November 25, 2024

पहल टुडे

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पुणे। दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर मुहिम चला रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता विजय गोयल यहां पुणे में इसी तरह की समस्या का सामना कर रही एक आवासीय सोसाइटी पहुंचे। इस सोसायटी ने आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर उच्चतम न्यायालय तक गुहार लगाई है। वडगांवशेरी इलाके में ब्रम्हा सनसिटी सोसाइटी के दौरे के दौरान मंगलवार को गोयल ने कहा कि इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए 10 सूत्री कार्यक्रम लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समस्या से निपटना प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी है। गोयल ने कहा, ‘‘इस मुद्दे को हल करने के लिए 10 सूत्रीय कार्यक्रम की आवश्यकता है, जिसमें आवारा कुत्तों की 100 प्रतिशत नसबंदी, रेबीज-रोधी इंजेक्शनों का प्रबंधन, कुत्ता पालने की कुशल नीति शामिल हैं और साथ ही सरकार को कुत्ते के हमले का शिकार हुए पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि आवारा कुत्ते सड़कों पर घूमते रहते हैं और इनकी वजह से बुजुर्गों और बच्चों के लिए जोखिम की स्थिति रहती है। उन्होंने कहा कि कई बार तो ऐसे कुत्ते जानलेवा भी हो जाते हैं, खास कर छोटे बच्चों की कुत्तों के हमले में जान जाने के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। गोयल ने कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या से निपटना नगर निकाय की जिम्मेदारी है, लेकिन उनकी ओर से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पशु कल्याण बोर्ड हाल ही में पशु जन्म नियंत्रण नियमावली लेकर आया है, इसकी वजह से भी इस मुद्दे का समाधान खोजने में बाधाएं आ रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने हाल ही में संबंधित मंत्री से मुलाकात कर अनुरोध किया कि इन नियमों और दिशानिर्देशों में संशोधन किया जाए।’’ स्थानीय निवासियों के अनुसार, इस साल फरवरी में सोसाइटी के एक लड़के पर आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया था। स्थानीय निवासियों ने इसकी शिकायत पुणे नगर निगम (पीएमसी) से भी की। इसके बाद पीएमसी 50 से 60 आवारा कुत्तों को अपने साथ ले गई थी, लेकिन पशुओं के कल्याण के लिए काम करने वाले एक कार्यकर्ता ने इसके खिलाफ बम्बईउच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी। उच्च न्यायालय ने कुत्तों को छोड़ने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने के लिए स्थानीय निवासियों ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया। सोसायटी के सदस्यों में से एक नागेंद्र रामपुरिया ने बताया कि आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर गोयल द्वारा शुरू किए गए आंदोलन को देखकर वे दिल्ली में उनसे मिले थे और उन्हें अपनी पीड़ा से अवगत कराया।
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