November 24, 2024
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आपने कुछ लोगों को उनकी कार या बाइक में खास तरह के बने हुए फ्यूल एडिटिव को डालते हुए देखा होगा। क्या सच में फ्यूल एडिटिव को बाइक या कार में उपयोग करने पर फायदा मिलता है या फिर इससे नुकसान भी होते हैं। इसकी पूरी जानकारी हम इस खबर में आपको दे रहे हैं।

क्या होते हैं फ्यूल एडिटिव

जिन लोगों को नहीं पता, उनको हम बता देते हैं कि फ्यूल एडिटिव क्या होते हैं। फ्यूल एडिटिव उन्हें कहा जाता है जिनमें ऑक्टेन की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इनका मुख्य तौर पर उपयोग इंजन में कोरेजन और इंजेक्टर में मौजूद कचरे को हटाने के लिए किया जाता है।

फ्यूल एडिटिव का मुख्य काम इंजन में कोरेजन और इंजेक्टर में कचरे को हटाना होता है। साथ ही इनका उपयोग करने पर पेट्रोल या डीजल के ऑक्टेन की रेटिंग भी बढ़ जाती है। यह इंजन को ज्यादा शक्ति देने के लिए हायर कंबशन रेशो उपयोग करने में मदद करते हैं।

बाजार में कई तरह के फ्यूल एडिटिव मिलते हैं। इन्हें आसानी से किसी दुकान या पेट्रोल पंप से खरीदा जा सकता है। अगर इनकी कीमत की बात करें तो यह 100 रुपये से लेकर करीब एक हजार रुपये तक की कीमत पर मिलते हैं।

इनका उपयोग हमेशा पेट्रोल या डीजल भरवाते समय किया जाता है। जब वाहन में पेट्रोल या डीजल डलवाया जाता है तो इन्हें भी उसी समय टैंक में डाला जाता है जिसके कारण यह पेट्रोल या डीजल के साथ मिल जाते हैं। इसके बाद वाहन चलाने पर यह पेट्रोल या डीजल के साथ इंजन तक फिल्टर से होते हुए पहुंच जाते हैं। जिसके बाद यह इंजेक्टर को धीरे-धीरे साफ करना शुरू कर देते हैं। साथ ही साथ यह इंजन के पिस्टन पर जमे खराब ऑयल और डिपॉजिशन को भी साफ करते हैं। जिससे वाहन की लाइफ बढ़ाने में मदद मिलती है। साथ में वाहन का एवरेज बढ़ता है और पिकअप में भी बढ़ोतरी महसूस होती है। इनके उपयोग के बाद कई मामलों में इंजन फ्लश करने से भी बचा जा सकता है।

अगर किसी चीज के फायदे होते हैं तो उसके कुछ नुकसान भी होते हैं। इन्हें नई कार या बाइक में उपयोग नहीं करना चाहिए। कई बार ये पेट्रोल और डीजल के साथ जब इंजन तक जाते हैं तो फिल्टर की गंदगी को भी अपने साथ ले जाते हैं जिससे वाहन चलाने पर ज्यादा धुंआ भी निकलने लगता है। इसके अलावा फ्यूल एडिटिव इंजन के कॉर्बन पार्टिकल्स पर इतना ज्यादा असर करते हैं कि इंजेक्टर कुछ समय के बाद ज्यादा ईंधन को स्प्रे करने लग जाते हैं। ज्यादा उपयोग करने पर यह कभी-कभी पिस्टन की सुरक्षा लेयर को भी हटा देते हैं जिससे इंजन की लाइफ कम होने का खतरा भी हो जाता है। इनका उपयोग हमेशा तब करना चाहिए जब वाहन करीब एक लाख किलोमीटर या उससे ज्यादा चलाया जा चुका हो।

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