November 24, 2024
7

ललितपुर। मुनि अविचल सागर महाराज ने कहा अरिहंत परमेष्ठी की स्तुति में देवताओं और ऋषि मुनियों ने भी स्वयं को अक्षम पाया है, जिनेन्द्र भगवान की प्रशंसा करने या सम्मुख उपस्थित होने के लिए कभी अनुकूलता का इंतजार नहीं करना चाहिए।चातुर्मास की पावन बेला में अभिनन्दनोदय तीर्थ क्षेत्र पर निरंतर धर्म प्रभावना हो रही है। सुबह नित्य मय अभिषेक, विश्व शांति की मंगल भावना के साथ मुनि श्री के मुखारविन्द से मंत्रोच्चार के मध्य शांतिधारा पूजन विधान किया गया। धर्म सभा के शुभारम्भ में सिद्ध क्षेत्र पावागिरि प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष विशाल जैन पवा के साथ धर्मश्रेष्ठियों ने आचार्य श्री का चित्र अनावरण कर दीप प्रज्वलित किया, महिला मण्डल ने मुनि श्री एवं क्षुल्लक जी को शास्त्र भेंट किया। मंगलाचरण के उपरांत धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए मुनि अविचल सागर महाराज ने कहा करोड़ों जन्मों के पापों को विनाश करने का अवसर कभी गंवाना नहीं चाहिए। भगवान की स्तुति या दर्शन से पाप नहीं कटते, पाप कटते हैं शब्दों से, हमें शब्दों को बदलना है। जिनेन्द्र भगवान की प्रतिमा को दर्शन के उपरांत जो मनोभाव में शब्द उत्पन्न होते हैं उनसे ही पाप-पुण्य बंध होगा। देखने से कभी पाप नहीं होता, पाप-पुण्य होता देखकर मानस पटल पर उठने वाले शब्दों से। शब्द ही हैं जो आठ कर्म काट सकते हैं, अक्षरों से कुछ पवित्र शब्दों का निर्माण करो। बुरे विचारों को रोकने और उन्हें बदलने से जीवन में उमंग उत्साह शांति आयेगी। मलीन शब्दों को अपने मन मस्तिष्क में लेकर कर्मों को बाँधने से बचें। मुनि श्री ने कहा शब्द बदलने की साधना कीजिये, मटमेले धागों पर सोने के तार को मढ़ना है। मंगलकारी शब्द और श्रेष्ठ विचार ही मानव जीवन को सफल बनाते हैं। बेहतर सोच को प्रेरित करो, संसार बढ़ाने वाले शब्दों को रोकने का प्रयास करो। भगवान राम ने कभी किसी को मारने का भाव नहीं किया, वह मन में कभी ऐसे शब्दों को नहीं लाये जो उन्हें रावण के साथ हुए युद्ध में करना पड़ा, इसीलिए उन्होंने अपना कल्याण कर लिया। कभी कोई शक्ति किसी का कल्याण नहीं कर सकती, उसके लिये स्वयं प्रयास करना होगा। स्वर-व्यंजन को जोड़कर पावन शब्दों को तैयार करो, विचार करो की प्रतिदिन हमनें कितने मलीन और कितने पवित्र शब्दों का स्मरण किया है जिससे तय होगा की कितना पाप – पुण्य बंध हुआ है। जाति धर्म परम्परा से ऊपर उठकर हमेशा अपने बुरे शब्दों को रोककर अच्छे विचारों को मन में लाने का प्रयास करो। दशलक्षण धर्म का पालन कहने से नहीं उनके चिंतन करने से होगा। अंत में 19 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व पर विधान आयोजन की घोषणा की गयी जिसके लिये पात्र चयन 15 अगस्त को होगा। कार्यक्रम में भक्तामर पाठ पुण्यार्जक परिवार एवं सकल दिगम्बर जैन समाज का सक्रिय सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री आकाश जैन भारत गैस एवं आभार पंचायत समिति के अध्यक्ष अक्षय टडैया ने व्यक्त किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *