November 24, 2024
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बलरामपुर
क्षेत्र के नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मोहर्रम के पहली तारीख से लगातार मजलिसों का दौर जारी है। इसी क्रम में 4 मोहर्रम को रेहरा माफ़ी के ईमामबारगाह मरहूम इब्ने हसन में एक मजलिस का आयोजन हुआ जिसे मौलाना मोहम्मद रज़ा आब्दी अकबरपुरी साहब ने सम्बोधित किया।
मजलिस से पूर्व डॉक्टर अली अज़हर,एजाज़ रज़ा,अनीस उतरौलवी,शुजा उतरौलवी,जावेद हैदर,अहसन मुर्तुजा,नदीम हैदर, फ़राज़ अब्बास अमान अब्बास ने अपने कलाम पेश किए
मौलाना ने मजलिस में नबीये करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा की फज़ीलत और आले नबी की विशेषताओं,उनके महत्व और उनके द्वारा संसार को दिए गए मार्ग जिस पर चल कर मनुष्य संसार में मानव सेवा करके ईश्वर तक पहुंच सकता है!
उन्होंने मुहम्मद साहब की इस हदीस को पढ़ा कि मेरा हुसैन मुझसे है और मै हुसैन से हूं,एक नवासे तो नाना से होता है पर नाना नवासे से कैसे हो सकता है? इमाम हुसैन ने करबला में अपनी शहादात देकर दीने इस्लाम को को बचाकर अपने नाना की बात को सही साबित कर दिया कि नाना भी नवासे से हो सकता है
अंत में उन्होनें इमाम हुसैन की बहन हज़रत जैनब के दो बच्चों की शहादत का वर्णन किया तो वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंख भर आई
मजलिस के उपरांत जब इमाम बारगाह से दोनो बच्चों के ताबूत बरामद हुए तो हर और से हाय औन हाय मुहम्मद की सदा आ रही थी
जिसमें अंजुमने वफ़ाए अब्बास और अंजुमने क़मरे बनी हाशिम ने नाैहाख्वानी और सिना ज़नी की
1964 से उठने वाला ये ताबूत अपने विभिन्न मार्गों से चलकर इमामबारगाह मरहूम मुहम्मद ज़ाहिद से होता हुआ देर रात इमामबारगाह मरहूम हसन जाफ़र पहुंच कर सम्पन हुआ।
इस अवसर पर इरफ़ान हैदर,अब्बास जाफ़र,इमामिया ट्रस्ट के सद्र ऐमन रिज़वी,तौसीफ़ हसन,अनीस रज़ा,समीर रिज़वी, ज़ैंन जाफरी शारिब,अली हसन जाफर अन्सर रिज़वी, अली जाफरी तौक़ीर हसन,अली नवाज़,अली शाहनशाह,मोजिज़ अब्बास,मुहम्मद आलिम,अजमल रिज़वी,रज़ा अब्बास,कैफी रिज़वी,मुहम्मद सालिम, यासूब अब्बास मिसाक हैदर सकलैन अब्बास मुहम्मद अली और ग्राम प्रधान मनसा राम यादव के साथ साथ उतरौला अम्या देवरिया पिपरा के लोग मौजुद रहे!

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