हाल के वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में तेजी से प्रगति हुई है, जिसने एक ओर जटिल से जटिल कार्यों को बहुत आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर डीप फेक वीडियो (डीएफवी) जैसे विचित्र, खतरनाक पहलू को भी जन्म दिया है। हालाँकि ये वीडियो पहली नज़र में हानिरहित लग सकते हैं, लेकिन इनके दुरुपयोग के परिणामों के बारे में चिंताएँ उठनी शुरू हो गई हैं, खासकर जब राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हस्तियों को लेकर डीएफवी बनाने की बात आती है। इस डर का कारण यह है कि ऐसे वीडियो का इस्तेमाल समुदायों, सभ्यताओं, राष्ट्रों और विचारधाराओं के बीच अशांति भड़काने के लिए किया जा सकता है, जिससे देशों और यहां तक कि दुनिया की स्थिरता पर बहुत खतरनाक परिणाम हो सकते हैं।
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का एक डीपफेक वीडियो वायरल हो गया है, जिससे देश में सियासी तूफान मच गया है। वीडियो में दावा किया गया कि अमित शाह भारत में आरक्षण हटाने की बात कर रहे थे। फर्जी वीडियो में शाह कह रहे थे, “अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो वह असंवैधानिक एससी/एसटी (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति) और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण को खत्म कर देगी।”
बताया जाता है कि अमित शाह का डीप फेक वीडियो कथित तौर पर तेलंगाना कांग्रेस हैंडल से सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) ने वीडियो के संबंध में गलत काम के किसी भी दावे का खंडन किया है, लेकिन अमित शाह के छेड़छाड़ किए गए वीडियो के मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी को दिल्ली पुलिस ने बुधवार को तलब किया था। सीएम के साथ-साथ तेलंगाना से चार अन्य लोगों को भी तलब किया गया है।इन सभी लोगों से अपने मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक गजेट्स साथ लाने को कहा गया है। इन पर आईटी एक्ट और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और समाज मे विद्वेष फैलाने की कोशिश की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। जिस वक्त दिल्ली पुलिस ने तेलंगाना कांग्रेस के नेताओं को नोटिस सर्व किया उस वक्त रेवंत रेड्डी कर्नाटक के कलबुर्गी में प्रियंका गांधी की एक चुनावी सभा में थे। रेवंत रेड्डी ने कहा कि भाजपा अब तक चुनाव में ई डी , सी बी आई और आयकर विभाग का ही इस्तेमाल कर रही थी, लेकिन अब इस सूची में दिल्ली पुलिस का नाम भी जुड़ गय़ा है। रेवंत रेड्डी ने कहा कि चुनाव में हार के डर से भाजपा ये सब करवा रही है।
प्रधान मंत्री मोदी ने महाराष्ट्र के सतारा और कर्नाटक के बागलकोट में रैलियों को संबोधित करते हुए लोगों को आगाह किया कि एक बहुत बड़ी साज़िश पर काम हो रहा है ताकि डीपफेक वीडियो के जरिए नकली वीडियो बना कर लोगों को गुमराह किया जाय और समाज में वैमनस्य को बढावा दिया जाय। मोदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटैलीजेंस और सोशल मीडिया के जमाने में जो इसका दुरूपयोग कर रहे हैं, जो समाज को भड़काने और आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं, उनसे सावधान रहने की जरूरत है। मोदी ने कहा कि पुलिस तो इस तरह की हरकत करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि चुनाव आयोग भी इस मामले को गंभीरता से लेगा।
टैक्नोलॉजी के ज़माने में असली-नकली में फर्क करना मुश्किल है। नेता वही, आवाज़ वही, हाव-भाव वही, लेकिन शब्द नकली। ये फिल्मों और टीवी सीरियल्स में हो, तो बात समझ में आती है लेकिन जब चुनाव के दौरान नेताओं को ऐसा बोलते हुए दिखाया जाए, जो उन्होंने कहा ही नहीं हैं, तो बहुत मुश्किल हो जाएगी। आजकल हर हाथ में मोबाइल है। सबके फोन में वॉट्सऐप, ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब जैसे तमाम सोशल मीडिया ऐप हैं। एक नकली वीडियो कुछ ही सेकेन्ड में लाखों लोगों तक पहुंच जाता है और लोग इस सच मानकर फारवोर्ड कर देते हैं। इसलिए ये भयानक खेल है। लोकतन्त्र के लिहाज़ से खतरनाक खेल हैं।चूंकि लोगों के पास वीडियो की असलियत को जानने का तो कोई ज़रिया नहीं हैं, इसलिए कम से कम आप इतना कर सकते हैं कि बिना सोचे समझे किसी वीडियो को फारवोर्ड न करें, वरना मुसीबत में पड़ सकते हैं क्योंकि IT एक्ट बहुत सख्त हैं। अगर आप किसी गलत वीडियो को पोस्ट करते हैं या फॉरवर्ड करते हैं तो जेल जा सकते हैं। इसीलिए मोदी ने कहा कि सावधान रहिए। जहां तक विरोधी दलों के नेताओं का सवाल है, तो ये साफ हो गया कि अमित शाह का नकली वीडियो जानबूझ कर सोची समझी रणनीति के तहत फैलाया गया क्योंकि जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, उसके बाद गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार तक कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आर जे डी के नेताओं ने रैलियों में कहना शुरू कर दिया कि भाजपा ने दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण को खत्म करने की तैयारी कर ली है। अगर मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो आरक्षण खत्म हो जाएगा।
गुजरात के पाटन में राहुल गांधी ने एक रैली में कहा कि भाजपा के नेता कहते हैं कि वो किसी कीमत पर आरक्षण खत्म नहीं करेंगे, लेकिन हकीकत ये है कि भाजपा के लोग संविधान और आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं, इसीलिए वो सरकारी नौकरियां खत्म कर रहे हैं, निजीकरण को बढावा दे रहे हैं क्योंकि निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू नहीं होता। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगरा और एटा की रैलियों में कहा कि भाजपा के लोग आरक्षण के घोर विरोधी हैं। वो संघ के इशारे पर धीरे धीरे आरक्षण को ख़त्म करते जा रहे हैं। बिहार के सारण में अपनी बेटी रोहिणी आचार्य का प्रचार करने पहुंचे लालू प्रसाद यादव ने भी कहा कि अब लड़ाई सरकार बनाने की नहीं, संविधान और आरक्षण को बचाने की है। लालू ने कहा कि संविधान को बचाने के लिए ही सारे दल इकट्ठा हुए हैं और सब मिलकर भाजपा को हराएंगे। इसके बाद लालू ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में भोजपुरी गीत गुनगुनाते हुए कहा कि भाजपा को जनता ऐसा धक्का लगाएगी कि वो सत्ता से हट जाएंगे।
विरोधी दलों के नेताओं के आरोपों का जवाब प्रधानमंत्री मोदी ने दिया। मोदी ने महाराष्ट्र के सोलापुर की रैली में कहा कि वो तो क्या, बाबा साहब अंबेडकर भी अब आरक्षण को खत्म नहीं कर सकते। इसलिए विरोधी दलों के नेता जो झूठ फैला रहे हैं, उस पर यकीन करने की जरूरत नहीं हैं. मोदी ने कहा कि कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन के लोगों को अपनी हार साफ दिख रही है, इसलिए वो परेशान हैं और अब लोगों के बीच झूठ फैलाने में जुट गए हैं और कह रहे हैं कि मोदी सरकार आरक्षण खत्म कर देगी.मोदी ने कहा कि जब तक मैं जिंदा हूं मैं आरक्षण को खत्म नहीं होने दूंगा। इस चुनाव में कांग्रेस की कोशिश है कि किसी तरह भाजपा पर ये बात चिपका दी जाए कि मोदी और उन की पार्टी आरक्षण विरोधी है। अमित शाह का फेक वीडियो, राहुल और लालू के बयान इसी सोची समझी नीति का हिस्सा हैं। लेकिन आजकल लोग काफी जागरूक हैं। लोग ये जानते हैं कि जहां तक आरक्षण का सवाल है, आज के ज़माने में कौन इसे हटाने की बात कहेगा? न कोई आरक्षण हटा सकता है, न कोई इसके बारे में सोच सकता है और ये कोई आखिरी चुनाव तो है नहीं। भाजपा को आगे भी चुनाव लड़ने हैं। आगे भी सरकारें बनानी है। आगे भी पार्टी चलानी है। इसीलिए ये नैरेटिव बिलकुल बेकार है कि मोदी आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं। इस बात की शुरुआत लालू यादव ने की थी। राहुल गांधी ने भी यही बात बड़ी चालाकी से फैलाने की कोशिश की। इसको 400 पार के नारे से जोड़ा। ये कहा कि मोदी इसीलिए 400 सीटें चाहते हैं ताकि आरक्षण खत्म कर दें। इस बात पर शायद ही कोई यकीन करेगा।