भगवान राम आ रहे हैं, जिसके लिए मनुष्य ही नहीं पंच स्थावर जीव में भी उत्साह हो – मुनि विनम्र सागर
ललितपुर- तालबेहट कस्बे के पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि विनम्र सागर महाराज ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि 22 जनवरी को भगवान राम आ रहे हैं, जिसके लिए कुछ ऐसा करना चाहिए की मनुष्य ही नहीं पंच स्थावर जीव में भी उत्साह हो। जल, पृथ्वी, अग्नि, वनस्पति और वायु कायिक जीवों पर दया करना विश्व की जिम्मेदारी है। हमारी भावनाओं में उनके प्रति दर्द हो, साधक की तरह पुरुषार्थ करो जिसके लिये गंभीरता लाने की जरुरत है। सुबह मुनि विनम्र सागर महाराज के साथ मुनि निस्वार्थ सागर, मुनि निर्मद सागर, मुनि निसर्ग सागर, मुनि श्रमण सागर एवं क्षुल्लक हीरक सागर के सानिध्य में सामूहिक अभिषेक शांतिधारा पूजन एवं विधान का आयोजन किया गया। इस मौक़े पर मुनि विनम्र सागर महारज ने कहा मनुष्य अनंत दुःख से अनंत सुख की ओर बढ़ने का प्रयास करता है, जिस कारण से उसे आगम समझाया जाता है। आदमी से अधिक सहन शक्ति और सहनशीलता जानवर में है लेकिन इंसान की तकलीफ ही संसार का कारण है। क्योंकि वह अपने बल की सुरक्षा के लिए कितने जीवों के बल को तोड़ता है। सर्वज्ञ की देशना उन लोगों के लिए है जो पानी छानने के बाद बिलछानी जमीन पर गिरने के अपराध का असीम पश्चताप करते हैं, लेकिन यह जैन शासन का दुर्भाग्य है की वीर की देशना को जन -जन तक नहीं पहुँचा पाये। काया के बल, सक्षमता और सामर्थ्य बनाकर रखो लेकिन दूसरे जीवों के बल को तोड़कर नहीं। 10 लाख वनस्पति कायिक जीवों की मर्यादा को बनाकर रखो, उन पर दया दिखाकर अभय दान दो। निगोद की राशि से निकलकर जीव एक इन्द्रिय को धारण कर अनंत सुख को प्राप्त करता है। जैन धर्म में आहार शुद्धि का बहुत बड़ा योगदान है, अहिंसा मयी भोजन सर्वज्ञ बनने का निमित्त बनता है। भोजन का सम्बंध लड़ाई और समझौता से है। यदि आहार दया व करुणा से परिपूर्ण है तो निश्चित ही उस परिवार में शांति होगी। कम से कम हिंसा में जीवन गुजार दो और उसका पश्चताप करो। सिद्धालय में सिद्ध बनकर जाने का प्रयास करो जिसके के बाद कोई विकार नहीं होता। यह सम्पूर्ण विश्व जगत की विकृति है की स्कूल के विषय से जिंदगी नहीं चलती जो वहाँ पढ़ाया जाता है उसमें जीवन की सार्थकता नहीं है और जो जिंदगी जीने के लिये जरुरी है वह बच्चे सुनना नहीं चाहते। रशि के प्रयोग में प्रतिदिन एक रस को छोड़कर भोजन करने की प्रक्रिया है जिससे हमारी काया स्वस्थ्य और व्यवस्थित रहती है, जो कम खाता है वह ज्यादा खाता है अर्थात अधिक दिनों तक खाने के लिए जीवित रहता है। जल के दुष्प्रयोग का परिणाम है की आज पीने योग्य पानी का अभाव होता जा रहा है। मुनि श्री ने कहा मुख्य पात्रों ने पुण्योदय से जिनेन्द्र देव की प्रतिमा की प्रतिष्ठा कराने का महा सौभाग्य प्राप्त किया है, सकलीकरण की क्रिया पूर्ण होने पर उन्हें 21 से 26 जनवरी तक होने वाले पंचकल्याणक के लिए प्रतिदिन जाप्यानुष्ठान करना है। सायं काल की बेला में गुरु भक्ति एवं मंगल आरती की गयी। कार्यक्रम में दिगम्बर जैन मंदिर समिति, पंचकल्याणक समिति, अहिंसा सेवा संगठन, वीर सेवा दल, जैन युवा सेवा संघ, जैन मिलन, शैलेश जैन, अनुराग मिठ्या, रोहित बुखारिया, विशाल पवा, आकाश चौधरी, सौरभ मोदी, आदेश मोदी, सौरभ पवैया सहित सकल दिगम्बर जैन समाज का सक्रिय सहयोग रहा। संचालन चौधरी चक्रेश जैन एवं आभार व्यक्त मोदी अरुण जैन बसार ने किया।