वाह क्या बात है!: एक ही पौधे पर बैगन, टमाटर और मिर्च? ICAR ने तैयार किया अद्भुत पौधा
वाराणसी
बैगन, टमाटर और मिर्च की पैदावार बढ़ाने की तकनीक पर काम चल रहा है। संस्थान के सब्जी उत्पादन विभाग के अध्यक्ष डॉ. आनंद बहादुर ने बताया कि शोध में सफलता मिली है। अगले साल तक ऐसे पौधे किसानों तक पहुंच जाएंगे।
एक ही पौधे से बैगन, टमाटर और मिर्च की फसल प्राप्त की जा सकेगी। ऐसा पौधा भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने तैयार कर लिया है। शोध जारी है। दिसंबर 2024 तक किसानों को पौधे मुहैया कराए जाएंगे। इन पौधों को गमले और किचन गार्डेन में भी लगा सकते हैं।
शाहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने वाली नई प्रजातियों पर शोध कर रहा है। सब्जियों में ग्राफ्टिंग विधि (कलम बंधन) से पोमैटो (एक पौधे में आलू-टमाटर) और ब्रिमैटो (एक पौधे में बैगन-टमाटर) के पौध तैयार किए जा चुके हैं। अब बैगन, टमाटर और मिर्च की पैदावार बढ़ाने की तकनीक पर काम चल रहा है। संस्थान के सब्जी उत्पादन विभाग के अध्यक्ष डॉ. आनंद बहादुर ने बताया कि शोध में सफलता मिली है। अगले साल तक ऐसे पौधे किसानों तक पहुंच जाएंगे।
अध्यक्ष ने बताया कि बैगन, टमाटर और मिर्च पौधे के तीन कलम बांधकर पौधे तैयार करने में ज्यादा पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इसे तैयार करने में 50 से 60 दिन लग सकते हैं।
सोलेनेसी एवं कुकुरबिटेसी कुल की सब्जियों में ग्राफ्टिंग तकनीक का प्रयोग किए जाते हैं। डॉ. आनंद बहादुर ने बताया कि इसमें किसी एक सब्जी के पौधे की नर्सरी तैयार करने के बाद उसमें कलम बांधकर दूसरे पौधे की नर्सरी को लगाते हैं। फिर मौसम के अनुकूल और उर्वरक, पानी आदि दी जाती है। इस तकनीकी से जैविक और अजैविक तना के प्रबंधन (जलभराव, सूखा और मृदाजनित रोगों से लड़ने की क्षमता ज्यादा होती है) कर उत्पादन में 10 से 30 फीसदी की वृद्धि करते हैं। ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार पौधे में खाद, पानी की बचत के साथ उत्पादन ज्यादा होता है।
किसानों को देंगे सात हजार पौधे
पोमैटो व ब्रीमैटो के पौधे किसानों को दिए जा रहे है। अगले माह सात हजार और पौधे दिए जाएंगे।इसके लिए दो हजार से अधिक किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उन्हें ग्राफ्टिंग चैंबर व डिब्बे में तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे खुद तैयार कर सकें।
बैगन, टमाटर व मिर्च को एक ही पौधे में उगाने पर शोध हो रहा है। इसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं। -डॉ. टीके बेहरा, निदेशक भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान