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रामनगरी में पखवाड़ेभर तक चलने वाले श्रावण झूलन महोत्सव का आगाज आज से होगा। पहले दिन अयोध्या के सभी मठ-मंदिरों से भगवान के विग्रह को रथ पर सवार कर शोभायात्रा के साथ मणिपर्वत पर लाकर झूला झुलाया जाता है। शनिवार को भगवान राम समेत चारों भाई पत्नियों संग झूला झूलेंगे। मंदिरों से दोपहर बाद विग्रह के साथ शोभायात्रा निकलेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आज अयोध्या में मौजूद रहेंगे और विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।
नगर में भारी भीड़ के मद्देनजर रामनगरी में चार पहिया वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। श्रावण शुक्ल की तृतीया पर वर्ष में एक बार मठ मंदिरों में विराजमान भगवान बाहर निकलते हैं। इस दौरान मंदिरों में विराजमान भगवान के विग्रह को गाजे-बाजे, हाथी-घोड़ों के साथ रथ पर सवार कर शोभायात्रा के रूप में मणिपर्वत ले जाया जाता है। यहां प्राचीन बरगद की डाल पर झूला डालकर झुलाया जाता है। वापस मंदिर लौटने पर भगवान श्रावण पूर्णिमा तक मंदिर के गर्भगृह के सामने लगे झूले पर विराजमान रहते हैं।
मंदिरों में गीत-संगीत के बीच झूलनोत्सव का आनंद उठाने श्रद्धालु भी उमड़ते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि इस दिन मां जानकी मणिपर्वत पर स्वयं झूला बिहार करती हैं। मणिपर्वत पर विशाल मेला भी लगता है। करीब 80 फीट ऊंचे टीले पर स्थित मणिपर्वत में श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। वहीं, मणिपर्वत मेले को लेकर प्रशासनिक अधिकारी दिनभर तैयारियों में जुटे रहे। मेला क्षेत्र का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को परखा।
इन मंदिरों से निकलेगी शोभायात्रा
रामनगरी के जिन चुनिंदा मंदिरों से भव्य शोभायात्रा निकलती है उनमें मणिरामदास की छावनी, दशरथ महल बड़ास्थान, कनक भवन, श्रीरामबल्लभाकुंज, विअहुति भवन, सियाराम किला, राम हर्षण कुंज, राजगोपाल मंदिर, जानकीघाट बड़ास्थान, अशर्फी भवन, हनुमत सदन, हनुमत निवास, श्यामा सदन आदि शामिल हैं।
तृतीया से पूर्णिमा तक चलेगा मेला
श्रावण माह में शुक्ल पक्ष में तृतीया से लेकर पूर्णिमा तक चलने वाले इस मेले में 15 से 20 लाख श्रद्धालु उमड़ते हैं। मेले की प्रमुख तिथियों में 19 अगस्त को मणिपर्वत मेला, 21 अगस्त को नागंपचमी, 23 अगस्त को गोस्वामी तुलसीदास जयंती व 30 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा शामिल है। इस बीच दो सावन के सोमवार भी पड़ेंगे।