दिल्ली सेक्शन पर बनी सुरंग में ट्रैक बिछाने का काम शुरू

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गाजियाबाद। साहिबाबाद से दुहाई तक 17 किलोमीटर कॉरिडोर पर रैपिडेक्स ट्रेनों के दौड़ने के बाद अब दिल्ली में तेजी से काम शुरू कर दिया गया है। दिल्ली सेक्शन में बनी सुरंग में एनसीआरटीसी ने ट्रैक बिछाने का काम शुरू कर दिया है। इसके साथ ही न्यू अशोक नगर से खिचड़ीपुर रैंप के बीच एलिवेटेड सेक्शन पर भी करीब दो किलोमीटर लंबा ट्रैक बनाकर तैयार कर लिया गया है।

एनसीआरटीसी के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पुनीत वत्स ने बताया कि आनंद विहार भूमिगत स्टेशन में ट्रैक स्लैब बिछाए जा रहे हैं। स्टेशन के अप और डाउन दोनों प्लेटफॉर्म पर ट्रैक बिछाने के साथ-साथ सुरंग में काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस सेक्शन पर दो सुरंग बनाकर करीब एक महीने पहले ही तैयार कर ली गई थी। न्यू अशोक नगर स्टेशन से खिचड़ीपुर स्थित सुरंग रैंप के बीच के एलिवेटेड हिस्से पर अप और डाउन लाइन के लिए पांच किलोमीटर ट्रैक बनाया जाना है। इसमें दो किलोमीटर का ट्रैक तैयार किया जा चुका है। सुरंग और एलिवेटेड सेक्शन को आपस में जोड़ने के लिए बनाए जा रहे रैंप का निर्माण अंतिम चरण में है। जल्द ही दिल्ली सेक्शन का अंडरग्राउंड हिस्सा एलिवेटेड हिस्से से जुड़ जाएगा। दिल्ली सेक्शन के सराय काले खां, न्यू अशोक नगर, आनंद विहार स्टेशन का मुख्य ढांचा बनकर तैयार हो गया है। प्लेटफार्म और कॉनकोर्स लेवल का निर्माण भी अंतिम चरण में है।मुख्य जनसंपर्क अधिकारी का कहना है कि देश में पहली बार ऐसी तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे उच्च क्षमता वाले ब्लास्टलेस ट्रैक स्लैब बनाए जा रहे हैं। इन स्लैब में उच्च गुणवत्ता वाली कंक्रीट का इस्तेमाल किया जाता है और यह लंबे समय तक इस्तेमाल की जा सकती है। इन्हें कम रखरखाव की जरूरत होती है। इसकी वजह से रखरखाव में लागत भी कम आती है। उन्होंने बताया कि निर्माण साइट पर बनाकर इन स्लैब को ट्रकों और ट्रेलरों के जरिए सुरंग में लाकर बिछाया जा रहा है।
ट्रेनों की रफ्तार से होने वाले कंपन को कम करेगा मास स्प्रिंग सिस्टम
सुरंग के भीतर तेज रफ्तार ट्रेनों के चलने से होने वाले कंपन को कम करने के लिए मास स्प्रिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। कंपन को कम करने के लिए सुरंग की सतह पर कंक्रीट की परत बिछाई गई है। इस परत पर मास स्प्रिंग शीट बिछाई जाएगी और उसके ऊपर ट्रैक बिछाया जाएगा। इस सिस्टम के कारण ट्रेनों के चलने से होने वाले कंपन को काफी हद तक कम किया जा सकेगा और 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार पर भी यात्रियों की सुरक्षा और उनके आराम को सुनिश्चित किया जा सकेगा। ट्रैक स्लैब बिछ जाने के बाद ट्रैक्शन (ओएचई) लगाने का काम शुरू हो जाएगा।

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