बज़्मे अहले कलम की जानिब से मशहूर शायर फरियाद आज़र को पेश की गई खेराजे अकीदत

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भदोही। बीती रात मुहल्ला गुलालतारा में शायर गौहर सिकन्दरपुरी के आवास पर बज़्मे अहले क़लम की जानिब से भदोही खमारियाँ निवासी मशहूर शायर फ़रयाद आज़र की याद में एक शानदार ताज़ियती अदबी शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। नशिस्त की सदारत वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मुशीर इक़बाल ने की। महफ़िल का आगाज़ रईस अंसारी ने नाते पाक से किया। उसके बाद शायर तौसीफ अंसारी ने अपने कलाम को सामेइन तक पहुंचाया। उन्होंने पढा की सारे मसले हल कर दूंगा आज नहीं तो कल कर दूंगा। वहीं आलम भदोहवी ने पढा गुलों के रंग में तू चांद में सितारों में, मेरे रफ़ीक़ तू ज़िंदा है हर नज़ारो में, तो दादो सुखन से नवाजे गए। इसी तरह से शायर रइस अंसारी ने पढ़ा कि ख़ुदा के वास्ते तुम लौटकर चले आओ, बुला रहे है तुम्हें शेर व शायरी वाले पढा तो खूब सराहे गए। बज्म के दूल्हा नकीबे हिंदुस्तान शायर कैसर जौनपुरी ने अपने अशआर के जरिये मुफलिसी की बातों की बातों को बता रहे थे कि। पहनकर रेशमी कपड़े अदाकारी नहीं करते, हम अपनी मुफलिसी के साथ ग़द्दारी नहीं करते। पढा तो खूब वाहवाही लूटी। बुजुर्ग शायर गौहर सिकन्दरपुरी ने वालेहाने अंदाज में अपने अशआर के जरिए अपनी मसरूफियत और बेबसी को कुछ इस तरह सामेइन के सामने पेश किया। मुझसे उम्मीद मत रखना बहुत मसरूफ हूँ मैं काम यादों के अलावा भी हुआ करता है। पेश किया तो बज्म के लोग चहक उठे। उसके बाद आबरू-ए- उर्दू अदब उस्ताद शायर साबिर जौहरी ने मेयआरी अशआर पेश करते हुए पढा की अख़लाक़ में वफ़ा में मुरव्वत में फर्द था, सीने में उसके हर कसो नाकिस का दर्द था,दिल मे हुज़ूमे ग़म था लबों पर खुशी के गीत, हक़ मग़फ़िरत करे अजब आज़ाद मर्द था। पढा तो लोगो ने दादो तस्कीन से खूब नवाजा। बज्मे नशिस्त को खुशबुओं से मोअत्तर कर रहे जिला कांग्रस उपाध्यक्ष मुशीर इक़बाल व हाजी अमज़द रसूल अंसारी ने शेरो शायरी और अदबी ख़िदमत पर रोशनी डाली। कार्यक्रम 9 बजे शुरू हुआ जो अपनी कामयाबी की मंजिल को तय करता हुआ 11 बजे एहतेताम तक पहुंचा। बज्म की नेकाबत शायर रइस अंसारी ने की।

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