November 23, 2024
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शिमला

हिमाचल प्रदेश में मानूसन की बारिश से तबाही जारी है। जगह-भूस्खलन के चलते राज्य में सैकड़ों सड़कें, जलापूर्ति योजनाएं व बिजली ट्रांसफार्मर ठप हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार प्रदेश में भारी बारिश से 4636 करोड़ रुपये की सरकारी व निजी संपत्ति तबाह हो चुकी है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार राज्य में मंगलवार सुबह 10:00 बजे तक पांच नेशनल हाईवे सहित 647 सड़कें यातायात के लिए बाधित थीं।सबसे ज्यादा शिमला जिले में 244 व कुल्लू में 136सड़कें ठप हैं। राज्य में 1,115 बिजली ट्रांसफार्मर भी ठप पड़े हैं। वहीं, 543 जलापूर्ति योजनाएं भी प्रभावित चल रही हैं। कुल्लू में 529, मंडी 224 व  सिरमौर में 121 बिजली ट्रांसफार्मर ठप हैं। संबंधित विभाग लगातार सड़क, बिजली व पेयजल आपूर्ति बहाली के लिए कार्य कर रहे हैं लेकिन बार-बार हो रहा भूस्खलन बहाली कार्य में बाधा बन रहा है।सड़क धंसने से कटा 18 पंचायतों का संपर्क
भारी बारिश से ननखड़ी-पांडाधार सड़क का 50 मीटर हिस्सा पूरी तरह नष्ट हो गया है। वहीं, भूस्खलन के बाद यहां एक कार अनियंत्रित होकर खड्ड में गिर गई। हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई है। भूस्खलन के चलते ननखड़ी तहसील की 18 पंचायतों का रामपुर और शिमला दोनों से सड़क संपर्क कट गया है। यातायात ठप होने से हजारों लोगों को  परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

23 जुलाई तक मौसम खराब
उधर, मौसम विभाग ने चार दिनों तक राज्य के कुछ हिस्सा में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार मैदानी, मध्य व उच्च पर्वतीय जिलों के कई भागों में 18,19,21 व 22 जुलाई तक भारी बारिश का येलो अलर्ट है। राज्य में 24 जुलाई तक बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है। प्रदेश की राजधानी शिमला व आसपास भागों में भी आज मौसम खराब बना हुआ है। सोमवार रात को मंडी के कटौला में 64.3, चंबा 61 और नाहन में  59.3 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।

कुल्लू में जनजीवन अस्तव्यस्त
जिला कुल्लू में बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान से अभी तक भी दुश्वारियां कम नहीं हुई हैं।  जिला कुल्लू की रघुपुर घाटी में दस दिनों से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। तीन पंचायतों के लोगों को जरूरी काम के लिए नौ किलोमीटर तक पैदल सफर कर बस पकड़नी पड़ रही है।

मंडी से पंडोह के बीच हाईवे भूस्खलन से बाधित
उधर, मंडी से पंडोह नेशनल हाईवे छ मील पर दोबारा भूस्खलन के कारण बंद हो गया है। पहाड़ी से लगातार पत्थर गिर रहे हैं। इससे बड़ा हादसा होने का खतरा लगातार बना हुआ है। इस खतरनाक स्थिति को देखते हुए निर्णय लिया गया है कि

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