महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस ने 2017 के निकाय चुनावों के बाद उनके अनुरोध पर शिवसेना की खातिर मुंबई में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का महापौर बनाने का मौका छोड़ दिया था। मुख्यमंत्री ने यहां शिवसेना (शिंदे गुट) के एक सम्मेलन में शनिवार को कहा कि उद्धव ठाकरे ने दो साल बाद भाजपा से गठबंधन तोड़कर इसका कर्ज चुकाया। शिंदे ने कुछ दिन पहले अजित पवार की अगुवाई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के एक समूह के उनकी सरकार में शामिल होने के बाद अपनी पार्टी के सहकर्मियों को किसी बात की फिक्र न करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, ‘‘राजनीति में कुछ समीकरण बनाने पड़ते हैं।
घटनाक्रम को देखिए, अजित पवार ने भी हमारी सरकार का समर्थन किया है।’’ बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) पर 1997 से 2022 तक शिवसेना का कब्जा रहा। देश के सबसे अमीर नगर निकाय के चुनाव पिछले एक साल से लंबित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘भाजपा 2017 के निकाय चुनाव में बीएमसी लगभग जीत चुकी थी। उस समय देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे। हमारे प्रमुख (उद्धव ठाकरे) ने कहा कि बीएमसी पर हमारा नियंत्रण रहा है और यह हमारे हाथ से नहीं जानी चाहिए।’’ शिंदे ने कहा, ‘‘अगर फडणवीस ठान लेते, तो महापौर भाजपा का ही होता। लेकिन मैंने उनसे कहा कि हम सरकार में हैं, एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। और हमारे बॉस (उद्धव) का दिल मुंबई में है, इसलिए आप शिवसेना के लिए मुंबई छोड़ दीजिए।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मेरे अनुरोध पर देवेंद्र जी ने मुंबई छोड़ दी थी, लेकिन उद्धव ने इसका कर्ज कैसे चुकाया?’’ उन्होंने कहा कि उद्धव ने 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू होने पर ‘‘40 से 50 फोन कॉल’’ नजरअंदाज किए और आखिरकार राकांपा तथा कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। शिंदे ने उद्धव पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘पिछले सात वर्षों में देवेंद्र फडणवीस ने एक बार भी इसका जिक्र नहीं किया कि वह चाहते तो बीएमसी जीत सकते थे और भाजपा का महापौर बना सकते थे, लेकिन उन्होंने यह पद शिवसेना को दे दिया था।