आज राजनीति का स्तर जिस तीव्रता से स्खलित होते जा रहा है। अब उनसे...
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निर्मल रानी बहुप्रचारित सेमी तीव्र गामी ट्रेन वंदे भारत लगता है रेल मंत्रालय के...
देश का जूडिशरी सिस्टम अभी भी तेज गति से काम नहीं कर रहा है...
रमेश सर्राफ धमोरा पिछले नौ वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र...
चलिए आज हम आपको देशभक्ति दम बिरयानी बनाना सिखाते हैं। सबसे पहले भगोने के...
नई दिल्ली । इस समय टेस्ला भारत में अपनी ईवी बेचने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। हाल ही खबर भी आई थी कि टेस्ला भारत में अपनी प्रोडक्शन प्लांट खोलने जा रहे है और उसकी तैयारियां भी चल रही हैं। टेस्ला को लेकर एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि टेस्ला के लिए कोई भी अलग से प्रोत्साहन नीति नहीं बनेगी। अभी तक इसपर कोई विचार भी नहीं किया जा रहा है। आइये जानते डिटेल में जानते हैं सरकारी अधिकारी ने टेस्ला को लेकर क्या कहा। अधिकारी ने कह दी ये बड़ी बात सरकारी अधिकारी के मुताबित अगर टेस्ला कोई प्रोत्साहन चाहती है तो उसको PLI स्कीम के तहत ही आवेदन करना होगा। सरकार ने पहले ही 18,100 करोड़ रुपये के आउटले के साथ एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी स्टोरेज के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) और ऑटो, ऑटो-कंपोनेंट्स और ड्रोन उद्योगों के लिए 26,058 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना शुरू कर दी है। अगर टेस्ला यहां कोई प्रोत्साहन चाहता है तो वह इस नीति के तहत आवेदन कर सकते हैं। अधिकारी ने कहा ने मीडिया को बताया कि हमने टेस्ला से कहा है कि जो नीतियां सभी के लिए पहले से हैं, वे उस पीएलआई के तहत भी लागू हो सकती हैं। उनका स्वागत है। आम तौर पर नीति सभी के लिए समान होगी। एक ही कंपनी के लिए सरकार अलग-अलग नीतियां बनाना पसंद नहीं करेगी। अभी तक टेस्ला को विशेष ट्रीटमेंट देने की कोई योजना नहीं है। टेस्ला की बैटरी के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता पैनासोनिक के प्रतिनिधियों ने हमसे मुलाकात की है और उन्होंने कहा है कि वे बैटरी बनाना चाहते हैं। हमने उन्हें पीएलआई एसीसी बैटरी के तहत आवेदन करने का सुझाव दिया है।
राजेश पांडेय, पहल टुडे वीरेन्द्र कुमार कुशवाहा के नेतृत्व में मणिपुर में हुई अमानवीय...
गाजीपुर। अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा की जिला कार्यकारिणी की बैठक रविवार को बबेड़ी स्थित...
भदोही। जनता दल यूनाइटेड के जिला इकाई की समीक्षा बैठक रविवार को श्री इंद्र...
नयी दिल्ली। विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों ने मानसून सत्र के तीसरे दिन, सोमवार को भी मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद के दोनों सदनों में बयान देने और चर्चा की मांग जारी रखी। अपनी इस मांग को लेकर इन पार्टियों के सदस्यों ने संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई विपक्षी सांसदों ने उच्च सदन में नियम 267 के तहत मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा करने और प्रधानमंत्री मोदी के बयान की मांग करते हुए कार्यस्थगन के नोटिस दिए। खरगे के अलावा आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा, कांग्रेस के सैयद नासिर हुसैन और कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों ने भी इसी विषय पर कार्यस्थगन के नोटिस दिए। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, मणिकम टैगोर और कुछ अन्य विपक्षी सांसदों ने मणिपुर के मामले पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान और चर्चा की मांग करते हुए सोमवार को लोकसभा में कार्यस्थगन के नोटिस दिए। संसद परिसर में हुए विपक्षी सांसदों के विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह, द्रमुक के टी आर बालू, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और अन्य पार्टियों के सांसद शामिल हुए। विपक्ष के सांसदों ने हाथों में एक बड़ा बैनर ले रखा था जिस पर प्रधानमंत्री से संसद के दोनों सदनों में मणिपुर के मुद्दे पर बयान देने की मांग की गई थी। उन्होंने प्रधानमंत्री सदन में आओ के नारे भी लगाए। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही आरंभ होने से पहले, सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मणिपुर के विषय पर संसद के भीतर वक्तव्य देना चाहिए, क्योंकि इस समय पूर्वोत्तर का यह राज्य इसका इंतजार कर रहा है और पूरा देश प्रधानमंत्री की ओर देख रहा है। रमेश ने यह भी कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की यह मांग भी है किसमाधान की सामूहिक इच्छा को व्यक्त करने के लिए सदन में मणिपुर के मुद्दे पर चर्चाभी हो। विपक्षी दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद के भीतर वक्तव्य देने और चर्चा की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले दो दिन दोनों सदनों की कार्यवाही बार बार बाधित हुई थी। मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो गत बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।