November 25, 2024

Pahal Today

अल्मोड़ा। नगर के जीआईसी के पास चार पहिया पार्किंग दो दिन बाद फिर संचालित हुई। यहां बहुमंजिला पार्किंग का निर्माण होने से इसका संचालन बंद किया गया था। निर्माण सामग्री रखने से यहां वाहन पार्क नहीं हो रहे थे। अब सामग्री हटने से फिर से 20 वाहन क्षमता की इस पार्किंग को संचालित किया गया है जिससे वाहन चालकों में राहत है।
साइबर जालसाजों ने एक छात्रा को एयरलाइन कंपनी में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 6.55 लाख रुपये ठग लिए। साइबर थाने की जांच के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। एसएचओ डालनवाला राजेश साह ने बताया कि इस संबंध में अरुणाचल प्रदेश के तवांग की रहने वाली पेमा इटोन ने शिकायत की है। इटोन यहां करनपुर में रहकर पढ़ाई कर रही हैं। उसने गत जून में सोशल मीडिया पर एयरलाइन कंपनी में नौकरी का विज्ञापन देखा था। विज्ञापन में दिए गए नंबर पर जब उन्होंने संपर्क किया तो कॉल उठाने वाले युवक ने खुद को कंपनी का अधिकारी बताया। इटोन ने बताया कि कुछ दिनों बाद उनके पास इंटरव्यू के लिए...
बड़कोट (उत्तरकाशी) यमुनोत्री हाईवे पर दो दिनों से श्रद्धालु जगह-जगह फंसे हुए हैं। अधिकांश श्रद्धालुओं ने खरादी बडकोट से वापस गंगोत्री धाम जाने का निर्णय लिया तो कहीं श्रद्धालुओं के जत्थे जगह-जगह बंद होने से बीच में फंसे हुए हैं। इनमें बिहार, गुजरात महाराष्ट्र आदि राज्यों से आए श्रद्धालु है। वहीं दूसरी तरफ यमुनोत्री हाईवे ओजरी डाबरकोट,खनेडा किसाला स्लीपजोन के पास बंद होने कारण खरशालीगांव गांव की प्रसव पीड़ित महिला बीच में फंसी हुई हैं। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग स्थान सुनगर के पास  यातायात हेतु सुचारू कर दिया गया है, लेकिन यमुनोत्री हाईवे कई जगह अभी भी बंद है। लगातार से पहाड़ी से पत्थरों की बरसात हो रही है। पीड़ित महिला के पति ग्रीस लाल, महिला के जीजा सुरेश लाल ने बताया कि खरशालीगांव से तिर्खली गांव तक तीन वाहन बदलने के बाद दो किमी उतराई-चढ़ाई चढ़ कर ओजरी गांव के पास पहुंचे है। अब यहां  वाहन की व्यवस्था में जुटे हैं। कर्णप्रयाग: ऋषिकेश–बदरीनाथ हाईवे यातायात शुरू ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर कर्णप्रयाग में उमा माहेश्वर आश्रम के पास यातायात सुचारू है। शनिवार शाम को हाईवे पर मलबा आ गया था जिसे रात तक हटाया गया, लेकिन फिर से वहीं पर मलबा आने के बाद हाईवे बंद हो गया था। सुबह मलबा हटा दिया गया। हाईवे पर यातायात सुचारू होने के बाद वहां फंसे बड़े वाहन अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गए हैं। वहीं, चमोली जिले के गैरसैंण के पास कालीमाटी में हाईवे पर मरम्मत कार्य जारी है। करीब 5 घंटे बाद हाईवे खुलने की संभावना है। दो दिन पहले कालीमाटी में सड़क टूटने से 30 मीटर लंबा, 7 मीटर चौड़ा और 5 मीटर गहरा खड्ड बन गया था। एनएच के एई अंकित सागवान ने कहा कि उसे भरने को 5 ट्रक मलबा लाने के लिए लगाए गये है। यह मलवा करीब 15 किलोमीटर दूर आगरचट्टी से लाया जा रहा है।
 नई दिल्ली । ट्रेन में हम में से सभी ने कभी ना कभी सफर तो किया होगा। एक राज्य से दूसरे राज्य तक जाने का सबसे सस्ता और सुगम साधन में से एक ट्रेन को माना जाता है। ट्रेन में सफर करना भले ही अच्छा लगता हो पर कई बार सामान के चोरी हो जाने का खतरा भी बना रहता है। अगर आपके साथ भी कभी ऐसी कोई घटना घट जाए तो आपको क्या करना चाहिए, आइए इसके बारे में जानते हैं। सामान चोरी होने पर करें ये काम आपको ट्रेन में सफर के दौरान हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए। कभी आपके सामने ऐसी कोई दुर्घटना घट जाए तो आपको सबसे पहले उसकी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए। आप जैसे ही शिकायत दर्ज करते हैं,लेकिन उसके बाद भी आपको सामान नहीं मिलता है तो भारतीय रेलवे यात्री को मुआवजा देता है। भारतीय रेलवे के मुताबिक व्यक्ति के सामान चोरी हो जाने के बाद सामान की कीमत की गणना के अनुसार ही रेलवे मुआवजा देती है। मुआवजा पाने के लिए आपको कुछ प्रोसेस को फॉलो करना होगा। आइए, जानते हैं कि आपको क्या प्रोसेस फॉलो करना होगा। कैसे मिलेगा मुआवजा अगर सफर के दौरान किसा यात्री का सामान चोरी हो जाता है तो उसे सबसे पहले  ट्रेन कंडक्टर कोच अटेंडेंट, गार्ड या जीआरपी एस्कॉर्ट से संपर्क करना होगा। ये व्यक्ति आपको एक फॉर्म देंगे, आपको वो फॉर्म भरना होगा। आप जैसे ही ये फॉर्म भरते हैं तो उसके बाद कार्रवाई करने के लिए इस फॉर्म को थाने भेज दिया जाता है। अगर आपको अपना ट्रेन का सफर पूरा करना है तो आप किसी भी रेलवे के आरपीएफ सहायता चौकियों पर शिकायत पत्र को जमा करवा सकते हैं।
नई दिल्ली ।  वाहन निर्माता कंपनी किआ इंडिया को उम्मीद है कि बेहतर चिप और बाजार में अपडेट सेल्टोस की शुरुआत के कारण 2022 की तुलना में इस सास उसकी ब्रिकी 8 से 10 प्रतिशत बढ़ेगी। दक्षिण कोरिया वाहन निर्माता कंपनी, जो भारतीय बाजार में कैरेंस , सोनेट और सेल्टोस जैसे मॉडल बेचती है, ने पिछले साल घरेलू और निर्यात बाजार में कुल 3.4 लाख यूनिट्स सेल करती है।  किआ इंडिया के राष्ट्रीय प्रमुख किआ इंडिया के राष्ट्रीय प्रमुख ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि, “पिछले साल हमारी घरेलू बिक्री लगभग 2.54 लाख यूनिट थी, जबकि निर्यात लगभग 80,000 यूनिट था। इसलिए हमने कुल मिलाकर लगभग 3.34 लाख यूनिट की बिक्री की। इसलिए इस साल हम लगभग 8-10 प्रतिशत की बढ़ोतरी देख रहे हैं।  छह महीनों में उद्योग 10 प्रतिशत की दर से बढ़ा है बराड़ ने कहा कि पहले छह महीनों में उद्योग 10 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। हम 12 प्रतिशत की दर से बढ़े हैं। इसलिए हर दूसरे साल की तरह हमने उद्योग को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल कुल उद्योग की मात्रा 40 लाख यूनिट्स के आसपास रहने की उम्मीद है। इसके साथ ही उन्होने कहा कि पहले छह महीनों में उद्योग की मात्रा लगभग 18 लाख यूनिट थी, इस साल जनवरी-जून की अवधि में यह लगभग 20 लाख यूनिट है।  दूसरी छमाही में उद्योग की मात्रा लगभग 19.5 लाख यूनिट रही आगे विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि दूसरी छमाही में उद्योग की मात्रा लगभग 19.5 लाख यूनिट रही। इसपर फिर उन्होंने कहा कि तो इसका मतलब है कि 19.5 लाख यूनिट से 20 लाख यूनिट तक बहुत मामूली बढ़ोतरी होगी। उदाहरण के तौर पर अगर पहली छमाही में  12 प्रतिशत है, तो हम अभी भी 8 से 10 प्रतिशत की दर से बढ़ना चाहेंगे ताकि हम उद्योग की तुलना में 4-5 प्रतिशत की गति अधिक रख सकें।” पिछले साल की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी का लक्ष्य इसपर उन्होंने कहा कि वाहन निर्माता कंपनी पिछले साल की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा है और नई सेल्टोस निश्चित रूप से कंपनी को इसके करीब पहुंचने में मदद करेगी। वहीं, सेमीकंडक्टर आपूर्ति पर उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में अब स्थिति काफी बेहतर है।
नई दिल्ली ।  भारतीय बाजार में मारुति सबसे अधिक कारों की सेल करने वाली कंपनी में से एक है। देश में इस समय माइक्रो एसयूवी का सेगमेंट काफी तेजी से बढ़ते जा रही है। टाटा पंच एसयूवी के जरिए इस सेगमेंट की शुरुआत हुई, जिसे लोगों द्वारा काफी शानदार प्रतिक्रिया मिली है। जिसके बाद हुंडई ने अपनी पहली माइक्रो एसयूवी हुंडई  Exter को लॉन्च किया है। इसके अलावा मारुति सुजुकी की अपनी सबसे सस्ती एसयूवी के रूप में  Maruti Fronx को लेकर आई है। लॉन्चिंग के अगले महीने से ही यह सबसे अधिक बिकने वाली टॉप 10 कारों की लिस्ट में शामिल होने वाली कार है।   Maruti Fronx कीमत मारुति सुजुकी ने इस साल अप्रैल में देश में फ्रोंक्स एसयूवी पेश की और इसकी कीमत 7.46 लाख (एक्स-शोरूम) रुपये से शुरू होती है। यह कार मारुति बलेनो पर बेस्ड है और इसमें नौ कलर ऑप्शन मिलात है, जिसमें आर्कटिक व्हाइट, ग्रैंड्योर ग्रे, अर्थन ब्राउन, स्प्लेंडिड सिल्वर और ऑपुलेंट रेड शामिल है। दिल्ली में फिलहाल इस कार कार के लिए 14 हफ्ते तक का वेटिंग पीरियड चल रहा है। यह वेटिंग पीरियड पूरी वेरिएंट रेंज- सिग्मा, डेल्टा, डेल्टा+, ज़ेटा और अल्फा पर लागू है।   Maruti Fronx भारतीय बाजार में मारुति फ्रोंक्स की कीमत 7.47 लाख रुपये से शुरू होकर टॉप वेरिएंट के लिए 13.14 लाख रुपये तक जाती है। इसमें  मारुति फ्रोंक्स 1.2-लीटर, चार-सिलेंडर, NA पेट्रोल इंजन द्वारा संचालित है जो 89bhp का आउटपुट और 113Nm का टॉर्क और 1.0-लीटर, तीन-सिलेंडर, टर्बो-पेट्रोल इंजन है जो 99bhp और 147Nm का टॉर्क जनरेट करता है। गियरबॉक्स ऑप्शन में इसमें पांच-स्पीड मैनुअल यूनिट, एक एएमटी यूनिट और एक छह-स्पीड टॉर्क कनवर्टर यूनिट शामिल है। Maruti Fronx सेफ्टी फीचर्स...
नई दिल्ली:  एक समय आता है जब हम अपनी बाइक को सेल करने का सोचने लगते हैं। उसके पीछे कई कारण भी हो सकते हैं। अगर आप भी ऐसा ही कुछ सोच रहे हैं तो आज हम आपके काम को आसान बना देगे। अगर आप अच्छी कीमत पर अपनी बाइक को बेचना चाहते हैं , तो आपको इन बातों का जरूर ख्याल रखना चहिए। आपको सबसे पहले ये तय करना होगा कि आपकी बाइक पूरी तरह से क्लीन हैं कि नहीं और ठीक से काम तो कर रही है। सही खरीदार खोजे अपनी बाइक सही आदमी को खोजकर बेचना और उससे अच्छी कीमत पर बेचने अपने आप में ये बड़ा काम है। क्योंकि कई बार लोग बाइक खरीदकर उसका इस्तेमाल अपराध के लिए करते हैं। इसलिए सबसे पहले आपको ये सेलेक्ट करना होगा कि आपका खरीदार बढ़िया है कि नहीं। आप अपनी बाइक को किसी डीलर या ग्राहक को बेच सकते हैं जो पुरानी बाइक खरीदने का प्लान बना रहा है। इतना ही नहीं धोखाधड़ी से बचने के लिए आप जिस व्यक्ति को बाइक बेच रहे हैं उसकी पूरी डिटेल को जरुर खोज लें। डॉक्यूमेंटेशन को लेकर न बरतें लापरवाही बहुत से लोग आलस के कारण बाइक बेचते समय प्रॉपर डॉक्यूमेंटेशन नहीं करते हैं। अगर आप भी अपनी बाइक को बेचना का प्लान बना रहे हैं और आप चाहते हैं कि बेचने के बाद आपको कोई प्रॉब्लम न हो तो आप गाड़ी को ट्रांसफर करने के बाद ही राहत की सांस लें। जब आप अपनी बाइक को बेचने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे पहले बाइक के सभी दस्तावेज को रख लें, ताकि आपको बाइक बेचते समय किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। इस मामले में आपको बाइक ओनरशिप सर्टिफिकेट, प्रदूषण सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस, सेल्स एग्रीमेंट और कुछ अन्य डॉक्यूमेंट को भी संभाल कर रख ले। बाइक के लिए बीमा ट्रांसफर करना जिन प्रमुख नियमों के बारे में लोग आमतौर पर नहीं जानते हैं उनमें से एक यह है कि खरीद के 14 दिनों के भीतर बीमा को बाइक के लिए ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए। वाहन के बीमाकर्ता को बिक्री के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। ट्रांसफर होने के बाद आपके गाड़ी का मालिकाना हक दूसरे व्यक्ति की हो जाएगी।
मानसून सत्र में दोनों सदनों में सुचारू रूप से चलें इसके लिये सर्वदलीय बैठक में सहमति भले ही बनी हो, लेकिन अब तक के अनुभव के अनुसार यह सत्र भी हंगामेदार ही होना तय है। भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर देने के लिए विपक्ष ने ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया)’ नाम के नए गठबंधन की घोषणा कर दी है। नए गठबंधन के नेता संसद के मानसून सत्र में सरकार को घेरने की तैयारी कर चुके हैं। मानो विपक्षी दलों ने प्रण कर लिया है कि वह इस सत्र को भी सुगम तरीके से नहीं चलने देगा। हम पिछले कुछ वर्षों से देख रहे हैं कि किस प्रकार संसद के सत्र छोटे पर छोटे होते जा रहे हैं और साल में संसद बामुश्किल 55 या 56 दिन के लिए ही बैठती है और उसमें भी सार्थक चर्चा होने के स्थान पर सत्ता व विपक्षी खेमों के बीच एक-दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोपों की बौछार होती रहती है और भारी शोर-शराबा मचता रहता है या बैठकें बार-बार स्थगित होती रहती हैं। विपक्ष का आक्रामक रुख और हंगामा उचित नहीं है। उसे अपनी छवि सुधारनी चाहिए। हर बार की तरह इस बार भी संसदीय अवरोध कायम रहता है तो इससे लोकतंत्र कमजोर ही होगा। लोकतंत्र में संसदीय अवरोध जैसे उपाय किसी भी समस्या का समाधान नहीं कर सकते। इस मौलिक सत्य व सिद्धांत की जानकारी से आज का पक्ष एवं विपक्षी नेतृत्व अगर अनभिज्ञ रहता है, तो यह अब तक की हमारी लोकतांत्रिक यात्रा की कमी को ही दर्शाता है। यह स्थिति देश के लिये नुकसानदायी है, इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की काली छाया से मानसून सत्र को बचाना प्राथमिकता होनी चाहिए। भारत पूरी दुनिया में संसदीय प्रणाली का सबसे बड़ा लोकतन्त्र है और इसके बावजूद इसकी संसद की हालत ऐसी हो गई है कि सदन चलता ही नहीं। 17वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने में अब केवल मुश्किल से नौ महीने ही बचे हैं। इस अवधि में विपक्ष प्रभावी भूमिका में सामने आये, यह जरूरी है। वैसे भी संसद पर पहला अधिकार विपक्ष का होता है क्योंकि वह अल्पमत में होता है मगर उसी जनता का प्रतिनिधित्व करता है जिसका प्रतिनिधित्व बहुमत का सत्ताधारी दल करता है। अतः विपक्ष द्वारा उठाये गये मुद्दों और विषयों पर विशद चर्चा कराना सत्ताधारी दल का नैतिक कर्त्तव्य बन जाता है। मगर हम तो देखते आ रहे हैं कि पिछले सत्र में जिस प्रकार एक के बाद एक विधेयक बिना चर्चा के ही संसद के दोनों सदनों के भीतर भारी शोर-शराबे के बीच पारित होते रहे, यहां तक कि चालू वित्त वर्ष के बजट को भी बिना किसी चर्चा के ही ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। ये लोकतांत्रिक प्रक्रिया को धुंधलाने के उपक्रम है। मानसून सत्र के दौरान सरकारी कार्यों की संभावित सूची में 31 नये विधेयकों को पेश या पारित करने के लिए शामिल किया गया है। इसमें दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 को भी जोड़ा गया है। यह विधेयक संबंधित अध्यादेश का स्थान लेने के लिए रखा जाएगा। आम आदमी पार्टी इस मामले को लेकर सरकार पर निशाना लगा रही है। हम भयंकर गलती कर रहे हैं क्योंकि हम उसी संसद को अप्रासंगिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं जिसके साये में इस देश का पूरी शासन-व्यवस्था चलती है और जिसमें बैठे हुए आम जनता के प्रतिनिधि आम लोगों से ताकत लेकर उसे चलाने की जिम्मेदारी उठाते हैं और इस मुल्क के हर तबके के लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए नीतियां बनाते हैं। मानसूत्र सत्र व्यर्थ न जाये, यह पक्ष एवं विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है। इस सत्र में अहम विधेयक पेश किए जाने हैं, ऐसे में सभी का सहयोग बहुत जरूरी है। सभी दलों को सत्र चलाने में मदद करनी होगी। संसदीय कार्यमन्त्री का मुख्य कार्य विपक्ष के साथ संवाद कायम करके संसदीय कामकाज को सामान्य तरीके से चलाने का होता है। मगर इसके साथ ही दोनों सदनों के सभापतियों की भी यह जिम्मेदारी होती है कि वे संसद की कार्यवाही को चलाने के लिए संसदीय कार्यमन्त्रणा समितियों से लेकर विभिन्न राजनैतिक दलों के नेताओं से सहयोग एवं सहृदयता प्राप्त करने का प्रयास करें। लेकिन जैसे-जैसे लोकतंत्र के विस्तार के साथ देश की भौतिक अवस्था में भी सकारात्मक बदलाव आया है, उससे तो कल्पना में यही बात रही होगी कि बौद्धिकता का भी स्तर और अभिव्यक्ति की शैली में प्रगतिशीलता और श्रेष्ठता आएगी। लेकिन यथार्थ इससे एकदम भिन्न है। संसद में हम अगर सार्थक बहस या रचनात्मक चर्चा को ही टालने का प्रयास करेंगे तो आम जनता में जनप्रतिनिधियों के बारे में जो सन्देश जायेगा वह संसद की गरिमा के हक में नहीं होगा क्योंकि हर पांच साल बाद तो हर पार्टी का प्रत्याशी जनता से बड़े-बड़े वादे करके ही वोट यह कह कर पाता है कि वह लोकसभा में पहुंच कर आम जनता का दुख-दर्द व उनकी समस्याओं के बारे में चर्चा करेगा और राष्ट्र की नीतियों के निर्माण में अपना योगदान देगा। लेकिन हर सांसद को यह योगदान देने के लिये तत्पर होना चाहिए एवं उनके दलों को भी यह भूमिका निभानी चाहिए। संसदीय अवरोध कोई लोकतांत्रिक तरीका नहीं है, उससे हम प्रतिपल देश की अमूल्य धन-सम्पदा एवं समय-सम्पदा को खोते हैं, जिनकी भरपाई मुश्किल है।