उरई। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० एन डी शर्मा ने बताया कि बारिश के मौसम में सर्पदंश से अधिक जनहानि होती है, सर्पदंश से होने वाली जनहानि को रोकने के लिये क्या करें एवं क्या न करें तथा सर्पदंश से होने वाले लक्षण एवं बचाव निम्नवत है। उन्होंने सर्पदंश के लक्षण के सम्बंध में बताया कि सर्पदंश वाले स्थान पर तेज दर्द होना, दंश वाले हिस्से में सूजन, पलको का भारी होना एवं बेहोशी आना, पसीना आना एवं उल्टी महसूस होना, सांस लेने में तकलीफ होना, आंखो मे धुंधलापन छाना। उन्होंने सर्पदंश होने पर क्या करें के सम्बंध में बताया कि सांप के रंग और आकार को देखने और याद रखने की कोशिश करें, जिस जगह पर सर्पदंश है वहां से सभी प्रकार के आभूषण जैसे- घड़ी, अंगूठी आदि को निकाल दे, सर्पदंश पीड़ित व्यक्ति को शांत और स्थिर रहने के लिए कहें, सर्पदंश पीड़ित व्यक्ति को तुरन्त नजदीकी अस्पताल ले जायें, पीड़ित व्यक्ति का सिर ऊंचा करके लिटाये या बैठायें, घाव को तुरन्त गर्म पानी या साबुन से साफ करे, काटे हुए अंग को पटटी या सूती कपड़े से बांध दे। उन्होंने सर्पदंश होने पर क्या न करें के सम्बन्ध में बताया कि सर्पदंश वाले भाग में डोरी या रस्सी न बांधे, गर्म पट्टी का उपयोग न करें, सर्पदंश की जगह पर किसी धारदार वस्तु से काटकर या दबाकर जहर को निकालने का प्रयास न करे, सांप काटने पर पीड़ित व्यक्ति का पारम्परिक इलाज करके समय की बर्बादी न करें, क्योंकि यह विश्वसनीय नही होता है, सांप द्वारा काटे गए स्थान पर बर्फ का प्रयोग न करें, सर्पदंश वाले अंग को न मोड़ें, सांप काटने की स्थिति में सांप को पकड़ने या मारने की कोशिश न करें। उन्होंने सर्पदंश से बचाव के उपाय का व्यापक प्रचार-प्रसार के सम्बंध में बताया कि मलबे या अन्य वस्तुओं के नीचे सांप हो सकते है, सतर्क रहें, सर्पदंश को रोकने के लिये उपर्युक्त जूते और कपडे पहनने की सलाह दी जाती है, सांप के मृत होने की स्थिति में भी सांप को हाथ न लगायें, घर से बाहर रात्रि भ्रमण के दौरान सदैव टार्च/ लालटेन का प्रयोग करें, सांप को अपने असा पास देखने पर धीरे-धीरे उससे पीछे हटें, ऊंची जमीन पर जाने के लिये पानी में तैरते समय सापो से सावधान रहे।