November 22, 2024
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उतरौला (बलरामपुर)/जनप्रतिनिधियों की उदासीनता कहें या अधिकारियों की लापरवाही इसका दंश जनपद की मेघावी बालिकाओं को झेलना पड़ रहा है। कई बार समाचार पत्रों में प्रकाशित होने के बाद भी अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंगता। मामला राजकीय बालिका इंटर कालेज उतरौला का है जहां की करीब डेढ़ सौ छात्राओ को विज्ञान विषय में प्रयोग सीखने के लिए दूसरे विधालय में जाना पड़ता है। इस विधालय में 20 वर्ष पूर्व से अध्यापन शुरू होने के बावजूद भी छात्राओं के लिए विज्ञान विषय की प्रयोगशाला भवन का निर्माण नहीं हो सका।
बताते चलें कि जनपद की सबसे पुरानी तहसील उतरौला मुख्यालय पर एक मात्र राजकीय बालिका इंटर कॉलेज पुराने तहसील भवन में चल रहा है। तहसील भवन 1875 का निर्मित होने के बावजूद भी इसमें नये भवन का निर्माण न होने से धीरे धीरे भवन खण्डहर सा हो गया। करीब तीस वर्ष पहले तहसील का स्थानांतरण नवनिर्मित भवन में होने पर प्रशासन ने इस पुराने भवन में राजकीय बालिका इण्टर कालेज उतरौला का संचालन शुरू किया। इस समय इस विधालय में करीब पांच सौ छात्राएं पढ़ती है। इसमें विज्ञान विषय की हाई स्कूल व इण्टर कक्षाओं की 150 छात्राएं पढ़ती है। परन्तु विज्ञान विषय के प्रयोगशाला के लिए भवन नहीं है। विज्ञान प्रयोगशाला के लिए भवन न होने से शासन से प्रतिवर्ष आने वाले प्रयोगशाला उपकरण को एक छोटे से कमरे (गोदाम) में रख दिया जाता है। विज्ञान प्रयोगशाला न होने से छात्राओं को अध्यापक प्रयोगात्मक शिक्षा से प्रशिक्षित नहीं कर पाते हैं। शिक्षा विभाग ने बालिकाओं की समस्याओं को देखते हुए नगर के मोहम्मद युसुफ उस्मानी इण्टर कालेज उतरौला के विज्ञान प्रयोगशाला में हर माह भेजा जाता है। वहां पर किसी तरह छात्राएं साइंस व जीव विज्ञान विषय की प्रयोगशाला से प्रशिक्षित हो पाती है। बताते चलें कि बोर्ड परीक्षा में विज्ञान की प्रयोगात्मक परीक्षा में छात्राओं को उत्तीर्ण होने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार विधालय में भवन निर्माण न होने का मुख्य कारण पुरानी तहसील की भूमि व भवन का हस्तांतरण शिक्षा विभाग को बीसों वर्ष में न किया जाना है। इस संबंध में विधायक राम प्रताप वर्मा ने बताया कि भवन व भूमि को तहसील के राजस्व विभाग से शिक्षा विभाग को हस्तानांतरण की प्रक्रिया जिलाधिकारी के सामने कार्यवाही हेतु विचाराधीन है। जल्द ही उनकी संस्तुति मिल जाएगी‌ और उसके बाद शासन को भेजा जाएगा।

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