रांसफार्मर व खंभे लगे हुए हैं, जिनकी वजह से लोगों को बिजली 24 में से 22 घंटे भी मिलना मुश्किल हो रहा है। सैकड़ों बार ट्रिपिंग की भी समस्या हो रही है। इसके अलावा तारों को छू रहे पेड़ों की टहनियों की कटाई व छंटाई का काम भी काफी धीमा चल रहा। जिन 30 सबस्टेशनों के करीब 18 करोड़ रुपये से आधुनिकीकरण के कार्य हुए, उन सबस्टेशनों में भी फॉल्ट की समस्या बरकरार है। शिकायतें पहुंचने पर केस्को के अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। गर्मी में एसी व कूलर का लोड बढ़ने से फॉल्ट होने की बात कहकर अभियंता अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
कार सवार व्यापारी से 20 हजार और मोबाइल लूटा साहिबाबाद। इंदिरापुरम कोतवाली क्षेत्र में खोड़ा अंडर पास के पास रविवार देर रात कार सवार व्यापारी से चार बदमाशों ने तमंचे की बट मारकर लैपटाप, 20 हजार रुपये और मोबाइल लूट लिए। पैदल आए बदमाशों ने वारदात की। सूचना पाकर पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। पीड़ित की शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज कर जांच में जुटी है। पुलिस के मुताबिक, देवबंद मित्रसेन चौक के व्यापारी तुषार अग्रवाल...
यूपी में योगीराज में थर–थर काँप रहा माफिया, गरीबों के आये अच्छे दिन उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मफियाओं के खिलाफ बड़े अभियान चलाये जा रहे हैं, उनके अवैध कब्ज़े से सरकारी तथा गैर सरकारी भूमि मुक्त हो रही है, इस मुक्त भूमि पर आवास बनाकर गरीबों को दिए जा रहे हैं, अपना घर मिलने पर इन गरीबों की आंखों में खुशीके आंसू हैं और होठों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए प्रशंसा और प्रार्थना। प्रयागराज के लूकरगंज में 1731 वर्गमीटर की नजूल की जमीन माफिया अतीक के कब्जे में थी जिसकी कीमत लगभग दस करोड़ रुपये थी, इस ज़मीन को 13 सितंबर 2020 को अतीक के अवैध कब्ज़े से मुक्त कराया गया था , वर्ष 2021 में 26 सितंबर को मुख्यमंत्री ने यहाँ गरीबों के आवासीय फ्लैट्स की आधारशिला रखी और मात्र 18 माह में यह आवासीय योजना पूरी हो गयी जिस पर 5.68 करोड़ रुपये खर्च हुए। आवासीय योजना 1731 वर्गमीटर में विकसित की गयी और जिसमें दो ब्लॉक बने। गरीबों को दिए गए यह फ्लैट दिये गये हैं सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त हैं साथ ही इनको बनाने में वास्तु का भी ध्यान रखा गया है। आवास प्राप्त करने वाले वह गरीब हैं जिन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि अपना घर बना पायेंगे। लाभार्थियों को आवास की चाभी देने के समारोह के...
बरेली: गरीब रथ एक्सप्रेस से दिव्यांग इंजीनियर को उतारा बरेली। मंगलवार को ट्रेन में ड्यूटी पर तैनात सीआईटी ने लखनऊ से दिल्ली जा रहे दिव्यांग इंजीनियर को ट्रेन से बरेली में उतार दिया। जबकि दिव्यांग इंजीनियर टिकट बनवाने को तैयार था। इस संबंध में एक वीडियो भी सामने आया। जिसमे दिव्यांग यात्री टिकट बनवाने को बोल रहा है। जबकि सीआईटी बहस में उलझा हुआ है। दरअसल दिल्ली निवासी आकाश निगम पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। नोएडा की एक कंपनी काम करते हैं। पत्नी का ऑपरेशन कराकर मंगलवार को उन्हें वापस दिल्ली लौटना था। आकाश के मुताबिक उन्होंने 12203 गरीब रथ एक्सप्रेस का ऑनलाइन टिकट कराया था जो वेटिंग में था। क्योंकि उन्हें मंगलवार को ही ऑफिस ज्वाइन करना था लिहाजा वह ट्रेन में सवार हो गए। बरेली आने से पहले ट्रेन में चेकिंग कर रहे सीआईटी ने उनका टिकट चेक किया और बताया की यह वैध नहीं है। लिहाजा आकाश ने टिकट बनाने को कहा और सीट देने की मांग की। आकाश के मुताबिक सीट देने की बात पर सीआईटी उखड़ गए और टिकट बनाने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने मेमो धारा 137 में मेमो देकर बरेली जंक्शन आने पर आरपीएफ के हवाले कर दिया। जबकि आकाश टिकट बनवाने के लिए तैयार थे। जिसका वीडियो भी आकाश के पास है। ऐसे में आरपीएफ भी यात्री को बरेली जंक्शन सीआईटी कार्यालय छोड़ गई। बहरहाल दोपहर तक जंक्शन के अधिकारी तकनीकी अड़चनों में उलझे हुए थे। जिस सीआईटी ने मेमो देकर से दिवयांग इंजीनियर को उतारा वह पूर्व में भी विवादित रह चुका है। मुरादाबाद में तैनात एक पुलिस कर्मी को बरेली जंक्शन पर पीटने और लूट के आरोप में मुकदमा भी दर्ज हुआ था। इस मामले में तीन ने टिकट चेकिंग स्टाफ के सदस्य भी शामिल थे। कई महीने तक चारो आरोपियों को फरार तक रहना पड़ा था।
बच्चे को कब से देना चाहिए ठोस आहार नवजात बच्चे को शुरूआत के 6 महीने में सिर्फ मां का दूध पिलाया जाता है। इसके बाद बच्चे को अन्य चीजों का सेवन कराया जाता है। क्योंकि इस अवधि में बच्चे में न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक बदलाव भी आते हैं। बच्चे का चेहरा बदलने के साथ ही उसका शरीर मजबूत होने लगता है। बच्चा अपनो को पहचानने लगता है। बता दें कि इस दौरान बच्चे के खानपान से लेकर उसके हाइजीन तक का ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी होता है। वहीं कई लोग यह नहीं समझ पाते हैं कि बच्चे को ठोस आहार कब से देना चाहिए। कुछ लोग 6 महीने पूरे होते ही बच्चे को ठोस आहार देना शुरू कर देते हैं। तो वहीं बच्चा भी अपने मुताबिक चीजों को खाने लगता है। अगर आप भी इस बात को लेकर कन्फ्यूज हैं कि बच्चे को ठोस आहार कब से दिया जाना चाहिए तो यह आर्टिकल आपके लिए है। अगर आपका बच्चा भी बिना किसी सहारे के बैठने लगा है तो यह एक संकेत है कि अब आपका बच्चा ठोस आहार का सेवन करने के लिए तैयार हो गया है। जिस दौरान बच्चे बिना किसी सहारे के बैठना शुरू कर देते हैं तो उनका शरीर अंदर और बाहर दोनों तरीकों से विकसित होने लगता है। इस अवधि में बच्चे का पाचन तंत्र भी काम करने लगता है। इसलिए जब बच्चा सहारे के बिना बैठने लगे तो आप उसे ठोस आहार खिला सकते हैं।
25 करोड़ की लागत से बन रही सूखाताल झील बदहाल नैनीताल। 25 करोड़ की लागत से बन रही सूखाताल झील प्रशासन की अनदेखी के चलते इन दिनों बदहाल स्थिति में है। झील में चारों तरफ सीवर और कचरे का अंबार लगा है। झील से दुर्गंध फैल रही है जिससे बीमारी फैलने का खतरा बढ़ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सूखाताल झील को विकसित व पुनर्जीवित करने के लिए 25 करोड़ की लागत से सूखाताल झील रिचार्जिंग जोन ट्यूरिस्ट डेस्टीनेशन का काम शुरू कराया था। लेकिन आधा काम होने के बाद इसे रोकना पड़ गया। इसके चलते वर्तमान में सूखाताल झील सीवर व कूडे़ से बदहाल हो उठी है। झील और उसके चारों तरफ तेजी से बढ़ती गंदगी को देखकर स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी शिकायत नगर पालिका से की। इसके बाद पालिका ने झील के चारों तरफ लगे कूड़े के ढेर को तो साफ करा दिया लेकिन झील में जा रही सीवर की समस्या का समाधान अब तक नहीं हुआ। मामले में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी आलोक उनियाल ने बताया कि क्षेत्र में लगातार सफाई की जा रही है और लोगों से कूड़ा नालों में न फेंकने की भी अपील की जा रही है।
पासपोर्ट में पत्नी का नाम जुड़वाने के लिए अब जरूरी नहीं मैरिज सर्टिफिकेट गाजियाबाद। पासपोर्ट में पत्नी का नाम जुड़वाने के लिए अब आवेदकों को मैरिज सर्टिफिकेट जमा करने के झंझट में नहीं पड़ना पड़ेगा। बिना प्रमाण पत्र के ही पत्नी का नाम आवेदक के पासपोर्ट में जुड़ जाएगा, सिर्फ आवेदन के कॉलम में पत्नी का नाम लिखना होगा। इस सुविधा से ऐसे हजारों आवेदकों को राहत मिल गई, जिनके पासपोर्ट शादी से पहले बने हुए हैं। गाजियाबाद पासपोर्ट कार्यालय से हर महीने तकरीबन 20 हजार लोगों के पासपोर्ट का नवीनीकरण किया जाता है। नवीनीकरण के दौरान आवेदक को अपनी जानकारी अपडेट करनी पड़ती है। बड़ी संख्या में ऐसे आवेदन पासपोर्ट कार्यालय में पहुंचते हैं, जिनमें शादी के बाद आवेदक अपनी पत्नी का नाम भी पासपोर्ट में जुड़वाते हैं। पूर्व में इन आवेदकों को मैरिज सर्टिफिकेट बनवाकर अपलोड करना पड़ता था। इसके लिए उन्हें तहसील के चक्कर काटने पड़ते थे। पासपोर्ट अधिकारी सुब्रतो हाजरा का कहना है कि पासपोर्ट में पत्नी का नाम जुड़वाने के लिए शादी के प्रमाण पत्र की अनिवार्यता खत्म कर दी है। अब पासपोर्ट के लिए नए आवेदन और नवीनीकरण के दौरान मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होगी। जो सूचना आवेदक की ओर से फार्म में भरकर दी जाएगी, पासपोर्ट विभाग उसी सही मानकर अपडेट कर देगा। ऐसे मामलों में जरूरी होगा सर्टिफिकेट सिर्फ ऐसे मामलों में मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत होगी, जिनमें व्यक्ति ने दूसरी शादी कर ली है या फिर आवेदक की दो पत्नी हों। पासपोर्ट के अधिकारियों का कहना है कि अगर आवेदक ने पत्नी को तलाक दे दिया है और दूसरी शादी कर ली है तो उसे पासपोर्ट से पत्नी का नाम हटवाने के लिए तलाक के दस्तावेज भी उपलब्ध कराने होंगे। इसके बाद ही दूसरा नाम पासपोर्ट में जुड़ सकेगा।