November 23, 2024
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गाजीपुर। स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबंध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई जिसमें, महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र – छात्राएं आदि उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी में कला संकाय के राजनीति विज्ञान विभाग के शोधार्थी विकास कुमार ने अपने शोध शीर्षक “शीत युद्ध के पश्चात् हिन्द महासागर में महाशक्तियों की स्थिति एवं भारत की सुरक्षा नीति” नामक विषय पर अपना शोध प्रबंध व उसकी विषय- वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्तमान में हिन्द महासागर क्षेत्र विश्व का ऐसा क्षेत्र है जो अस्थिर और अशांत है। राजनीतिक हलचल और महाशक्तियों की प्रतिद्वंद्विता इस क्षेत्र की मूल विशेषता है। नौसैनिक महत्व विशेषकर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह क्षेत्र तनाव, संघर्ष एवं टकराव का केंद्र बन गया है। अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए महाशक्तियां विशेषकर अमेरिका, रूस, चीन व फ्रांस अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे हैं। हिन्द महासागर भारत के लिए केन्द्रीय महत्व का बिन्दु है। इस महासागर की आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियां प्रारम्भिक काल से ही भारतीय उपमहाद्वीप से जुड़ी है। हिन्द महासागर में भारत के लगभग 1152 द्वीप है, जिनकी सुरक्षा और विकास का दायित्व भारत पर ही है। इसके अतिरिक्त भारत का 98 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय व्यापार हिन्द महासागर से ही होता है। पूर्व की ही भांति आगे के वर्षो में भी हिन्द महासागर जल क्षेत्र भारतीय विकास व प्रतिष्ठा का मुख्य आधार बना रहेगा। भारत को आगे विकास व सुरक्षा के लिए हिन्द महासागर जल क्षेत्र पर विशेष ध्यान देना होगा क्योंकि भारत के आर्थिक विकास तथा सुरक्षा में हिन्द महासागरीय संसाधनों तथा परिवहन माध्यमों का महत्वपूर्ण योगदान होगा। अतः यह स्पष्ट है कि 21वीं शताब्दी में भारतीय सुरक्षा व विकास मुख्य रूप से हिन्द महासागर पर निर्भर करेगा। ऐसी स्थिति में भारतीय नौसेना की विशेष भूमिका होगी ताकि शांन्ति व संकट दोनों के समय में भारतीय हितों की सुरक्षा कर सकें तथा इसके साथ ही भारत को हिन्द महासागर क्षेत्र में क्षेत्रीय देशों (सार्क, आसियान, हिमतक्षेस) के साथ सहयोग और अधिक बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है। क्योंकि इसी से इस क्षेत्र में बाहृय शक्तियों की भूमिका को सीमित व समाप्त किया जा सकता है तथा क्षेत्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जा सकता है। क्योंकि हमारी सशक्त निगरानी एवं नौसेना ताकत ही हमें हिन्द महासागर की सुरक्षा के लिए सक्षम बनाएगी। प्रस्तुतीकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोधार्थियों द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थी विकास कुमार ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात् समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबन्ध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे०(डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० ( डॉ०)जी० सिंह, शोध निर्देशक एवं विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग प्रोफे० (डॉ०) सुनील कुमार, प्रोफे०( डॉ०) मोहम्मद आबिद अंसारी, प्रो०(डॉ०) अरूण कुमार यादव, डॉ० कृष्ण कुमार पटेल, डॉ० राम दुलारे, डॉ०रूचि मूर्ति सिंह, प्रोफे० (डॉ०) सत्येंद्र नाथ सिंह, डॉ० अतुल कुमार सिंह, डॉ० मनोज मिश्रा, डॉ० लवजी सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोधार्थी आदि उपस्थित रहे। अन्त में शोध निर्देशक एवं विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग प्रोफेसर (डॉ०) सुनील कुमार ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रो०(डॉ०)जी० सिंह ने किया।

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