भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर पर कट लेकर रहेंगे। यदि कट नहीं दिए गए तो किसान ट्रैक्टर चलाकर खुद कट बना लेंगे। बामनौली गांव में ब्लॉक प्रमुख कुलदीप तोमर के आवास पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए किसानों की सोने के भाव की जमीन को सरकार ने कोड़ियों के दाम में खरीद लिया और अब देहात क्षेत्र के किसानों को इसका लाभ देने से इंकार किया जा रहा है। चौगामा क्षेत्र में पुसार-बराल, दोघट-हिम्मतपुर सूजती मार्ग पर कट की मांग चल रही है। शामली जनपद में भी देहात क्षेत्र में कई जगह कट लेने की मांग भाकियू द्वारा की जा रही है। यदि कॉरिडोर पर कट नहीं दिए गए तो किसान ट्रैक्टर चलाकर खुद कट बना लेंगे। कहा कि बढ़ से बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर जनपदों में किसानों का बड़ा नुकसान हुआ है। भाकियू ने शिकारपुर, हड़ौली, माजरा, साटू नंगला आदि गांव का मुआयना किया। सरकार नुकसान की भरपाई करें। जल्द से जल्द बढ़ से प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया जाए। उन्होंने कहा कि भारत का किसान एक है। एमएसपी पर कानून लागू होना चाहिए। किसान जब तक आंदोलन नहीं करता तब तक उन्हे फसल भुगतान का भुगतान नहीं मिलता। किसानों को सरकार आतंकवादी, खालिस्तानी, टुकड़े-टुकड़े गैंग बताती है। एमएसपी पर फसलों को खरीदा जाए। कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाकियू किसी पार्टी के साथ नहीं रहेगी। किसान आजाद है, कहीं पर भी वोट दे सकते है। एक बार भाजपा का साथ दिया था, जो भाकियू की सबसे बड़ी भूल थी। कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री ने गन्ने भाव का 450 रूपये कुंतल भाव देने का वादा किया था, लेकिन भाजपा ने अपना वादा पूरा नहीं किया। इस मौके पर देश खाप चौधरी सुरेंद्र सिंह, राजेंद्र चौधरी, रामकुमार, राजीव कुमार प्रधान, गौरव बड़ौत, अरुण तोमर बॉबी, राजू तोमर सिरसली आदि मौजूद रहे। लेखपाल हत्याकांड का फर्जी खुलासा किया भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने टीकरी कस्बे के लेखपाल प्रवीण राठी हत्याकांड के खुलासे को फर्जी बताया है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने दबाव के चलते घटना का फर्जी खुलासा किया है। इसकी सही जांच होनी चाहिए। घटना में युवती का गलत फंसाया गया है। उन्होंने अपने स्तर से भी पता कराया है। युवती के हत्या से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि केस की गहराई से जांच की जाए। भाकियू जल्द की एसपी बागपत से मुलाकात कर घटना का सही खुलासा करने की मांग करेगी। वहीं लेखपाल हत्याकांड की आरोपी शिवानी की मां ने चौधरी नरेश टिकैत से मिलकर मदद की गुहार लगाई है।
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एयरपोर्ट में यात्रियों को अब पैक्ड गंगाजल भी उपलब्ध होगा। महाकुंभ के पूर्व यात्रियों को यह सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी। एक स्वयं सहायता समूह की मदद से यात्रियों को यह सुविधा आने वाले दिनों में उपलब्ध करवाने की तैयारी है। अगर ऐसा हुआ तो प्रयागराज देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट होगा, जहां यात्रियों को टर्मिनल बिल्डिंग में ही संगम का पवित्र गंगाजल उपलब्ध होगा। हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग देश के तमाम प्रांतों एवं शहरों से स्नान के लिए संगम आते हैं। अधिकांश लोग गंगा जल ले जाते हैं। ट्रेनों और बसों में तो इसे ले जाने मेें कोई समस्या नहीं रहती, लेकिन विमान यात्रियों की शिकायत रहती है कि वह उसे कैसे ले जाएं। यात्रियों के साथ हैंडबैग में एक लीटर की बोतल में गंगा जल ले जाने में समस्या नहीं आती, लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर कभी कभार इसे ले जाने की इजाजत नहीं दी जाती। एयरपोर्ट सलाहकार समिति की बैठक में सदस्य शिवशंकर सिंह एवं अन्य सदस्यों ने यह मुद्दा उठाया तो सांसद एवं समिति की अध्यक्ष केशरी देवी पटेल ने यहां बोतल बंद गंगा जल की बिक्री करने को कहा। कहा कि प्रयागराज में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इसे लेकर काम भी कर रही है। एयरपोर्ट प्रशासन इन महिलाओं से संपर्क कर उन्हें एयरपोर्ट में बोतल बंद गंगाजल की बिक्री सुनिश्चित कराए। सांसद के अनुसार क्योंकि एयरपोर्ट में काॅमर्शियल स्टॉल महंगे है। इस वजह से एयरपोर्ट प्रशासन से बीच का रास्ता निकालने को कहा है ताकि स्वयं सहायता समूह
तीन दिवसीय दौरे पर गोरखपुर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को जनता दर्शन में आए लोगों से मुलाकात की। इत्मीनान से उनकी समस्याएं सुनीं और उनके गुणवत्तापूर्ण, पारदर्शी निस्तारण के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि हर पीड़ित के साथ संवेदनशील रवैया अपनाया जाए और उसकी समस्या का समाधान कर उसे संतुष्ट किया जाए। इसमें किसी भी तरह की कोताही नहीं होनी चाहिए। गोरखनाथ मंदिर परिसर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति भवन के बाहर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार सुबह जनता दर्शन में करीब 400 लोगों से मुलाकात की और उनकी समस्याएं सुनीं। मुख्यमंत्री एक-एक करके सबके पास खुद गए और उनकी बात सुनी। सभी लोगों को आश्वस्त किया कि किसी को भी चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। हर समस्या का समाधान कराया जाएगा। उन्होंने प्रार्थना पत्रों को विषयानुसार प्रशासन व पुलिस के अफसरों को हस्तगत करते हुए जरूरी निर्देश दिए। जनता दर्शन में कई लोग गंभीर बीमारियों के इलाज में आर्थिक सहायता की गुहार लेकर आए थे। उन्होंने मौके पर उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित किया कि इलाज संबंधी इस्टीमेट की प्रक्रिया पूर्ण करते हुए जल्द शासन को उपलब्ध कराया जाए। हर जरूरतमंद को इलाज के लिए भरपूर सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
कोरोना काल में जिला जेल से पेरोल पर छोड़े गए 43 कैदी लापता हैं। ये कैदी पुलिस को खोजे नहीं मिल रहे हैं। इतना ही नहीं, जेल प्रशासन ने इनकी गिरफ्तारी के लिए कई पत्र लिखे। इसके बावजूद डेढ़ साल से लापता कैदियों को अभी तक पुलिस नहीं पकड़ पाई है। जेल प्रशासन ने एक बार फिर से लापता कैदियों की गिरफ्तारी के लिए कवायद शुरू की है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने पुलिस कमिश्नर को कैदियों की तलाश के लिए पत्र लिखा है। कोरोना संकट में कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को जेलों में बंद सात साल तक की सजा वाले सजायाफ्ता कैदियों को पेरोल पर छोड़ने के निर्देश दिए थे। लिहाजा शासन में गठित हाई पावर कमेटी की संस्तुति पर 20 मई 2021 को राजधानी की जिला जेल में बंद 122 कैदियों को 90 दिन की पेरोल पर छोड़ा था। हालांकि कोरोना के बढ़ते ग्राफ के चलते कैदियों की पेरोल अवधि बढ़ाई गई। शासन ने आदेश जारी कर 20 जुलाई 2021 तक सभी को जेल में वापस दाखिल होने के निर्देश दिए। पेरोल की अवधि पूरी होने पर सिर्फ 79 कैदी ही लौटकर आए। जबकि डेढ़ साल बाद भी 43 कैदी लापता हैं। जेल प्रशासन की रिपोर्ट पर लापता कैदियों की गिरफ्तारी के लिए शासन से पुलिस को कई बार निर्देश दिए, पर मामला सिफर है। जिला जेल लखनऊ के जेलर राजेंद्र सिंह ने बताया कि लापता कैदियों की गिरफ्तारी के लिए शासन के साथ ही संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा जा रहा है। जेलर के मुताबिक, हर दो माह पर पत्र भेजा जाता है।
सपा विधायक दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के साथ ही भाजपा की चुनावी रणनीति अब साफ होने लगी है । उनके भाजपा में शामिल होने की घोषणा जल्द हो सकती है । माना जा रहा है कि दारा सिंह चौहान के इस्तीफा से भाजपा ने अपने उस अभियान की शुरूआत कर दी है, जिसके तहत लोकसभा चुनाव में विपक्ष खास तौर पर सपा को तगड़ा झटका देने की रणनीति है । सूत्रों की माने तो सपा के कई और विधायक भी भाजपा के संपर्क में हैं। उनको साथ लाने के लिए भाजपा के कुछ नेताओं को मिशन पर लगाया गया है । दरअसल लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है भाजपा पिछड़ी जाति को साधने की रणनीति पर काम कर रही है । इसके तहत ही भाजपा ने जहां, दूसरे दलों के पिछड़ों नेताओं को पार्टी से जोड़ने का अभियान चला रखा है । वहीं, विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा से सपा में गए नेताओं को भी वापस लाने की भी मुहिम शुरू कर दी है। योगी-01 में वन मंत्री रहे दारा सिंह चौहान के इस्तीफे को भाजपा के इसी अभियान की कड़ी माना जा रहा है । इनके अलावा पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी के भी वापसी की अटकले हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि सैनी को लेकर कुछ पेंच है, इसलिए उनके मुद्दे पर अभी फैसला नहीं हो पाया है । सूत्रों की माने तो सपा के कई विधायकों पर भी भाजपा की नजर है । सपा विधायकों के भाजपा के संपर्क में होने की भी बात कही जा रही है । कहा जा रहा है कि भाजपा के एक बड़े नेता के जरिए इन विधायकों से संपर्क किया गया है। वहीं, पश्चिमी यूपी के कुछ बसपा सांसद भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। प्रदेश में दूसरे दलों के नेताओं को भाजपा में लाने के अभियान के तहत समन्वय जिम्मेदारी उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को सौंपी गई है। रालोद से भी हो सकता है गठबंधन विपक्षी एकता के मुहिम के जवाब में भाजपा ने भी एनडीए को मजबूत करने का अभियान चला रखा । 2017 में भाजपा के साथ और 2022 में सपा के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) का तो फिर से भाजपा के साथ आना लगभग पक्का हो गया है। वहीं सूत्रों का कहना है कि जल्द ही सपा के एक और सहयोगी रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी सपा का साथ छोड़ भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि केन्द्र के मंत्रिमंडल विस्तार में जहां जयंत को लिया जा सकता है, वहीं प्रदेश सरकार में ओमप्रकाश राजभर को भी कैबिनेट मंत्री बनाने की तैयारी है। रालोद और सुभासपा से गठबंधन की औपचारिक घोषणा जल्द हो सकती है।
यमुना में बाढ़ का पानी उतरने के साथ दिल्ली के अस्पताल जल व मच्छर...
यमुना नदी के जलस्तर में कमी आने के बाद उत्तरी दिल्ली के लोग अपनी...
अब 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर सपा के अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव की चुनावी परीक्षा होगी, लेकिन इस बार भी अखिलेश की राह आसान नहीं लग रही है। अब तो अखिलेश के पास कोई नया ‘प्रयोग’ भी नहीं बचा है। वह कांग्रेस और बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ चुके हैं। राष्ट्रीय लोकदल और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी का भी साथ करके देख लिया है, लेकिन कोई भी प्रयोग उनकी हार के सिलसिले को रोक नहीं पाया। स्थिति यह हो गई है कि आज की तारीख में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव बिल्कुल ‘तन्हा’ नजर आ रहे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुसलमानों की नाराजगी की वजह पर नजर दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि मुसलमानों को अखिलेश से सबसे बड़ी यही नाराजगी है कि सपा प्रमुख मुसलमानों के समर्थन में नहीं बोल रहे हैं। मुस्लिम वर्ग का कहना है कि मुस्लिमों को टारगेट किया जा रहा है। उन पर हो रही कार्रवाई के खिलाफ अखिलेश कोई आवाज नहीं उठा रहे हैं। यहां तक कि मुसलमानों की समस्याओं और उत्पीड़न के खिलाफ अखिलेश शायद ही कभी मुंह खोलते हों। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के गठन के समय मुलायम सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले आजम खान की अनदेखी भी अखिलेश पर भारी पड़ रही है। कुछ राजनैतिक जानकार कहते हैं कि मुसलमानों की नाराजगी बेवजह नहीं है, वह चाहते थे कि विधानसभा में आजम खान को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाये। इसके पीछे का तर्क देते हुए मुसलमानों का कहना था कि अगर सपा चुनाव जीत जाती तो अखिलेश मुख्यमंत्री बनते, लेकिन हार के बाद तो कम से कम आजम को उचित सम्मान दिया जाता। मुस्लिम नेताओं की नाराजगी के एक बड़ी वजह यह भी है। चुनाव के समय मुसलमान वोटर तो सपा के पक्ष में एकजुट हो जाते हैं, लेकिन सपा के कोर यादव वोटर्स अखिलेश से किनारा कर रहे हैं। पार्टी छोड़ने वाले ज्यादातर नेताओं का कहना है कि चुनाव में मुस्लिमों ने एकजुट होकर समाजवादी पार्टी के लिए वोट किया, लेकिन सपा के यादव वोटर्स ही पूरी तरह से उनके साथ नहीं आए। इसके चलते चुनाव में हार मिली। इसके बाद भी मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर अखिलेश का नहीं बोलना नाराजगी को बढ़ा रहा है। संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. शफीकुर्ररहमान बर्क अपनी ही पार्टी पर हमला बोलते हुए कहते हैं कि भाजपा के कार्यों से वह संतुष्ट नहीं हैं। भाजपा सरकार मुसलमानों के हित में काम नहीं कर रही है। फिर वह तंज कसते हुए कहते हैं कि भाजपा को छोड़िए समाजवादी पार्टी ही मुसलमानों के हितों में काम नहीं कर रही। सपा के सहयोगी रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रहे डॉ. मसूद ने 2022 में विधान सभा चुनाव नतीजे आने के कुछ दिनों बाद ही अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज दिया था। इसमें उन्होंने रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ सपा मुखिया अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा था। अखिलेश को तानाशाह तक कह दिया था। सपा पर टिकट बेचने का आरोप भी लगाया था। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटरों की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नब्बे के दशक तक उत्तर प्रदेश का मुस्लिम मतदाता कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता था। तब तक यूपी में कांग्रेस मजबूत स्थिति में रही, लेकिन, राम मंदिर आंदोलन के चलते मुस्लिम समुदाय
Kawasaki India (कावासाकी इंडिया) ने ट्रैक-केंद्रित KX सीरीज की लॉन्चिंग के साथ अपनी मोटरसाइकिल लाइनअप का विस्तार किया है। जापानी निर्माता ने हाल ही में भारतीय बाजार में KX65 और KX112 मॉडल लॉन्च किए हैं। Kawasaki KX65 की कीमत 3,12,000 रुपये और Kawasaki KX112 की कीमत 4,87,800 रुपये है। ये मोटरसाइकिलें हाई परफॉर्मेंस ट्रैक एक्सपीरियंस की तलाश करने वाले उत्साही लोगों की जरूरत को पूरा करने का वादा करती हैं। KX65 और KX112 क्या है? KX65 और KX112 ट्रैक यूज के लिए मकसद से बनाई गई हैं। इसलिए, उनमें हेडलाइट्स, टेललाइट्स, टर्न इंडिकेटर्स और रियर-व्यू मिरर जैसे कंपोनेंट्स मौजूद नहीं हैं। इसमें एक विशेष लाइम ग्रीन पेंट थीम दिया गया है। दोनों बाइक्स में ऑफ-रोड ओरिएंटेड डिजाइन एलिमेंट्स जैसे लंबा-सेट फ्रंट फेंडर, अपस्वेप्ट टेल पैनल, मिनिमलिस्ट बॉडी पैनल और ट्यूब-टाइप टायर के साथ लगे वायर-स्पोक व्हील शामिल हैं। युवा राइडर्स के लिए डिजाइन की गई KX65 बाइक में 29.9 इंच की नीची सीट ऊंचाई मिलती है। इंजन और स्पेसिफिकेशंस KX65 64cc, सिंगल-सिलेंडर, लिक्विड-कूल्ड टू-स्ट्रोक इंजन से लैस है, जबकि KX112 में 112cc, सिंगल-सिलेंडर, लिक्विड-कूल्ड टू-स्ट्रोक इंजन है। KX65 में टेलिस्कोपिक फ्रंट फोर्क्स, रियर मोनो-शॉक और दोनों पहियों पर डिस्क ब्रेक हैं। दूसरी ओर, KX112 अपसाइड-डाउन टेलीस्कोपिक फ्रंट फोर्क्स, रियर मोनो-शॉक और दोनों पहियों पर डिस्क ब्रेक से लैस है। KX65 और KX112 के अलावा, कावासाकी इंडिया ने घरेलू बाजार में KLX 230R S को भी लॉन्च करने का एलान किया है। KLX...
देश में मूसलाधार बारिश हो रही है। नदियों का जलस्तर बढ़ गया है और कई इलाकों में बाढ़ आ गई है। हिमाचल और अन्य पड़ोसी राज्यों में बाढ़ ने सबसे हिंसक तरीके से तबाही मचाई है और जानमाल को नुकसान पहुंचाया है। इस समय यह जानना जरूरी है कि क्या आपकी कार या बाइक का इंश्योरेंस बाढ़, भूकंप या अन्य किसी प्राकृतिक कारण से हुए नुकसान को कवर करता है। यहां हम आपको इसकी जानकारी दे रहे हैं। इस समय भारत एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। इस मौसम में अन्य कई वजहों के अलावा भारी वर्षा के कारण उत्तरी इलाकों के प्रमुख जगहों में बाढ़ आ गई है। सोशल मीडिया पर चौंकाने वाली तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं। जिनमें हिमाचल प्रदेश में कारें, बाइक और यहां तक कि घर भी बहते दिख रहे हैं। इस बाढ़ ने सैकड़ों कारों और बाइकों को नुकसान पहुंचाया है, लेकिन सभी को मोटर बीमा के तहत कवर नहीं किया जाएगा। क्या कार इंश्योरेंस बाढ़ से होने वाले नुकसान को कवर करता है? कार बीमा बाढ़ से हुए नुकसान को कवर करता है या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने किस तरह का इंश्योरेंस कवर चुना है। भारत में, आम तौर पर दो तरह के इंश्योरेंस कवर उपलब्ध हैं – कॉम्प्रीहेंसिव और थर्ड-पार्टी कवर। और यह आपके द्वारा चुनी गई पॉलिसी और कवरेज ऑप्शंस पर निर्भर करता है। भारत में सभी कॉम्प्रीहेंसिव कार बीमा पॉलिसियाँ प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कवर करने के लिए बाध्य हैं, जिसमें बाढ़, भूकंप, आग या कुछ और शामिल हो सकते हैं। और इस कवरेज का दावा करने के लिए आपको कोई अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं करना होगा। कॉम्प्रीहेंसिव और थर्ड–पार्टी बीमा कवर के बीच फर्क? थर्ड–पार्टी बीमा थर्ड-पार्टी बीमा, को लाइबिलिटी इंश्योरेंस भी कहा जाता है। यह कार बीमा का एक बुनियादी और कानूनी रूप से जरूरी है। यह उस दुर्घटना में अन्य लोगों (तीसरे पक्ष) को होने वाले नुकसान और चोटों को कवर करता है जहां आपकी गलती है। इस बीमा ये चीजें शामिल है: थर्ड–पार्टी संपत्ति को नुकसान आपके कारण हुई दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हुए दूसरे पक्ष के वाहन या संपत्ति की मरम्मत या रिप्लेसमेंट को कवर करता है। तीसरे पक्ष की शारीरिक चोट दुर्घटना में शामिल दूसरे पक्ष को लगी चोटों के लिए चिकित्सा खर्च और मुआवजे को कवर करता है। थर्ड-पार्टी बीमा आपके वाहन को हुए नुकसान या आपको होने वाली किसी भी चोट को कवर नहीं करता है। यह सिर्फ दूसरों को होने वाले नुकसान और चोटों के लिए सुरक्षा प्रदान करता है। कॉम्प्रीहेंसिव बीमा...