May 18, 2024

लखनऊ

मच्छरों के खिलाफ लखनऊ में पहली बार शीत युद्ध छिड़ने जा रहा है। अब थर्मल फॉगिंग के बजाय कोल्ड फॉगिंग की जाएगी। थर्मल विधि में डीजल में कीटनाशक मिलाकर फॉगिंग की जाती थी, जबकि कोल्ड फॉगिंग में पानी में कीटनाशक मिलाकर स्प्रे किया जाएगा। अभी नगर निगम फॉगिंग पर सालाना करीब 8-10 करोड़ रुपये खर्च करता है, इसमें 5 करोड़ रुपये तो फॉगिंग में काम आने वाले डीजल पर खर्च हो जाते हैं। पर, पानी में कीटनाशक मिलाए जाने से न केवल डीजल का पैसा बचेगा, प्रदूषण भी कम होगा। कोल्ड फॉगिंग के लिए नई खरीदने के बजाय 10 पुरानी मशीनों में तकनीकी बदलाव किए जाएंगे।

नगर स्वास्थ्य अधिकारी सुनील रावत ने बताया कि नगर निगम में 45 बड़ी और 110 छोटी फाॅगिंग मशीनें हैं। बड़ी मशीन में दवा के साथ 60 लीटर डीजल खर्च होता है। वहीं, छोटी मशीन में आठ लीटर डीजल खर्च होता है। मशीन को चलाने के लिए पेट्रोल लगता है। थर्मल फॉगिंग मशीन वाहन पर लगी होती है। यानी फॉगिंग के डीजल के साथ ही वाहन के डीजल, मशीन चलाने के लिए पेट्रोल, वाहन चालक और मशीन चलाने वाले के वेतन पर खर्च करना होता है। अप्रैल से फाॅगिंग शुरू होती है और जब तक तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं आता, यह प्रक्रिया चलती रहती है। बृहस्पतिवार को एक कंपनी ने कोल्ड फाॅगिंग मशीनों का प्रजेंटेशन भी नगर निगम में किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *