उरई। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० एन० डी० शर्मा ने बताया कि रेबीज एक संक्रामक बीमारी है, जो संक्रमित कुत्ते, बिल्ली, बंदर, घोड़े आदि के काटने, खरोंचने या लार आदि के माध्यम से फैलती है। इसमें वैक्सीनेशन ही बचाव है। अगर व्यक्ति रेबीज से संक्रमित हो जाये तो मृत्यु निश्चित है। इसलिये जब भी किसी व्यक्ति को कुत्ता बिल्ली, बंदर, घोड़े आदि काटते है, तो सबसे पहले घाव को बहते हुए साफ पानी एवं साबुन से 15 मिनट तक धोए एवं नजदीकी चिकित्सालय में जाकर रेबीज का वैक्सीनेशन जरूर कराये। किसी झांड-फूक के बारे मे न पड़े और न ही घाव पर मिर्च पाउडर एवं तेल का प्रयोग करें। घाव को पटटी से न बाधे। कुत्ते को अकारण न छेड़े, अपने पालतू कुत्तों का टीकाकरण जरूर कराये तथा पालतू कुत्ते को आवारा कुत्तों के साथ न घूमने दे। आपके आवासीय क्षेत्र में कुत्ते, बिल्ली, बन्दर एवं अन्य जंगली जानवर अधिक हो तो नगर पालिका/नगर पंचायत में जाकर सूचना दे। जनपद की समस्त चिकित्सा इकाइयों पर रेबीज की वैक्सीन उपलब्ध है। चिकित्सा इकाइयों मे प्रशिक्षित चिकित्सकों, फार्मासिस्ट एवं स्टार्फ नर्स द्वारा वैक्सीनेशन किया जाता है। पिछले वर्ष जनपद में 45043 लोगो को कुत्ता बिल्ली, बन्दर, घोड़े आदि द्वारा काटा गया जिन्हे मेडिकल कालेज, जिला अस्पताल, सीएससी एवं पीएससी पर रेबीज बीमारी से बचाव हेतु टीके लगाये गये। प्रतिदिन समस्त चिकित्सा इकाइयों पर लगभग 140 लोगों का टीकाकरण किया जाता है समस्त चिकित्सा इकाइयों में प्रशिक्षित चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा बताया जाता है कि कुत्ते आदि काटने के बाद क्या सावधानियां बरती जाये।