November 22, 2024
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पति-बेटे की हो चुकी है हत्या: 22 वर्ष बाद कब्जा पाकर गांव पहुंचीं शांति, घर में पैर रखते ही फफक पड़ीं

मईल थाना क्षेत्र के नरसिंहडांड़ निवासी और पूर्व प्रधान शांति देवी 1995 से 2000 तक गांव की प्रधान थीं। उन्होंने बताया कि उनके पति के नाम राजस्व अभिलेखों में करीब 50 बीघा कृषि भूमि दर्ज थी। बदमाशों ने जमीन हड़पने की नीयत से 1976 में उनके पति सूर्यदेव यादव की हत्या कर दी थी।

देवरिया जिले में बरहज क्षेत्र के नरसिंहडांड़ गांव निवासी और पूर्व प्रधान शांति देवी मंगलवार को 22 वर्ष बाद अपने गांव पहुंचीं। घर में पैर रखते ही वह फफक पड़ीं। इतने वर्षों बाद अपने घर और जमीन पर कब्जा मिलने के बाद उन्होंने सीएम और अधिकारियों को धन्यवाद दिया। घर को बदमाशों के कब्जे से मुक्त कराने के लिए उन्होंने सोमवार को मुख्यमंत्री के जनता दरबार में गुहार लगाई थी।

शांति देवी गांव के ही कुछ बदमाशों के भय से घर छोड़कर पलायन कर गईं थीं। वह अपनी पुत्रियों मनोरमा, सुनीता और रेनू के घर रहते हुए समय काट रहीं थीं। अपनों की सलाह पर उन्होंने तीन दिन प्रवास पर गोरखपुर आए मुख्यमंत्री से जनता दरबार में मिलकर गुहार लगाई। शांति देवी का कहना है कि बदमाशों के भय से 22 वर्ष से गांव छोड़कर बाहर रहने की जानकारी होने पर मुख्यमंत्री अधिकारियों पर तल्ख हो गए थे।

उन्होंने अधिकारियों को डांट लगाते हुए उन्हें घर वापस कराने का निर्देश दिया था। अगले दिन ही अधिकारियों ने उन्हें उनके घर पर कब्जा दिला दिया। घर पहुंची शांति का कहना था कि इतने वर्ष बाद गांव पहुंचने पर उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है।

उन्होंने कहा कि गांव में बहुत कुछ बदल गया है। एसडीएम अवधेश कुमार निगम ने बताया कि महिला ने पूर्व के विवाद और कुछ लोगों के भय से गांव छोड़ दिया था। मुख्यमंत्री और अधिकारियों के निर्देश पर उन्हें काबिज कराया गया है।

जमीन के लिए बदमाशों ने इकलौते पुत्र और पति की कर दी हत्या
मईल थाना क्षेत्र के नरसिंहडांड़ निवासी और पूर्व प्रधान शांति देवी 1995 से 2000 तक गांव की प्रधान थीं। उन्होंने बताया कि उनके पति के नाम राजस्व अभिलेखों में करीब 50 बीघा कृषि भूमि दर्ज थी। बदमाशों ने जमीन हड़पने की नीयत से 1976 में उनके पति सूर्यदेव यादव की हत्या कर दी थी।

पति की मौत के बाद चचेरे देवर रामकेवल, जबकि सन 2000 में इकलौते पुत्र रामदुलारे की हत्या कर दी गई। न्याय न मिलने और बदमाशों के डर से गांव छोड़ कर पुत्री मनोरमा, सुनीता और रेनू के घर जीवन-यापन कर रहीं थीं। उनका कहना है कि मकान पर कब्जा मिल गया है। बाकी जमीन पर अब भी माफिया का कब्जा है, लेकिन मुख्यमंत्री पर पूरा भरोसा है। न्याय जरूर मिलेगा।

मुख्यमंत्री से मिलकर सुरक्षा की लगाई गुहार
खुंखूदू थाना क्षेत्र के ग्राम बैरौना निवासी मनोरमा शाही पत्नी स्व. कामेश्वर शाही ने सोमवार को मुख्यमंत्री से मिलकर जानमाल की सुरक्षा की गुहार लगाई है। पीड़िता ने मुख्यमंत्री को दिए गए प्रार्थना पत्र में बताया कि पति कामेश्वर शाही की नौ माह पूर्व मृत्यु के बाद रिश्तेदारों ने ससुर महेश नारायण शाही को अपने कब्जे में ले लिया है। वह जब भी अपने ससुर से मिलने जाती हैं, उन्हें मिलने नहीं दिया जाता है। साथ ही उन्हें और उनके इकलौते पुत्र को जान से मारने की धमकी दी जाती है।

पीड़िता ने यह भी कहा है कि उनके ससुर की मानसिक स्थिति पिछले तीस वर्षों से खराब है और कभी भी उनके नाम की चल और अचल संपत्ति को गलत तरीके से बैनामा कराया जा सकता है। पीड़िता ने ससुर महेश नारायण शाही की जांच डॉक्टरी पैनल से कराने और अपनी तथा अपने तीन वर्षीय बेटे के सुरक्षा की गुहार लगाई है। संवाद

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