सादुल्लाहनगर (बलरामपुर)/ मुहर्रम, आतंकवाद और दहशत गर्दी के खिलाफ एक आंदोलन है इसी वक्तव्य से मजलिस की शुरुआत करते हुए मौलाना गुलाम अब्बास हल्लौरी ने लोगों को सम्बोधित किया।
मुहर्रम कोई तहवार नहीं बल्की ज़ुल्म और आतंकवद के विरुद्ध बकायदा एक तहरीक है। इमाम हुसैन ने यज़ीद जैसे ज़ालिम-ओ- जाबिर की बैअत न कर के पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि तदाद में कम होने के बावजूद, ज़ालिम के मुक़ाबले में हक़ बहुत बड़ा होता है। ज़ालिम ताकतें हक़ के मुक़ाबले में बौनी नज़र आती हैं, पूरी दुनिया से दशहतगर्दी और आतंक की समाप्ति तभी संभव है जब कर्बला और इमाम ए हुसैन के रास्ते को अपनाया जाए । लखनऊ से मीरापुर तशरीफ लाए मौलाना गुलाम अब्बास हल्लौरी ने अशरे के दूसरे दिन की मजलिस के दौरान सैकड़ों की संख्या में उपस्थित लोगों को अमन और शांति का शान्ति का संदेश दिया। विदित हो कि मीरपुर में अंजुमन अबुल फजलिल अब्बास के तत्वाधान में हो रहे अशरे मुहर्रम की मजलिसे जारी हैं जिसमें 1 मुहर्रम से 10 मुहर्रम तक इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद करते हुए शोक सभाएं की जाती है, और नौहा ओ मातम कर के करबला वालो को याद किया जाता है। अंजुमन अबुल अबुल फजलिल अब्बास मीरपूर के सदर सैय्यद सलीम हैदर ने बताया कि सात मुहर्रम से कस्बे में जुलूसों का सिलसिला शुरू हो जाएगा जिसमे हुसैनी अजादार जुलूसों में शामिल हो के पुरसा पेश करेंगे, और नौ मुहर्रम की रात भर मजलिस वा मातम का यह सिलसिला जारी रहेगा, देर रात्रि करबला के नन्हे शहीद हजरत अली असगर का झूला बरामद होगा । दस मुहर्रम को ताजिया का जुलूस मौजे से निकल कर करबला पहुंचेगा और ताज़िया को सिपुर्द खाक किया जाएगा ।इसी क्रम में नमाजे मगरिब के बाद मजलिसे शामे गरीबान बरपा होगी । मजलिस में शमशाद काजमी, रिजवान काजमी, दिलदार काजमी इरशाद काजमी,तहरीर काजमी सहित तमाम लोगों ने अहम भूमिका निभाई।