बलरामपुर/जिलाधिकारी अरविन्द सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्यवाही करते हुए वन विभाग में तैनात फार्रेस्ट रेंजर डी0पी0 सिंह व वन दरोगा भरत प्रसाद सिंह के विरूद्ध भ्रष्टाचार की गम्भीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिये हैं तथा प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए पूरे प्रदेश में उनके द्वारा अर्जित की गई अवैध परिसम्पत्तियों की खुली जांच अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए उत्तर प्रदेश भ्रष्टाचार निरोधक संगठन से कराने के आदेश दिए हैं।
मामला तहसील तुलसीपुर अन्तर्गत ग्राम चरनगहिया का है जहां पर सागौन का पेड़ काटने की परमिट एवं परिवहन के लिए फारेस्ट रेन्जर एवं वन दरोगा ने लकड़ी व्यवसायी से बकायदा रेट चार्ट बनाकर एक लाख इकहत्तर हजार रूपए वसूल लिए और अभी भी लकड़ी के परिवहन की अनुमति के लिए अस्सी हजार रूपए की मांग और की जा रही है। ठेकेदार द्वारा मांगी गई राशि न देने पर फारेस्ट रेन्जर एवं वन दरोगा ने अभी तक ठेकेदार को लकड़ी का परिवहन की अनुमति नहीं दी है।
बताते चलें कि सुनील वर्मा पुत्र श्री चन्द्रभान वर्मा, निवासी वार्ड नं0-7 सिद्धार्थनगर नगर पालिका कसया थाना कोतवाली कसया, जनपद कुशीनगर जो कि लकड़ी का व्यवसायी है, ने सोमवार 18 मार्च व मंगलवार 19 मार्च 2024 को जिलाधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर पूरी घटना की विस्तृत जानकारी देते हुए आपबीती बताई। शपथपत्र देते हुए शिकायत किया कि ग्राम चरनगहिया परगना व तहसील तुलसीपुर जनपद बलरामपुर में गाटा संख्या-632 रक्बा 1.489 हेक्टयर जो कि श्रीमती रेनू सिंह पत्नी स्व0 मिथलेश कुमार सिंह के नाम दर्ज है। इस गाटे में सागौन के 300 पेड़ उसके द्वारा खरीदे गये थे। सागौन के वृक्षों को काटने के लिए रेनू सिंह ने वन विभाग में आनलाइन आवेदन किया। रेनू सिंह के आवेदन पर रिपोर्ट लगाने के लिए जब ठेकेदार ने फार्रेस्ट रेंजर डी0पी0 सिंह से सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि सिस्टम के हिसाब से आओ। भांभर रेन्ज में तैनात तथा तुलसीपुर रेन्ज के प्रभारी फारेस्ट रेन्जर डी0पी0 सिंह ने तुलसीपुर वन यूनिट के वन दरोगा भरत प्रसाद सिंह से मिलने को कहा। जिस पर ठेकेदार ने वन दरोगा भरत प्रसाद सिंह से 300 सागौन के पेड़ो पर रिपोर्ट लगाने का अनुरोध किया। वन दरोगा द्वारा प्रति पेड़ एक हजार रूपये कुल तीन लाख रूपये की मांग की गई। ठेकेदार ने कुछ सहूलियत देने का अनुरोध किया तो वन दरोगा ने कहा कि कुछ भी कम न होगा।
जबकि आवेदक ने अनुमति के लिए नवम्बर-दिसम्बर में ऑनलाइन आवेदन किया था। दो महीने तक आवेदक को वन विभाग के अधिकारी दौड़ाते रहे, बाद में वन दरोगा ने फार्रेस्ट रेंजर से बात कर दो लाख पर रिपोर्ट लगाने पर तैयार हुए। ठेकेदार द्वारा वन दरोगा भरत प्रसाद सिंह को सौ सागौन के पेड़ांे की परमिट के लिए एक लाख इकहत्तर हजार रूपए दिया गया जिसके बाद फारेस्ट रेन्जर द्वारा परमिट के लिए फाइल आगे बढ़ाई गई।
सागौन के पेड़ों की कटान हो जाने के पश्चात ठेकेदार ने उसे बाहर ले जाने के लिए परिवहन परमिट के लिए वन दरोगा भरत प्रसाद सिंह ने उससे नब्बे हजार रूपये की मांग की। ठेकेदार ने रिश्वत की अस्सी हजार रूपए नहीं दिए तो लगभग ढेड़ माह से पेड़ काटकर बोटा के रूप मौके पर पड़ा हुआ है परन्तु परिवहन परमिट व ढुलाई की अनुमति नही दी जा रही है। वन दरोगा द्वारा लकड़ी को जनपद की सीमा से पार कराने के लिए भी ठेकेदार से पैसे की मांग की गई।
मामले की अत्यन्त गम्भीरता एवं गुप्त सूचनाओं के आधार पर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी श्री अरविन्द सिंह ने लगातार दो दिनों में शपथ पत्र पर प्राप्त तथ्यात्मक एवं साक्ष्यों सहित शिकायत के क्रम में प्रकरण को अत्यनत गम्भीर मानां। विशेष रूप चुनाव के दरम्यान अवैध धन की वसूली मानते हुए भांभर रेन्ज में तैनात/तुलसीपुर रेन्ज के प्रभारी फारेस्ट रेन्जर डी0पी0 सिंह व तुलसीपुर वन यूनिट तुलसीपुर के वन दरोगा भरत प्रसाद सिंह के विरूद्ध भ्रष्टाचार निरोधक कानून 1988 व आपराधिक साजिश की धारा 120बी सहित अन्य गम्भीर धाराओं मे मुकदमा दर्ज करने के पुलिस को आदेश दिए हैं और अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए रेन्जर और वन दरोगा द्वारा पूरे प्रदेश में अर्जित की अवैध सम्पत्तियों की खुली जांच उत्तर प्रदेश भ्रष्टाचार निरोधक संगठन से कराने के आदेश पारित किए हैं तथा सुनियोजित तरीके से अपने पद और प्रतिष्ठान का दुरूपयोग कर गैंग बनाकर अवैध वसूली करने एवं परिसम्पत्तियां अर्जित करने के आरोपी दोनों अधिकारियों के विरूद्ध भ्रष्टाचार की अन्य आपराधिक धाराओं के तहत कार्यवाही की संस्तुति की है।
बताते चलें कि जिलाधिकारी द्वारा पूर्व में स्पष्ट चेतावनी गई थी कि भ्रष्टाचार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा फिर भी वन विभाग के अधिकारियों ने कोई सुधार नहीं किया। जिलाधिकारी ने बताया कि वन माफियाओं के खिलाफ आने वाले दिनों में कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। वनमाफियाओं के द्वारा चुनाव के वक्त अवैध धन उगाही के साथ ही इसमें जनपद के किसी भी अधिकारी कर्मचारी की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संलिप्तता पाई जाएगी तो निश्चित ही कठोर कार्यवाही की जाएगी।