सोनभद्र। जबसे संत निरंकारी मिशन की स्थापना (सन 1929 में ) हुई है, तब से भारत सहित पूरे विश्व में संत निरंकारी मिशन आध्यात्मिक जागृति के साथ विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में, चाहे पर्यावरण सुरक्षा के लिए वृक्षारोपण, सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता अभियान सेवा में तत्पर्य रहा है। मंगलवार को निरंकारी ज्ञान प्रचारक परम पूज्य संत संतोष के सानिध्य में दिन 12 बजे से 2.30 बजे केकराही बाजार सहकारी संघ लिमिटेड प्रांगण में सत्संग कार्यक्रम हुआ। कार्यक्रम का संचालन ओबरा के विनोद ने किया। कार्यक्रम का आयोजन कन्हैया विश्वकर्मा ने किया। निरंकारी मुख्य विचारक संतोष ने कहा कि, इंसान जाति पाति के तमाम बन्धनों में जकड़ा हुआ है। अगर ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति करले तो इन बंधनो से मुक्ति पा जाता है। जैसे जब बच्चा छोटा होता है उस समय उसके मन मे किसी प्रकार का भेदभाव किसी के प्रति नही होता है। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है समाज उसे अनेक प्रकार के बंधनों में बांध देता है। उसी समय यदि उसे ब्रह्मज्ञान हो जाय तो वह जात पात के बन्धनों से ऊपर उठ कर एक सच्चा इंसान बन जाता है। इस प्रकार ब्रह्मज्ञान ही एक मात्र मुक्ति माध्यम है। संतोष ने कहा कि, जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि। रॉबर्ट्सगंज ब्रांच के मुखी महात्मा राजेश्वर सिंह ने कहा कि, जीवन जीते ही मुक्त होना सच्ची मुक्ति है। निरंकारी सत्संग में संयोजक सोनभद्र माता प्रसाद पाठक, अनीता मुखी शक्तिनगर सेवादल इंचार्ज, नंदू प्रसाद, योगेंद्र केशरी, सुलोचना, रमेश गौतम, डॉक्टर एम पी आजाद, अरुण कुमार आदि शामिल रहे।