लखीमपुर खीरी देश की सबसे बड़ी एवं महत्वकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार एक्ट पूरी तरीके से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। भ्रष्टाचार ने इस योजना में भी सेंधमारी करके इस विशिष्ट योजना पर पलीता लगा दिया है। इस योजना का एक ही मकसद था कि गांव में रहने वाले गरीब परिवारों को रोजगार मिल सके और उन्हें रोजगार के लिए दूसरे प्रदेशों को पलायन न करना पड़े लेकिन मनरेगा के जिम्मेदारों ने ही इस योजना को इस कदर लुटना शुरू किया कि सरकार की मंशा चकनाचूर हो गई जनपद में खास तौर पर इन योजना ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सालों से ग्राम पंचायत लौकीहा विकासखंड फर्जी मनरेगा मजदूरों को भुगतान किया जाता रहा इन मनरेगा लेबरों ने न तो कभी हकीकत की जमीन पर काम किया ना ही ये मजदूर बनने के पात्र हैं। इसके बावजूद दर्जनों की संख्या में प्रधानों ने अपने स्वार्थ के लिए मनरेगा योजना लिस्ट में अपने चाहतों का नाम डलवा दिया और उनके नाम पर भुगतान भी होता रहा गौर करें तो इन मजदूरों ने गत 3 वर्षों में 1 दिन भी काम नहीं किया और तब भी इस योजना में कमाई कर रहे हैं। यदि इनकी जांच की जाए तो किसी का भी जॉब कार्ड के साथ आधार कार्ड मेल खाता नहीं नजर आएगा गोपनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कई मजदूरों ने मनरेगा जॉब कार्ड प्राप्त कर लिया और बाहर चले गए इनके कार्ड मुखिया या जनप्रतिनिधियों के पास रखे हैं। और विभाग से पैसा निकाल कर बांट रहे हैं। वही वास्तविक एवं सक्रिय मजदूरों को 100 दिनों के लिए गारंटी कर नौकरी प्रदान करने वाली इस योजना के तहत नौकरी के पात्र बनने के लिए अपने जॉब कार्ड को आधार से जोड़ना आवश्यक हो गया है।
इस पूरे मामले को लेकर जब डीसी मनरेगा विपिन चौधरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिन मनरेगा मजदूरों का आधार कार्ड फीड़ नहीं है। वह सभी गलत है ऐसे लोगों से सरकारी धन की रिकवरी कराई जाएगी तथा कार्यवाही भी की जाएगी।