मथुरा। यमुना का जल स्तर भले ही उतर रहा है, लेकिन खादर की कॉलोनियों में अभी भी अनेक मकान पानी में डूबे हुए हैं। इन कॉलोनियों में पानी की मात्रा कम हो गई है, लेकिन पूरी तरह से पानी उतरने का इंतजार है। घरों के आसपास अभी पानी ही है। इससे लोगों का आवागम भी नहीं हो पा रहा है। आठ दिन से इस स्थिति के चलते लोग परेशान हैं। मथुरा-वृंदावन नगर निगम क्षेत्र में दो सौ से ज्यादा कॉलोनियां खादर में बसी हैं। यमुना में आई बाढ़ का प्रभाव इन्हीं कॉलोनियों में सर्वाधिक पड़ा है। पिछले तीन दिन से पानी भले ही उतर रहा है, लेकिन बाढ़ की स्थिति अभी भी खादर की दर्जनों कॉलोनियों में बनी हुई है। जयसिंह पुरा का खादर सबसे अधिक प्रभवित है। यहां की एक दर्जन से अधिक कॉलोनियां यमुना के जल में हैं। बाढ़ प्रभावित इन घरों तक लोगों का पहुंचना संभव नहीं है। प्रभावित परिवार सावधानी पूर्वक इन घरों से आवागम कर रहे हैं। कई दिन तक जलभराव में मकानों के डूबे रहने के कारण इनमें दरार आने की आशंका भी बनी हुई है। अधिकतर मकान यमुना की धारा के नजदीक हैं। कमोबेश यही स्थिति गोकुल बैराज से निचले इलाके रांची बांगर की है। यहां भी अनेक मकान पानी में हैं। हालांकि प्रभावित लोग पानी की कम हो रही मात्रा को देखकर राहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन उन्हें बाढ़ के पानी को पूरी तरह से उतरने होने का इंतजार है। इन लोगों के घरों का सामान पूरी तरह से खराब हो गया। अधिकांश घरों में फर्नीचर का बुरा हाल है। यमुना पार ईशापुर में भी पानी है। समाजवादी पार्टी की महानगर अध्यक्ष ऋतु गोयल ने बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में घरों में फंसे लोगों को आटा, दाल, चावल, सरसों तेल की बोतल नमक, मसाले, बिस्किट आदि के पैकेट वितरित किए। उन्होंने वृंदावन के भी अनेक इलाकों में राहत सामग्री लोगों तक पहुंचाई।