November 21, 2024

धार्मिक

कालपी। लम्बे इंतजार के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में फिर ऑपरेशन से प्रसव की शुरुआत...
खटारा वैन का जानलेवा सफर – जिंदगी के लिए हर दिन मौत से लड़ते मुसाफिर, जुगाड़ पर चल रहा धंधा दिल्ली   दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में लोगों को मजबूरन खटारा वाहनों से जानलेवा सफर करना पड़ रहा है। बगैर इजाजत से धड़ल्ले से दौड़ रहे निजी वाहनों की हेड लाइट, इंडीकेटर से लेकर सीट तक उखड़ी दिख जाती है। जुगाड़ पर क्षमता से दो गुना ज्यादा सवारी लेकर संचालक अपना धंधा चला रहे हैं। जबकि अपनी जिंदगी चलाने के लिए मुसाफिर हर दिन मौत से लड़ते नजर आते हैं। हैरानी की बात यह कि दो से तीन जिलों को पार करते इन वाहनों को पुलिस नजरअंदाज किए रहती है। पुलिस के साथ आपसी तालमेल से इनका वाहन सड़कों पर हवा से बात करता नजर आता है। यह ट्रैफिक व परिवहन के हर नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हैं। इसी तरह के लापरवाही का नतीजा बृहस्पतिवार लोनी गोल चक्कर के हादसे के तौर पर रहा, जिसमें तीन लोगों की जान चली गई थी और नौ लोग घायल हुए थे।   दबी जुबान से दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वैन को सवारी के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दिल्ली में कही भी नहीं है। लोग प्राइवेट वैन खरीद रूट पर चलाना शुरू कर देते हैं। ना तो यह वैन वैध हैं और न ही इनके द्वारा वसूल किया जा रहा किराया वैध है। चालक किराया ज्यादा वसूलने का विरोध करने पर सवारियों के साथ मारपीट भी करते हैं। आनंद विहार से लोनी बॉर्डर के लिए एक सवारी का 50-100 रुपये तक वसूल लेते हैं। जबकि बस का किराया 10-20 रुपये के बीच है। दिल्ली में सभी जगह चल रही हैं अवैध वैन दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार प्राइवेट वैन खरीदकर कर्मिशियल गतिविधियों के लिए चलाने की अनुमति कही नहीं है। इसके वाबजूद यह पूरी दिल्ली में बड़े पैमाने पर चल रही है। दूसरी वैन से आगे निकलने व ज्यादा सवारी बैठाने की होड़ में वैन चालक आए दिन सड़क दुर्घटनाएं करते हैं। सार्वजनिक परिवहन सेवा ठीक नहीं होने से लोग वैन में बैठते हैं ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी बताते हैं कि जरूरत के हिसाब से सार्वजनिक परिवहन सेवा नहीं होने के कारण लोग अवैध रूप से चल रही इन वैनों में बैठते हैं। इनमें बैठना लोगों की मजबूरी है। लोगों का कहना है कि आबादी बढ़ रही और सार्वजनिक परिवहन सेवा है नहीं, उसका फायदा ये वैन चालक उठा रहे हैं।    
अमेरिका से वापस लाई जाएंगी 100 बेशकीमती मूर्तियां – जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रदर्शित करने की योजना नई दिल्ली देश से चोरी हुई बहुमूल्य मूर्तियों को अमेरिका से वापस लाने की कवायद तेज हो गई है। इनमें 2100 साल पुरानी मूर्तियां भी शामिल हैं। इसमें यक्षिणी, भगवान विष्णु-लक्ष्मी, कुबेर, सूर्य भगवान की प्रतिमा, भगवान गणेश की नृत्य करती समेत कई तरह की प्रतिमाएं हैं। सांस्कृतिक धरोहर में शामिल 100 से अधिक बेशकीमती मूर्तियां देश में वापस आएंगी। यह अभी तक के इतिहास में सांस्कृतिक धरोहर वापस आने की सबसे बड़ी खेप बताई जा रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) अमेरिका की एजेंसी के साथ संपर्क में है। जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक को देखते हुए उम्मीद है कि इन्हें एक माह के अंदर देश में लाया जाएगा। विदेश से आने वाले मेहमानों को इनसे भारतीय प्राचीन संस्कृति से रूबरू कराया जाएगा। देश के अलग-अलग राज्यों से चोरी हुईं इन बेशकीमती मूर्तियों को सहेजा जाएगा। इनमें कुछ प्रतिमाएं धार्मिक भी हैं और गैर धार्मिक भी। इसमें मुख्य रूप से ईसा पूर्व में द्वितीय-पहली शताब्दी की यक्षिणी की टेराकोटा की प्रतिमा, 11वीं शताब्दी की भगवान विष्णु-लक्ष्मी व गरूड़ की मिट्टी से बनी मूर्ति, 8वीं-9वीं शताब्दी की कुबेर की मिट्टी से बनी प्रतिमां, 11-12वीं शताब्दी के सूर्य भगवान की प्रतिमां, 9वीं शताब्दी के लाल पत्थर की बनी भगवान गणेश की मूर्ति व नंदी की प्रतिमा समेत कई मूर्तियां शामिल हैं। इसके अलावा तमिलनाडु के मंदिरों से चुराई गईं तीन मूर्तियां शामिल हैं। इनमें पूर्व चोल काल पत्थर की मूर्तियां शामिल हैं। ये मूर्ति 12 वीं- 13 वीं शताब्दी की हैं। इसमें धार्मिक मूर्तियां, कांसे और टेराकोटा की बनी प्राच्य वस्तुएं हैं। यह बहुमूल्य मूर्तियां चोरी चुपके बाहर भेजी गईं थीं। एएसआई के दल की पहचान एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन मूर्तियों की छानबीन की गई है। इनकी जांच के लिए एएसआई का एक दल अमेरिका भी गया था। इसमें इन मूर्तियों की पहचान कर इनके काल का भी पता लगाया गया है। उन्होंने बताया कि यह मूर्तियां उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान व तमिलनाडु समेत कई राज्यों से चुराई गईं थी। वहीं, एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह मूर्तियां आने वाले एक माह के भीतर हमारे देश में आने की उम्मीद है। इनको वापस लाने के लिए सभी जरूरी प्रक्रिया चल रही हैं। यह मूर्तियां फिलहाल वहां के अलग-अलग संग्रहालयों में रखी गई हैं। सहेजी जाएगी धरोहर...
आप अगले साल तक एक अलग दिल्ली देखेंगे, मेयर शैली ओबेरॉय बोलीं इस साल अपने पहले कार्यकाल में थोड़े समय के लिए पद पर रहने के बाद शेली ओबेरॉय अप्रैल में दिल्ली मेयर के पद पर फिर से चुनी गईं। उनका कहना है कि उनकी प्राथमिकता आम आदमी पार्टी द्वारा की गई 10 गारंटियों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है। 39 वर्षीय मेयर दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व विजिटिंग असिस्टेंट प्रोफेसर और वार्ड नंबर से आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षद हैं। पटेल नगर निर्वाचन क्षेत्र के 86 ने अस्पतालों और स्कूलों की कार्यप्रणाली की जांच के लिए औचक निरीक्षण भी किया है। 15 साल में यह पहली बार है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) गैर-भाजपा सरकार के हाथों में है। एक विशेष साक्षात्कार में मेयर ने एमसीडी की योजनाओं के बारे में बात की, खासकर कूड़े के ढेर, स्वच्छता, जल संकट, बिजली, विपक्ष की भूमिका जैसी समस्याओं को लेकर। एमसीडी में कई लंबित कार्य हैं जो पिछले 15 वर्षों में पूरे नहीं हो सके जबकि भाजपा इस पर शासन कर रही थी। दिल्ली के लोगों को स्कूलों, चिकित्सा सुविधाओं और आप राज्य सरकार द्वारा प्रदान किए गए सुशासन मॉडल के संबंध में हमसे बहुत उम्मीदें हैं। ऐसी कई प्रतिबद्धताएं (गारंटी) हैं जो हमने (एमसीडी) लोगों से की हैं, इसलिए हमने उन पर काम करना शुरू कर दिया है। इसका परिणाम आपको आने वाले छह महीने से एक साल में देखने को मिलेगा। टॉप 10 में जिस स्कूल का चयन हुआ है उसका चयन विभिन्न मापदंडों पर किया गया है. उन स्कूलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर ‘सामुदायिक भागीदारी’ है। वहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों के माता-पिता स्कूल आकर उनसे बातचीत करते हैं और खेल-खेल में पढ़ाने का प्रयास करते हैं। इस आधार पर ही स्कूल को टॉप में चुना गया। एमसीडी स्कूलों को बुनियादी ढांचे, कंप्यूटर सुविधाओं, शिक्षकों और गार्डों के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। डीओपी की भी कमी है और कई स्कूलों में उचित शौचालय और स्नानघर नहीं हैं। यदि आप समग्र स्थिति की जाँच करें, तो एमसीडी स्कूल असुरक्षित स्थिति में हैं। हम उन पर काम करेंगे।