गाजीपुर । गोविंदपुर कीरत में प्रियदर्शी सम्राट अशोक की मनाई गई जन्म जयंती
जन्म जयंती आज दिनांक 16 अप्रैल को गोविंदपुर कीरत में सम्राट अशोक की जयंती मनाई गई जंत्री में मुख्य अतिथि उमाशंकर कुशवाहा पूर्व विधायक रहे कार्यक्रम का उद्घाटन शास्त्री इंटर कॉलेज के सहायक अध्यापक मनोज सिंह ने कैंडल जलाकर सम्राट अशोक के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए बताया कि
मुख्य अतिथि उमाशंकर कुशवाहा में सम्राट अशोक के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि
सम्राट अशोक ही भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट है। सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है – ‘सम्राटों के सम्राट’, और यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को मिला है। सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य से बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी जाना जाता है।
समाज सेवी राजकुमार मौर्य अपने वक्तव्य में कहा कि सम्राट अशोक के द्वारा बताए गए रास्ते पर चलकर लोक कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया जा सकता है समता मूलक समाज की स्थापना करने के लिए हम सबको सर्व समाज हित में हो रहे अन्य को सहन नहीं करना चाहिए और लोगों को अपनी लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए सम्राट अशोक भी युद्ध त्यागने के बाद यही विचार लेकर धर्म की तरफ अग्रेषित हुए थे
सम्राट अशोक के शासनकाल में लोक कल्याणकारी योजनाओं की भरमार थी । और जनकल्याण के लिए उसने चिकित्यालय, पाठशाला तथा सड़कों आदि का निर्माण करवाया। उसने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए धर्म प्रचारकों को नेपाल, श्रीलंका, अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया, मिस्र तथा यूनान भी भेजा। इसी कार्य के लिए उसने अपने पुत्र महेंद्र एवं पुत्री संघमित्रा को भी यात्राओं पर भेजा था।
विश्व के सबसे विनाशकारी युद्ध के बाद अशोक का हुआ था हृदय परिवर्तन अशोक के तेरहवें अभिलेख के अनुसार उसने अपने राज्याभिषेक के आठ वर्ष बाद कलिंग युद्ध लड़ा और गिरनार के आठवें शिला अभिलेख के अनुसार वो 10वे वर्ष संघ में शामिल हो गए । यह युद्ध २६२-२६१ ई.पू. मे लड़ा गया इसमें सम्राट अशोक विजयी हुवे। सम्राट अशोक द्वारा आरंभिक कलिंग युद्ध में लाखों कलिंग सैनिकों की मौत हो गई, जिससे अशोक महान को पछतावा हुआ, हालांकि उसने कलिंग को जीत लिया। भारी रक्तपात देखकर उनका हृदय परिवर्तित हो गया युद्ध त्याग कर बुद्ध की ओर बढ़ चले ‘धर्माशोक’ बन गया। धर्म को अपनाया और शांति और अहिंसा का संदेश
कलिंग युद्ध से पहले मौर्य साम्राज्य का विस्तार
कलिंग युद्ध के बाद मौर्य साम्राज्य का विस्तार
अशोक महान के राज्याभिषेक के 8वें वर्ष 268 ईसा पूर्व
1,00,000 कलिंग सैनिक मारे गए,
1,50,000 कलिंग सैनिक निर्वासित किए गए,
(आंकड़े अशोक द्वारा दिए गए 13वे शिलालेख में )
जौगड़ उड़ीसा के ‘गंजाम ज़िले’ में स्थित है, जहाँ से मौर्य सम्राट अशोक के ‘चतुर्दश शिलालेख’ प्राप्त हुए हैं। इन शिलालेखों को ‘ग्यारहवें और तेरहवें लेखों’ के स्थान के नाम से भी जाना जाता है जो कलिंग युद्ध के पश्चात सम्राट अशोक द्वारा लिखवाए गए :
सम्राट अशोक किया विशिष्ट अतिथि मुनेश्वर सागर शैलेश राम राकेश यादव जिला मंत्री भाजपा कार्यक्रम का आयोजन बौद्ध कल्याणकारी महिला उत्थान ट्रस्ट के संस्थापक राजकुमार मौर्य नेट कंप्यूटर के संचालक अनिल कुमार मौर्य द्वारा किया गया कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर वीरेंद्र कुशवाहा ने किया कार्यक्रम की अध्यक्षता गोविंदपुर ग्राम सभा के दो बार ग्राम प्रधान रहे रामावतार यादव के द्वारा किया गया कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए अनिल कुमार मौर्य ने बताया कि सम्राट अशोक सभी वर्गों के लिए प्रेरणा के स्रोत है
सहयोगी संस्थान के रूप में यूनाइटेड मीडिया पत्रकार संगठन के संस्थापक उपेंद्र यादव व पहल टुडे के ब्यूरो प्रमुख कृपा शंकर यादव
बसपा के जिला महासचिव अखिलेश्वर कुशवाहा धनंजय कुशवाहा विशाल मौर्य राजेंद्र कुशवाहा भोला राजभर अरुण वर्मा जयप्रकाश कुशवाहा शहीद हरेंद्र कुशवाहा के भाई सुनील कुशवाहा एम एम बालिका महाविद्यालय के प्रबंधक प्रबंधक सुनील कुशवाहा रमेश कुमार जय हिंद विनय कुमार आदि लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया वह सम्राट के चित्र पर पुष्प अर्पित किया।