कांधला फर्जी अनुबंध के भ्रष्टाचार की बुनियाद
पर, नियमों और कानूनों की धज्जियाँ उड़ाने वाले यूनिपोल मामले में नगर पालिका प्रशासन लचर रवैया अपनाएं हुए है। नगर में लगे यूनिपोलों को लेकर एक माह से चल रहा विवाद थमने का नाम नही ले रहा है। गत दिनों रात्रि के अंधेरे में ठेकेदार के द्वारा उखाड कर ले जा रहे यूनिपोलों को पकड कर नगर पालिका में जमा करा दिया था। नगर पालिका सभासदों ने अब उक्त यूनिपोलों के गायब होने का आरोप लगाया है।
नगर में पिछले एक माह ने यूनिपोलों को लेकर राजनीति अपने चरम पर है। दस दिन पूर्व रात्रि के समय नगर से यूनिपोल ठेकेदार ने यूनिपोलों को उखाडना शुरू कर दिया था। जिस पर सभासदों ने मौके पर पहुंच कर हंगामा कर दिया था। जिसके बाद ठेकेदार द्वारा उखाडे जा चुके छह यूनिपोलों को अपनी सुपुर्दगी में लेकर उनको सुरक्षित रखवा दिया था। जबकि बाकी बचे यूनिपोलों से सभी फ्लैक्स हटवाते हुए उनको नगर पालिका के द्वारा अधिग्रहण होना बताया था। किन्तु नगर पालिका प्रशासन के लचर रवैये व यूनिपोल ठेकेदार को अनुचित लाभ देने के उदेदश्य से नगर पालिका के द्वारा अपनी सुपुर्दगी में रखवाएं गए सभी यूनिपोल गायब हो गए। छह यूनिपोल गायब हो जाने के बाद नगर पालिका प्रशासन ने मामले में कोई भी उचित कदम नही उठाया है। गौरतलब है कि जनपद बागपत की प्रसार कम्पनी मैसर्स भारत एड के द्वारा नगर पालिका प्रशासन को एक पत्र दिसम्बर 2019 में देते हुए नगर में पांच यूनिपोल लगाने की अनुमति मांगी थी। जिसमें कम्पनी द्वारा अपने द्वारा छ स्थानों का चयन कर एक नक्शा बनाते हुए नगर पालिका में जमा कर उन छ स्थानों में से पांच स्थानों पर यूनिपोल लगाने की बात कही थी। भारत ऐड कम्पनी के द्वारा दिए गए पत्र पर उसी दिनांक में तत्कालीन अधिशासी अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट लगाते हुए स्वीकृति दे दी थी। इसमें गौर करने वाली बात है कि उक्त यूनिपोल का साइज 20 गुणा 10 पर रखते हुए वार्षिक किराया मात्र एक हजार यूनिपोल का स्वीकृत किया गया था। किन्तु प्रचार कम्पनी ने 05 यूनिपोल स्वीकृत कराने के बाद नगर में 10 यूनिपोल लगा लिए है। नगर में यूनिपोलों के बढते जाल के बाद जब इनका विरोध होना शुरू हुआ तो पता चला कि उक्त यूनिपोल नगर पालिका कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खडे है। नगर पालिका की सीमा में लगने वाले यूनिपोलों के स्वीकृति पत्रों पर नगर पालिका के कर्मचारियों ने मिली भगत कर तत्कालीन अधिशासी अधिकारी राजबली यादव के फर्जी हस्ताक्षर कर स्वीकृति पत्र बनाकर अब तक नगर पालिका को लाखों रूपए की चपत लगा चुके है। पिछले कई माह से चल रहे उक्त प्रकरण में फर्जीवाडा सामने आने के बाद भी नगर पालिका के समस्त अधिकारी व कर्मचारी यूनिपोल एजंेसी के सामने नतमस्तक है तथा उस पर कोई भी कार्यवाही करने से हिचकिचा रहे है छह यूनिपोलों के गायब हो जाने के बाद भी पालिका प्रशासन मामले में किसी कार्यवाही के मूड में नही है। मामले को लेकर जब पालिकाध्यक्ष नजमुल इस्लाम से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे सम्पर्क नही हो पाया। वही दूसरी और अधिशासी अधिकारी सुरेश कुमार के छुट्टी पर होने के कारण उनका नंबर बंद आता रहा।